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मसूरी से 1843 में लिखा गया था पहला वैलेंटाइन डे का खत, ये है आधार

आज प्रेम को समर्पित वैलेंटाइन डे है. देश और दुनिया में मनाया जाना वाले वैलेंटाइन से जुड़ी अनेक कहानियां हैं. भारत की बात करें तो पहाड़ की रानी मसूरी से वैलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत मानी जाती है.

वैलेंटाइन
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Published : Feb 14, 2020, 11:07 AM IST

Updated : Feb 14, 2020, 12:58 PM IST

मसूरीः आज वैलेंटाइन डे है, इसे प्रेम का दिन माना जाता है. इस दिन युवा महज प्यार के बंधन तक ही सीमित है, लेकिन शायद ही किसी को वैलेंटाइन डे के इतिहास के पीछे छिपी बड़ी घटनाओं के बारे में पता हो. युवा पीढ़ी वैलेंटाइन डे को बड़ी धूमधाम से मनाती है और ज्यादातर अपने प्यार का इजहार करते हैं. दुनिया में वैलेंटाइन डे शुरू होने के पीछे कई मतभेद हैं. वहीं भारत की बात करें तो यहां पहाड़ की रानी मसूरी से भी वैलेंटाइन डे मनाने का कनेक्शन जुड़ा हुआ है.

मसूरी से हुई वैलेंटाइन डे की शुरुआत.

मसूरी मर्चेंट द इंडियन लेटर्स पुस्तक में प्रकाशित एक पत्र से स्पष्ट होता है कि देश में वैलेंटाइन की शुरुआत वर्ष 1843 में हुई थी. उन दिनों इंग्लैंड में जन्मे मोगर मांक मसूरी में जॉन मकैनन के बर्लोगंज स्थित स्कूल में लैटिन भाषा के शिक्षक थे.

इस दौरान उन्होंने एलिजाबेथ लुईन से प्यार हो गया. मोगर मांक ने 14 फरवरी 1843 को मसूरी से एक खत अपनी बहन मारग्रेट मांक के नाम इंग्लैंड भेजा. खत में अपनी भावनाओं का इजहार करते हुए उन्होंने लिखा कि प्रिया बहन आज वैलेंटाइन डे के दिन यह पत्र लिख रहा हूं. मुझे एलिजाबेथ लुईन से प्यार हो गया है मैं उसके साथ बहुत खुश हूं. मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि वर्ष 1849 में जब मोगर मांक का निधन हुआ तब वह मेरठ में रह रहे थे.

वेलेंटाइन डे के दिन लिखे गए उनके इस खत का पता तब चला जब 150 साल बाद मोगर मांक के रिश्तेदार एंड्रयू मारगन ने वर्ष 1828 से 1849 के बीच लिखे गए पत्रों का जिक्र मसूरी मर्चेंट इंडियन लेटर्स पुस्तक में किया.

देश में पहली बार लिखी गई इस प्रेम पत्र के रिकॉर्ड बुक में दर्ज होने से माना जाता है कि इस दिन से भारत ने वैलेंटाइन डे का आगाज हुआ होगा. इतिहासकार भारद्वाज कहते हैं कि यूरोप में वैलेंटाइन डे हजारों साल पहले से मनाया जाता है, लेकिन 1828 से 1849 तक मसूरी सर्वप्रथम वैलेंटाइन डे का जिक्र मोगर मांक ने 14 फरवरी 1843 में अपनी बहन को लिखे पत्र में किया.

यह भी पढ़ेंः दास्तां-ए-मोहब्बत: प्यार की एक ऐसी कहानी, जो अधूरी होकर भी है मुकम्मल

इससे पहले का ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है जिसमें वैलेंटाइन डे का जिक्र हुआ हो. गोपाल भारद्वाज ने वैलेंटाइन डे मनाने के पीछे के इतिहास को बताते हुए कहा कि रोम में तीसरी सदी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था.

जिसकी मान्यता थी कि विवाह करने से पुरुष की शक्ति एवं बुद्धि कम हो जाती है लिहाजा उसने फरमान निकाला कि उसका कोई भी सैनिक व अफसर विवाह नहीं करेगा. संत वैलेंटाइन ने इस अमाननीय आदेश का विरोध किया और उन्हीं के आवाह्न पर उनके सैनिक एवं अधिकारियों ने विवाह किया.

नतीजा क्लॉडियस ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन को फांसी पर चढ़ा दिया तब से उनकी स्मृति में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है. वैलेंटाइंस प्रपोज का अर्थ प्यार और विवाह ही हो ऐसा आवश्यक नहीं है. वैलेंटाइन प्रपोज करने से पूर्व अपने खास मित्रों को समझें परखें और सम्मान करें फिर देखिए आपका वैलेंटाइन का स्पेशल दोस्त कैसा ताउम्र आपका अपना बनके रह जाता है.

मसूरीः आज वैलेंटाइन डे है, इसे प्रेम का दिन माना जाता है. इस दिन युवा महज प्यार के बंधन तक ही सीमित है, लेकिन शायद ही किसी को वैलेंटाइन डे के इतिहास के पीछे छिपी बड़ी घटनाओं के बारे में पता हो. युवा पीढ़ी वैलेंटाइन डे को बड़ी धूमधाम से मनाती है और ज्यादातर अपने प्यार का इजहार करते हैं. दुनिया में वैलेंटाइन डे शुरू होने के पीछे कई मतभेद हैं. वहीं भारत की बात करें तो यहां पहाड़ की रानी मसूरी से भी वैलेंटाइन डे मनाने का कनेक्शन जुड़ा हुआ है.

मसूरी से हुई वैलेंटाइन डे की शुरुआत.

मसूरी मर्चेंट द इंडियन लेटर्स पुस्तक में प्रकाशित एक पत्र से स्पष्ट होता है कि देश में वैलेंटाइन की शुरुआत वर्ष 1843 में हुई थी. उन दिनों इंग्लैंड में जन्मे मोगर मांक मसूरी में जॉन मकैनन के बर्लोगंज स्थित स्कूल में लैटिन भाषा के शिक्षक थे.

इस दौरान उन्होंने एलिजाबेथ लुईन से प्यार हो गया. मोगर मांक ने 14 फरवरी 1843 को मसूरी से एक खत अपनी बहन मारग्रेट मांक के नाम इंग्लैंड भेजा. खत में अपनी भावनाओं का इजहार करते हुए उन्होंने लिखा कि प्रिया बहन आज वैलेंटाइन डे के दिन यह पत्र लिख रहा हूं. मुझे एलिजाबेथ लुईन से प्यार हो गया है मैं उसके साथ बहुत खुश हूं. मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि वर्ष 1849 में जब मोगर मांक का निधन हुआ तब वह मेरठ में रह रहे थे.

वेलेंटाइन डे के दिन लिखे गए उनके इस खत का पता तब चला जब 150 साल बाद मोगर मांक के रिश्तेदार एंड्रयू मारगन ने वर्ष 1828 से 1849 के बीच लिखे गए पत्रों का जिक्र मसूरी मर्चेंट इंडियन लेटर्स पुस्तक में किया.

देश में पहली बार लिखी गई इस प्रेम पत्र के रिकॉर्ड बुक में दर्ज होने से माना जाता है कि इस दिन से भारत ने वैलेंटाइन डे का आगाज हुआ होगा. इतिहासकार भारद्वाज कहते हैं कि यूरोप में वैलेंटाइन डे हजारों साल पहले से मनाया जाता है, लेकिन 1828 से 1849 तक मसूरी सर्वप्रथम वैलेंटाइन डे का जिक्र मोगर मांक ने 14 फरवरी 1843 में अपनी बहन को लिखे पत्र में किया.

यह भी पढ़ेंः दास्तां-ए-मोहब्बत: प्यार की एक ऐसी कहानी, जो अधूरी होकर भी है मुकम्मल

इससे पहले का ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है जिसमें वैलेंटाइन डे का जिक्र हुआ हो. गोपाल भारद्वाज ने वैलेंटाइन डे मनाने के पीछे के इतिहास को बताते हुए कहा कि रोम में तीसरी सदी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था.

जिसकी मान्यता थी कि विवाह करने से पुरुष की शक्ति एवं बुद्धि कम हो जाती है लिहाजा उसने फरमान निकाला कि उसका कोई भी सैनिक व अफसर विवाह नहीं करेगा. संत वैलेंटाइन ने इस अमाननीय आदेश का विरोध किया और उन्हीं के आवाह्न पर उनके सैनिक एवं अधिकारियों ने विवाह किया.

नतीजा क्लॉडियस ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन को फांसी पर चढ़ा दिया तब से उनकी स्मृति में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है. वैलेंटाइंस प्रपोज का अर्थ प्यार और विवाह ही हो ऐसा आवश्यक नहीं है. वैलेंटाइन प्रपोज करने से पूर्व अपने खास मित्रों को समझें परखें और सम्मान करें फिर देखिए आपका वैलेंटाइन का स्पेशल दोस्त कैसा ताउम्र आपका अपना बनके रह जाता है.

Last Updated : Feb 14, 2020, 12:58 PM IST
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