देहरादूनः कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के एक्शन के बाद नंदा गौरा योजना में हुए फर्जीवाड़े पर बड़ी कार्रवाई शुरू हो गई है. जिला कार्यक्रम अधिकारी सुलेखा सहगल ने 193 लोगों के खिलाफ शिकायत दी है. जिसके बाद अपात्र लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
दरअसल, हरिद्वार में अपात्र लोगों को नंदा गौरा योजना का लाभ दिए जाने पर विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने संज्ञान लिया था. रेखा आर्य ने ऐसे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए संबंधित जिलों को आदेशित किया. जिसके बाद विभाग ने अपने स्तर से भी कार्रवाई शुरू की. जांच में जो नाम निकल कर सामने आए, उन सभी लोगों के खिलाफ आज मुकदमा दर्ज किया गया है. इन सभी लोगों के आय प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे.
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बता दें कि नंदा गौरा देवी कन्या धन योजना के तहत बेटी के जन्म और इंटर पास करने वाली बेटियों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है. चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में नंदा गौरा योजना के तहत बेटी के जन्म के लिए सहायता राशि पाने के लिए आवेदन जमा कराए गए थे. जिसमें 70 आवेदनों में आय प्रमाण पत्र फर्जी निकले थे. जबकि, इंटर पास के आवेदनों में से 123 आय प्रमाण पत्र फर्जी मिले थे. ऐसे में 193 आय प्रमाण पत्र फर्जी मिले थे.
वहीं, डीएम विनय शंकर पांडे ने आवेदन करने वालों पर मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे. जबकि, तीन दिन पहले महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने भी इस मामले में कठोर कार्रवाई को कहा था. अब सिडकुल थाना पुलिस ने जिला कार्यक्रम अधिकारी सुलेखा सहगल की तहरीर पर पुलिस ने 193 आवेदकों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.
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थाना प्रभारी रमेश सिंह ने बताया कि नंदा गौरा योजना में फर्जीवाड़े मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है. मामले की जांच सिडकुल थाने में तैनात वरिष्ठ उप निरीक्षक शहजाद अली को सौंपी गई है. शहजाद अली पूरे प्रकरण की जांच करेंगे. आवेदन में फर्जी प्रमाण पत्र जमा करने वाली बालिकाओं के अभिभावकों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471 के तहत केस दर्ज किया गया है.
वहीं, विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने वित्तीय वर्ष 2022-23 की नंदा गौरा योजना मामले में फर्जीवाड़े पर जांच बैठाई थी. हरिद्वार में भले ही फर्जी प्रमाण पत्र लेकर योजना का लाभ उठाया हो, लेकिन आज भी उत्तराखंड के कई जिलों में सही प्रमाण पत्र जमा करने के बाद भी कई छात्राएं इस योजना का लाभ नहीं ले पा रही हैं. लिहाजा, राज्य सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.