देहरादून: देशभर में सैकड़ों जिंदगियां हर दिन कैंसर की भेंट चढ़ रही हैं. वहीं उत्तराखंड के लिए कैंसर धीरे-धीरे काल बनता जा रहा है. खासकर साल 2010 के बाद जिस तेजी से कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ी है, उसने प्रदेशवासियों के लिए चिंताएं बढ़ा दी हैं.
उत्तराखंड पिछले कुछ सालों में अपने दो कैबिनेट मंत्रियों को कैंसर की बीमारी के चलते मौत हो चुका है. पूर्व की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र राकेश और वित्त मंत्री प्रकाश पंत भी कैंसर से जंग हार चुके हैं. यही नहीं बीते रविवार बीजेपी के देहरादून पूर्व महानगर अध्यक्ष उमेश अग्रवाल की मौत कैंसर की बीमारी से हुई है.
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उत्तराखंड में कैंसर मरीजों का बढ़ रहा आंकड़ा
उत्तराखंड में एक आंकलन के अनुसार फिलहाल कैंसर मरीजों की संख्या करीब 16 हजार है. जबकि साल 2010 में यह आंकड़ा करीब 6 हजार तक ही था. 2010 के बाद तेजी से कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ी और 2014 तक यह संख्या 11 हजार तक जा पहुंची. इस लिहाज से देखा जाए तो हर साल करीब 700 से 1000 मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.
राष्ट्रीय स्तर पर कैंसर रोगी सालाना करीब 9% की दर से बढ़ रहे हैं, जबकि उत्तराखंड में यह आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर से भी 1% ज्यादा है. यानी कुल 10% की दर से कैंसर मरीजों की संख्या उत्तराखंड में बढ़ रही है.
कैंसर पर काम करने वाली संस्था कैन प्रोटेक्ट फाउंडेशन की फाउंडर प्रेसिडेंट डॉक्टर सुमिता प्रभाकर ने बताया कि देशभर में करीब 200 महिलाएं हर रोज कैंसर से मौत होती है. जबकि उत्तराखंड की दो महिलाएं हर रोज कैंसर के चलते जान गवां रही हैं.
बदलती जीवनशैली कैंसर के लिए जिम्मेदार
डॉक्टर सुमिता प्रभाकर का कहना है कि कैंसर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हमारी बदलती जीवन शैली है. प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग और स्ट्रेस भरी जिंदगी लोगों में तेजी से कैंसर के वायरस को बढ़ा रही है. जबकि आम लोगों में कैंसर को लेकर लापरवाह रवैया जानलेवा साबित हो रहा है.
जानकारी के अनुसार करीब 8 हजार से ज्यादा लोग फिलहाल रेडियोथैरेपी करवा रहे हैं और कीमोथेरेपी कराने वालों की संख्या करीब 3 हजार के आसपास है. लेकिन लोगों का रेगुलर स्वास्थ्य चेकअप ना करवाना कैंसर को जानलेवा स्तर तक पहुंचा देता है.
सबसे ज्यादा कैंसर प्रभावित राज्य में उत्तराखंड भी शुमार हो गया है. ऐसे में अब सही समय पर मेडिकल चेकअप कराने समेत जरूरी प्रिकॉशंस लेना ही मौजूदा समय में सबसे बड़ी समझदारी है.