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जौलीग्रांट एयरपोर्ट को इंटरनेशनल बनाना सरकार के लिए बन रहा टेढ़ी खीर, ये रहे कारण - जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की योजना

देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाना सरकार के लिए चुनौती बन गया है. अंतरराष्ट्रीय उड़ान के लिए एयरपोर्ट की रनवे लेंथ 900 मीटर कम है. इसके लिए सरकार को पेड़ों का कटान और रिहायशी इलाकों की ओर विस्तारीकरण में विरोध झेलना पड़ सकता है.

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Published : Dec 7, 2022, 10:53 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित जौलीग्रांट हवाई अड्डे (Jollygrant Airport) को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की कवायद चल रही है. लेकिन इसके लिए पेड़ों का कटान और एयरपोर्ट के आसपास रिहायशी इलाकों में विस्तारीकरण का विरोध सबसे बड़ा रोड़ा बन रहा है. यही कारण है कि उत्तराखंड से अभी केवल अंतरराष्ट्रीय उड़ानें ही भरी जा सकती हैं. इसी कारण उत्तराखंड में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या सीमित है.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोविड के बाद उत्तराखंड में विदेशी पर्यटकों की आमद में काफी गिरावट देखने को मिली है. यही वजह है कि राज्य सरकार पिछले लंबे समय से प्रयास कर रही है कि उत्तराखंड में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड से इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू की जाए. लेकिन इसके लिए प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला एयरपोर्ट होना जरूरी है.

जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण में अड़चन

एयरपोर्ट की रनवे लेंथ कमः अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए एयरपोर्ट की रनवे लेंथ कम से कम से कम 3500 मीटर (3 किमी) होनी ही चाहिए. जबकि उत्तराखंड में मौजूद सबसे बड़े और सबसे बिजी जौलीग्रांट एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई मात्र 2000 मीटर (2 किमी) है, जो कि केवल डोमेस्टिक फ्लाइट्स (घरेलू उड़ान) के लिए पर्याप्त है.

900 मीटर रनवे की कमीः लंबे समय से राज्य सरकार देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की योजना (expansion plan of jollygrant airport) बना रही है. इसके लिए पहले निर्णय लिया गया कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट को ऋषिकेश की तरफ मौजूद जंगल की ओर बढ़ाया जाएगा. लेकिन इस दौरान पर्यावरण प्रेमियों का काफी विरोध देखने को मिला. लंबी बहस के बाद जौलीग्रांट को ऋषिकेश की तरफ बढ़ाने के लिए मात्र 87 हेक्टेयर भूमि को ही हरी झंडी मिली. लेकिन कुल मिलाकर अतिरिक्त जमीन के बाद भी रनवे की लंबाई केवल 2600 मीटर हो पाई. अभी भी 900 मीटर रनवे विस्तारीकरण की जरूरत है. इसके लिए जौलीग्रांट एयरपोर्ट से देहरादून की तरफ का रिहायशी इलाका एक मात्र विकल्प है.
ये भी पढ़ेंः पंतनगर में जल्द बनेगी पौधों की सैंपलिंग लैब, मंत्री गणेश जोशी ने किया कृषि विज्ञान मेले का शुभारंभ

नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि विभागीय स्तर पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट से देहरादून की ओर रिहायशी क्षेत्र में एक सर्वे भी करवाया गया है. एयरपोर्ट एक्सटेंशन की फिजिबिलिटी का परीक्षण करवाए जाने की प्रक्रिया गतिमान है. लेकिन लोगों का विरोध भी देखने को मिल रहा है. हालांकि DGCA भारत सरकार की अभी रिपोर्ट आनी बाकी है. दूसरी तरफ जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पश्चिम यानी देहरादून की ओर रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों द्वारा लगातार मुख्यमंत्री से मुलाकात की जा रही है और अपना विरोध व्यक्त किया जा रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित जौलीग्रांट हवाई अड्डे (Jollygrant Airport) को इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की कवायद चल रही है. लेकिन इसके लिए पेड़ों का कटान और एयरपोर्ट के आसपास रिहायशी इलाकों में विस्तारीकरण का विरोध सबसे बड़ा रोड़ा बन रहा है. यही कारण है कि उत्तराखंड से अभी केवल अंतरराष्ट्रीय उड़ानें ही भरी जा सकती हैं. इसी कारण उत्तराखंड में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या सीमित है.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोविड के बाद उत्तराखंड में विदेशी पर्यटकों की आमद में काफी गिरावट देखने को मिली है. यही वजह है कि राज्य सरकार पिछले लंबे समय से प्रयास कर रही है कि उत्तराखंड में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड से इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू की जाए. लेकिन इसके लिए प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय मानकों वाला एयरपोर्ट होना जरूरी है.

जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण में अड़चन

एयरपोर्ट की रनवे लेंथ कमः अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए एयरपोर्ट की रनवे लेंथ कम से कम से कम 3500 मीटर (3 किमी) होनी ही चाहिए. जबकि उत्तराखंड में मौजूद सबसे बड़े और सबसे बिजी जौलीग्रांट एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई मात्र 2000 मीटर (2 किमी) है, जो कि केवल डोमेस्टिक फ्लाइट्स (घरेलू उड़ान) के लिए पर्याप्त है.

900 मीटर रनवे की कमीः लंबे समय से राज्य सरकार देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की योजना (expansion plan of jollygrant airport) बना रही है. इसके लिए पहले निर्णय लिया गया कि जौलीग्रांट एयरपोर्ट को ऋषिकेश की तरफ मौजूद जंगल की ओर बढ़ाया जाएगा. लेकिन इस दौरान पर्यावरण प्रेमियों का काफी विरोध देखने को मिला. लंबी बहस के बाद जौलीग्रांट को ऋषिकेश की तरफ बढ़ाने के लिए मात्र 87 हेक्टेयर भूमि को ही हरी झंडी मिली. लेकिन कुल मिलाकर अतिरिक्त जमीन के बाद भी रनवे की लंबाई केवल 2600 मीटर हो पाई. अभी भी 900 मीटर रनवे विस्तारीकरण की जरूरत है. इसके लिए जौलीग्रांट एयरपोर्ट से देहरादून की तरफ का रिहायशी इलाका एक मात्र विकल्प है.
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नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि विभागीय स्तर पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट से देहरादून की ओर रिहायशी क्षेत्र में एक सर्वे भी करवाया गया है. एयरपोर्ट एक्सटेंशन की फिजिबिलिटी का परीक्षण करवाए जाने की प्रक्रिया गतिमान है. लेकिन लोगों का विरोध भी देखने को मिल रहा है. हालांकि DGCA भारत सरकार की अभी रिपोर्ट आनी बाकी है. दूसरी तरफ जौलीग्रांट एयरपोर्ट के पश्चिम यानी देहरादून की ओर रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों द्वारा लगातार मुख्यमंत्री से मुलाकात की जा रही है और अपना विरोध व्यक्त किया जा रहा है.

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