देहरादून: करीब दो दशक पुराने कोचर ऑफिसर कॉलोनी मामले में आखिरकार दो रिटायर्ड अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति दे गयी है. हाल ही में इस मामले को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली सतर्कता समिति में चर्चा की गई थी. जिसके बाद इन दोनों ही सेवानिवृत्त लेखपाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिली है.
उत्तराखंड में करीब 25 साल पुराने मामले में शासन की सतर्कता समिति ने रिटायर्ड लेखपालों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है. यह मामला बेहद पुराना होने के साथ ही कई बार जांच के दायरे में आ चुका था, लेकिन, साल 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसकी विस्तृत जांच करवाने का फैसला लिया. विजिलेंस की प्राथमिक जांच में जमीनों को खुर्द बुर्द करने संबंधी इस मामले में विजिलेंस ने पाया कि करीब 11.5 बीघा सरकारी जमीन कोचर ऑफिसर कॉलोनी के नाम पर कब्जा कर ली गई. इसी आधार पर पिछले साल जहां एक तरफ होटल व्यवसाई सतपाल कोचर और उनकी पत्नी कृष्णा कोचर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. इस मामले में अब तहसील में तैनात रिटायर्ड लेखपाल कुशाल सिंह राणा और एमडीडीए में रिटायर्ड लेखपाल राजेंद्र सिंह डबराल की भूमिका भी विजिलेंस में संदिग्ध पाई. इसके बाद इस मामले में न्यायालय में भी चार्जशीट दाखिल कर दी गई. उधर संबंधित रिटायर्ड लेखपालों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए शासन में मौजूद सतर्कता समिति की बैठक में अनुमति मांगी गई. जिसके बाद अब शासन ने उसकी मंजूरी दे दी है.
पढे़ं- मानसून की बारिश में नहीं होगी कोई अनहोनी! अलर्ट हुआ आपदा प्रबंधन विभाग, जारी किये ये निर्देश
कोचर ऑफिसर कॉलोनी का मामला बेहद पुराना और सुर्खियों में रहा है. बड़ी बात यह है कि सरकारी जमीनों को खुद बुर्द करने का यह गंभीर मामला है. इस मामले में एमडीडीए और तहसील के 2 लेखपालों पर कार्रवाई की रूपरेखा मुकदमा दर्ज करवाने के साथ तय कर दी गई है. हालांकि, इसमें उच्च अधिकारियों की भूमिका क्या रही यह स्पष्ट नहीं हो पाया है. इस मामले में विजिलेंस ने इन्हीं दो रिटायर्ड अधिकारियों को आरोपी बनाया है.