ETV Bharat / state

बजट सत्रः सदन पटल पर रखी गई CAG की रिपोर्ट, आपदा पुनर्निर्माण में गड़बड़झाला आया सामने, हुए ये बड़े खुलासे

बजट सत्रः सदन पटल पर रखी गई CAG की रिपोर्ट. आपदा पुनर्निर्माण में गड़बड़झाला आया सामने,आपदा से नुकसान हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए केंद्र सरकार के द्वारा जारी किए गए पैकेज के तहत राज्य सरकार ने करीब 3308 करोड़ रुपये के कार्य किए हैं. इन कामों में भी कई कमियां उजागर हुई है.

दन पटल पर रखी गई CAG की रिपोर्ट
author img

By

Published : Feb 23, 2019, 5:04 AM IST

देहरादूनः विधानसत्र सत्र के अंतिम दिन संसदीय मंत्री प्रकाश पंत ने कैग की रिपोर्ट को सदन पटल पर रखा. रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में बीते 2013 में आई आपदा के बाद केंद्र सरकार से पुनर्निर्माण के लिए पैकेज मंजूर किया था, लेकिन प्रदेश सरकार पैकेज को पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाई. इतना ही नहीं राज्य सरकार इन पांच सालों के भीतर 2551 करोड़ रुपये खर्च करने में पूरी तरह फेल साबित हुई है. साथ ही केदारनाथ रोप-वे का भी निर्माण नहीं कर पाई है. वहीं, कैग की रिपोर्ट में राज्य सरकार के कई कमियों का उजागर हुआ है.


संसदीय मंत्री प्रकाश पंत ने शुक्रवार को कैग की रिपोर्ट को सदन पटल पर रखा. सदन में पेश हुए कैग की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार से पैसा जारी होने के बाद भी राज्य सरकार ने कई कार्य पूरा नहीं किया है. जिसमें केदारनाथ टाउनशिप के दूसरे चरण के कार्य के साथ अन्य धामों के कामों में तेजी नहीं लाई गई है. साथ ही केंद्र सरकार की पैकेज में आपदा प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए 10 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनाने की व्यवस्था की थी, लेकिन राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से औद्योगिक परीक्षण खोलने की धनराशि भी स्वीकृत नहीं कर पाई है.

undefined


रिपोर्ट के मुताबिक आपदा से नुकसान हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए केंद्र सरकार के द्वारा जारी किए गए पैकेज के तहत राज्य सरकार ने करीब 3308 करोड़ रुपये के कार्य किए हैं. इन कामों में भी कई कमियां उजागर हुई है. केंद्र सरकार से जारी पैकेज को सरकार ने देरी से जारी की है. जिससे कार्यदायी कंपनियों ने भी ढिलाई बरती और काम समय पर शुरू नहीं हो पाया. केंद्र सरकार की पुनर्निर्माण पैकेज में गुणवत्ता युक्त सड़कें बनाने की भी व्यवस्था थी, लेकिन बनाई गई सड़कों में 61 फीसदी सड़कों में गुणवत्ता की कमी सामने आई है.


खर्च करने के मामले में पीछे रहा राज्य सरकार
बता दें कि प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से पुनर्निर्माण के लिए 9296.89 करोड़ का पैकेज मांगा था. उस दौरान केंद्र सरकार ने 7346 करोड़ का पैकेज की मंजूरी दी. साथ ही राज्य सरकार को मध्यम और दीर्घकालिक पुनर्निर्माण के लिए 6259.84 करोड़ की मंजूरी दी. जिसके बाद केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को 4617.27 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई. वहीं, राज्य सरकार महज 3308 करोड़ रुपये ही आपदा में क्षतिग्रस्त हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण कार्य पर खर्च कर पाई है. साथ ही केंद्र सरकार ने विशेष आयोजन सहायता के लिए भी पैकेज दिया था, लेकिन राज्य सरकार विशेष आयोजन सहायता के लिए 319.75 करोड़ स्वीकृत नहीं करा पाई है.

undefined


वहीं, गौरीकुंड और केदारदार नाथ के बीच रोपे-वे निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने विशेष योजना में सहायता पुनर्निर्माण योजना के तहत 319.75 करोड़ रुपये राज्य सरकार को उपलब्ध कराया था. बावजूद राज्य सरकार ने अभीतक धनराशि जारी नहीं किया है.


CAG की रिपोर्ट में हुए खुलासे

  1. केंद्र सरकार से पैसा मिलने के बाद भी राज सरकार धनराशि आवंटित नहीं कर पाई और निर्माण कार्य लटक गए.
  2. राज्य सरकार आपदा के 5 साल बाद भी 10 सड़कें दो पर्यटन व स्थापना से जुड़े काम पूरी नहीं कर पाई.
  3. 5 साल से अधिक समय होने के बावजूद सरकार वन क्षेत्र में पांच निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पाई.
  4. लोक निर्माण विभाग ने माना पुननिर्माण में बनी 61 फीसदी सड़कों की गुणवत्ता खराब.
  5. तीन लघु जल विद्युत परियोजनाएं और 17 सर्वाधिक भवन भी 2018 तक नहीं बना पाई सरकार.
  6. चल रहे पुनर्निर्माण कार्य की गुणवत्ता को परखने और निगरानी रखने के लिए नहीं बनाया गया था कोई केंद्रीकृत तंत्र.
  7. करीब 240 करोड़ की परियोजना का सही से प्रस्तावना बनाने पर, पैकेज का लाभ नहीं उठा सकी राज्य सरकार.
  8. निर्धारित मानकों के विपरीत बजट खर्च किया गया, और निर्माण कार्य में अत्यधिक छूट दी गई.
  9. अपनी परिसंपत्तियों का सही आंकलन करने में नाकाम रहे सिंचाई वन और लोक निर्माण विभाग.
  10. पुनर्निर्माण कार्यों के नियोजन, निधि प्रबंधन में भारी कमी की वजह से समय से पूर्व स्वीकृत कार्य.
undefined

देहरादूनः विधानसत्र सत्र के अंतिम दिन संसदीय मंत्री प्रकाश पंत ने कैग की रिपोर्ट को सदन पटल पर रखा. रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में बीते 2013 में आई आपदा के बाद केंद्र सरकार से पुनर्निर्माण के लिए पैकेज मंजूर किया था, लेकिन प्रदेश सरकार पैकेज को पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाई. इतना ही नहीं राज्य सरकार इन पांच सालों के भीतर 2551 करोड़ रुपये खर्च करने में पूरी तरह फेल साबित हुई है. साथ ही केदारनाथ रोप-वे का भी निर्माण नहीं कर पाई है. वहीं, कैग की रिपोर्ट में राज्य सरकार के कई कमियों का उजागर हुआ है.


संसदीय मंत्री प्रकाश पंत ने शुक्रवार को कैग की रिपोर्ट को सदन पटल पर रखा. सदन में पेश हुए कैग की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार से पैसा जारी होने के बाद भी राज्य सरकार ने कई कार्य पूरा नहीं किया है. जिसमें केदारनाथ टाउनशिप के दूसरे चरण के कार्य के साथ अन्य धामों के कामों में तेजी नहीं लाई गई है. साथ ही केंद्र सरकार की पैकेज में आपदा प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए 10 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनाने की व्यवस्था की थी, लेकिन राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से औद्योगिक परीक्षण खोलने की धनराशि भी स्वीकृत नहीं कर पाई है.

undefined


रिपोर्ट के मुताबिक आपदा से नुकसान हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए केंद्र सरकार के द्वारा जारी किए गए पैकेज के तहत राज्य सरकार ने करीब 3308 करोड़ रुपये के कार्य किए हैं. इन कामों में भी कई कमियां उजागर हुई है. केंद्र सरकार से जारी पैकेज को सरकार ने देरी से जारी की है. जिससे कार्यदायी कंपनियों ने भी ढिलाई बरती और काम समय पर शुरू नहीं हो पाया. केंद्र सरकार की पुनर्निर्माण पैकेज में गुणवत्ता युक्त सड़कें बनाने की भी व्यवस्था थी, लेकिन बनाई गई सड़कों में 61 फीसदी सड़कों में गुणवत्ता की कमी सामने आई है.


खर्च करने के मामले में पीछे रहा राज्य सरकार
बता दें कि प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से पुनर्निर्माण के लिए 9296.89 करोड़ का पैकेज मांगा था. उस दौरान केंद्र सरकार ने 7346 करोड़ का पैकेज की मंजूरी दी. साथ ही राज्य सरकार को मध्यम और दीर्घकालिक पुनर्निर्माण के लिए 6259.84 करोड़ की मंजूरी दी. जिसके बाद केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को 4617.27 करोड़ की धनराशि उपलब्ध कराई. वहीं, राज्य सरकार महज 3308 करोड़ रुपये ही आपदा में क्षतिग्रस्त हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण कार्य पर खर्च कर पाई है. साथ ही केंद्र सरकार ने विशेष आयोजन सहायता के लिए भी पैकेज दिया था, लेकिन राज्य सरकार विशेष आयोजन सहायता के लिए 319.75 करोड़ स्वीकृत नहीं करा पाई है.

undefined


वहीं, गौरीकुंड और केदारदार नाथ के बीच रोपे-वे निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने विशेष योजना में सहायता पुनर्निर्माण योजना के तहत 319.75 करोड़ रुपये राज्य सरकार को उपलब्ध कराया था. बावजूद राज्य सरकार ने अभीतक धनराशि जारी नहीं किया है.


CAG की रिपोर्ट में हुए खुलासे

  1. केंद्र सरकार से पैसा मिलने के बाद भी राज सरकार धनराशि आवंटित नहीं कर पाई और निर्माण कार्य लटक गए.
  2. राज्य सरकार आपदा के 5 साल बाद भी 10 सड़कें दो पर्यटन व स्थापना से जुड़े काम पूरी नहीं कर पाई.
  3. 5 साल से अधिक समय होने के बावजूद सरकार वन क्षेत्र में पांच निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पाई.
  4. लोक निर्माण विभाग ने माना पुननिर्माण में बनी 61 फीसदी सड़कों की गुणवत्ता खराब.
  5. तीन लघु जल विद्युत परियोजनाएं और 17 सर्वाधिक भवन भी 2018 तक नहीं बना पाई सरकार.
  6. चल रहे पुनर्निर्माण कार्य की गुणवत्ता को परखने और निगरानी रखने के लिए नहीं बनाया गया था कोई केंद्रीकृत तंत्र.
  7. करीब 240 करोड़ की परियोजना का सही से प्रस्तावना बनाने पर, पैकेज का लाभ नहीं उठा सकी राज्य सरकार.
  8. निर्धारित मानकों के विपरीत बजट खर्च किया गया, और निर्माण कार्य में अत्यधिक छूट दी गई.
  9. अपनी परिसंपत्तियों का सही आंकलन करने में नाकाम रहे सिंचाई वन और लोक निर्माण विभाग.
  10. पुनर्निर्माण कार्यों के नियोजन, निधि प्रबंधन में भारी कमी की वजह से समय से पूर्व स्वीकृत कार्य.
undefined
Intro:उत्तराखंड में वर्ष 2013 में आई आपदा क्षतिग्रस्त हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने पैकेज मंजूर किया था। कि इस पैकेज के जरिए आपदा से क्षतिग्रस्त हुए बुनियादी ढांचे का पुल निर्माण किया जा सके ताकि लोगों को वहां वापिस बसाया जा सके। लेकिन प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा दिये गए पैकेज का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाई। और राज्य सरकार इन 5 सालों में 2551 करोड़ रूपया खर्च करने में पूरी तरह फेल साबित हुई। इसके साथ ही गौरीकुंड और केदारदार नाथ के बीच रोपेवे निर्माण कराने को लेकर केंद्र सरकार ने विशेष योजना का सहायता पुनर्निर्माण योजना के तहत 319.75 करोड़ रुपये राज्य सरकार को दिया गया था। बावजूद इसके राज्य सरकार ने धनराशि जारी नहीं किया।


Body:वहीं सदन शुक्रवार को कार्य संसदीय मंत्री प्रकाश पंत ने कैग की रिपोर्ट को सदन पटल पर रखा। सदन में पेश हुए कैग की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार से पैसा जारी होने के बाद भी तमाम ऐसे काम जिसे राज्य सरकार ने पूरा नहीं किया। जिसमें केदारनाथ टाउनशिप के दूसरे चरण के कार्य के साथ अन्य धामों के कामों में तेजी नही लाया जा सका। इसके साथ ही केंद्र सरकार की पैकेज में आपदा में प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए, 10 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बनाने की व्यवस्था थी। लेकिन राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से औद्योगिक परीक्षण खोलने की धनराशि भी स्वीकृत नहीं करा पाई।

रिपोर्ट के मुताबिक आपदा से नुकसान बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए पैकेज के तहत राज्य सरकार ने करीब 3308 करोड़ रुपए के कार्य किए हैं। लेकिन इन कामों में भी कई कमियां इस रिपोर्ट में उजागर हुई है। इसके साथ ही केंद्र सरकार से जारी पैकेज को सरकार ने देरी से जारी की जिसके बाद काम कर रही कंपनियों ने भी ढिलाई बरती और नतीजा यह रहा कि काम अपने समय पर शुरू नहीं हो पाया। इसके साथ ही केंद्र सरकार की पुनर्निर्माण पैकेज में गुणवत्ता युक्त सड़कें बनाने की व्यवस्था थी। लेकिन बनाई गई सड़कों में से 61 फीसदी सड़कों में गुणवत्ता की कमी है।


खर्च करने के मामले में पीछे है सरकार.....

प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से पुनर्निर्माण के लिए 9296.89 करोड़ का पैकेज मांगा था। उस दौरान केंद्र सरकार ने 7346 करोड़ का पैकेज की मंजूरी दे दी थी। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को मध्यम व दीर्घकालिक पुनर्निर्माण के लिए 6259.84 करोड़ की मंजूर कर दिया था। जिसके बाद केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को 4617.27 करोड़ की धनराशि उपलब्ध करा दी थी। और राज्य सरकार सिर्फ 3308 करोड़ ही आपदा में क्षतिग्रस्त हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण कार्य पर खर्च कर पायी है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने विशेष आयोजन सहायता के लिए भी पैकेज दिया था, लेकिन राज्य सरकार विशेष आयोजन सहायता के लिए 319.75 करोड़ स्वीकृत नहीं करा पाई।


राज्य सरकार के कमियों को उजागर किया CAG की रिपोर्ट ने...

1 - केंद्र सरकार से पैसा मिलने के बाद भी राज सरकार धनराशि आवंटित नहीं कर पाई और निर्माण कार्य लटक गए।

2 - राज्य सरकार आपदा के 5 साल बाद भी 10 सड़कें दो पर्यटन व स्थापना से जुड़े काम पूरी नहीं कर पाई।

3 - 5 साल से अधिक समय होने के बावजूद सरकार वन क्षेत्र में पांच निर्माण कार्य शुरू नहीं कर पायी।

4 - लोक निर्माण विभाग ने माना पुननिर्माण में बनी 61 फीसदी सड़कों की गुणवत्ता खराब।

5 - तीन लघु जल विद्युत परियोजनाएं और 17 सर्वाधिक भवन भी 2018 तक नहीं बना पाई सरकार

6 - चल रहे पुनर्निर्माण कार्य की गुणवत्ता को परखने और निगरानी रखने के लिए नहीं बनाया गया था कोई केंद्रीकृत तंत्र।

7 - करीब 240 करोड़ की परियोजना का सही से प्रस्तावना बनाने पर, पैकेज का लाभ नही उठा सकी राज्य सरकार।

8 - निर्धारित मानकों के विपरीत बजट खर्च किया गया, और निर्माण कार्य में अत्यधिक छूट दे दी गई।

9 - अपनी परिसंपत्तियों का सही आंकलन करने में नाकाम रहे सिंचाई वन और लोक निर्माण विभाग

10 - पुनर्निर्माण कार्यों के नियोजन, निधि प्रबंधन में भारी कमी की वजह से समय से पूर्व स्वीकृत कार्य







Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.