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'देवस्थानम बोर्ड पर विपक्ष फैला रहा भ्रम, BKTC में नहीं थी हक-हकूकधारियों के अधिकार की व्यवस्था'

देवस्थानम बोर्ड के विरोध को लेकर कैबिनेट मंत्री सपताल महाराज ने विपक्ष पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बदरीनाथ-केदारनाथ अधिनियम, 1939 में हक-हकूकों के अधिकारों की व्यवस्था नहीं की गई थी.

Satpal Maharaj
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Published : Aug 26, 2021, 10:14 PM IST

देहरादून: देवस्थानम बोर्ड का चारों धाम के तीर्थ पुरोहित लगातार विरोध कर रहे हैं. वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम की धारा-2 में चारों धाम के हक-हकूकदार, वंशानुगत पुजारी, गैर वंशानुगत पुजारी, पुजारी, रावल, न्यासी आदि के अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है.

सतपाल महाराज ने कहा उत्तर प्रदेश के समय से चली आ रही बदरीनाथ-केदारनाथ अधिनियम, 1939 में हक-हकूकों के अधिकारों की व्यवस्था नहीं की गई थी. जबकि चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम की धारा-2 में हक-हकूकदार, वंशानुगत पुजारी, गैर वंशानुगत पुजारी, रावल और न्यासी के अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है.

महाराज ने कहा कि अधिनियम की धारा-19 के तहत इन सभी के देय दस्तूरात और अधिकारों के मामलों को भी बोर्ड में यथावत रखने की व्यवस्था की गई है. विपक्ष पंडा-पुरोहितों और पुजारियों को उनके हक-हकूक को लेकर लगातार भ्रमित कर रहा है.

उन्होंने कहा कि देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के पुजारी, रावल, नायक रावल, पंडों के वंशानुगत और परंपरागत अधिकारों को संरक्षित किया गया है. इतना ही नहीं उनकी नियुक्ति एवं अधिकारों के संरक्षण के लिए बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के समस्त प्रावधानों को भी देवस्थानम बोर्ड में सम्मिलित किया गया है.

ये भी पढ़ें: 'मुख्यमंत्री पद मिलने पर अर्थव्यवस्था पर करेंगे फोकस, फिर देंगे फ्री बिजली'

इसलिए विपक्ष का बार-बार यह आरोप लगाना निराधार है कि देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से राज्य सरकार पवित्र चार धामों में सदियों पुरानी परंपराओं से छेड़छाड़ कर रही है. देवस्थानम बोर्ड अधिनियम की धारा-4 (7) में प्रथागत, वंशानुगत अधिकारों एवं हक-हकूकधारियों के अधिकारों से संबंधित किसी भी विषय या विवाद का निस्तारण के लिए चारधाम देवस्थानम बोर्ड द्वारा समिति गठन का प्रावधान किया गया है.

महाराज ने बताया किदेवस्थानम बोर्ड अधिनियम लागू होने से पहले बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर की व्यवस्थाओं के लिए उत्तर प्रदेश के समय बदरीनाथ केदारनाथ अधिनियम लागू था. इसके अतिरिक्त गंगोत्री धाम की व्यवस्था के लिए स्थानीय समिति एवं यमुनोत्री धाम के लिए उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित थी. इसमें प्रबंधन समिति का दूर-दूर तक कोई उल्लेख नहीं था.

सतपाल ने कहा देवस्थानम बोर्ड अधिनियम में चारधाम देवस्थानम बोर्ड तथा उच्च स्तरीय समिति के गठन का प्रावधान किया गया है. ताकि चारधाम एवं अन्य देवस्थानम क्षेत्रों का उचित प्रबंधन एवं अवस्थापना विकास के साथ-साथ चारधाम धार्मिक यात्रा के समुचित संचालन के लिए अंर्तविभागीय समन्वय स्थापित किया जा सके. चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड द्वारा चारों धामों केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री में आधारभूत संरचनाओं के विकास, प्रबंधन संचालन एवं तैनात कार्मिकों के वेतन आदि हेतू पर्याप्त बजट की व्यवस्था की जाती है.

महाराज ने कहा कि चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में समग्र विचार के लिए सरकार मनोहरकांत ध्यानी पूर्व राज्यसभा सदस्य की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने जा रही है. इसलिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर विपक्ष का प्रलाप विशुद्ध राजनीति है.

देहरादून: देवस्थानम बोर्ड का चारों धाम के तीर्थ पुरोहित लगातार विरोध कर रहे हैं. वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम की धारा-2 में चारों धाम के हक-हकूकदार, वंशानुगत पुजारी, गैर वंशानुगत पुजारी, पुजारी, रावल, न्यासी आदि के अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है.

सतपाल महाराज ने कहा उत्तर प्रदेश के समय से चली आ रही बदरीनाथ-केदारनाथ अधिनियम, 1939 में हक-हकूकों के अधिकारों की व्यवस्था नहीं की गई थी. जबकि चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम की धारा-2 में हक-हकूकदार, वंशानुगत पुजारी, गैर वंशानुगत पुजारी, रावल और न्यासी के अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है.

महाराज ने कहा कि अधिनियम की धारा-19 के तहत इन सभी के देय दस्तूरात और अधिकारों के मामलों को भी बोर्ड में यथावत रखने की व्यवस्था की गई है. विपक्ष पंडा-पुरोहितों और पुजारियों को उनके हक-हकूक को लेकर लगातार भ्रमित कर रहा है.

उन्होंने कहा कि देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के पुजारी, रावल, नायक रावल, पंडों के वंशानुगत और परंपरागत अधिकारों को संरक्षित किया गया है. इतना ही नहीं उनकी नियुक्ति एवं अधिकारों के संरक्षण के लिए बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के समस्त प्रावधानों को भी देवस्थानम बोर्ड में सम्मिलित किया गया है.

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इसलिए विपक्ष का बार-बार यह आरोप लगाना निराधार है कि देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से राज्य सरकार पवित्र चार धामों में सदियों पुरानी परंपराओं से छेड़छाड़ कर रही है. देवस्थानम बोर्ड अधिनियम की धारा-4 (7) में प्रथागत, वंशानुगत अधिकारों एवं हक-हकूकधारियों के अधिकारों से संबंधित किसी भी विषय या विवाद का निस्तारण के लिए चारधाम देवस्थानम बोर्ड द्वारा समिति गठन का प्रावधान किया गया है.

महाराज ने बताया किदेवस्थानम बोर्ड अधिनियम लागू होने से पहले बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर की व्यवस्थाओं के लिए उत्तर प्रदेश के समय बदरीनाथ केदारनाथ अधिनियम लागू था. इसके अतिरिक्त गंगोत्री धाम की व्यवस्था के लिए स्थानीय समिति एवं यमुनोत्री धाम के लिए उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित थी. इसमें प्रबंधन समिति का दूर-दूर तक कोई उल्लेख नहीं था.

सतपाल ने कहा देवस्थानम बोर्ड अधिनियम में चारधाम देवस्थानम बोर्ड तथा उच्च स्तरीय समिति के गठन का प्रावधान किया गया है. ताकि चारधाम एवं अन्य देवस्थानम क्षेत्रों का उचित प्रबंधन एवं अवस्थापना विकास के साथ-साथ चारधाम धार्मिक यात्रा के समुचित संचालन के लिए अंर्तविभागीय समन्वय स्थापित किया जा सके. चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड द्वारा चारों धामों केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री में आधारभूत संरचनाओं के विकास, प्रबंधन संचालन एवं तैनात कार्मिकों के वेतन आदि हेतू पर्याप्त बजट की व्यवस्था की जाती है.

महाराज ने कहा कि चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के परिप्रेक्ष्य में समग्र विचार के लिए सरकार मनोहरकांत ध्यानी पूर्व राज्यसभा सदस्य की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने जा रही है. इसलिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर विपक्ष का प्रलाप विशुद्ध राजनीति है.

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