देहरादून: उत्तराखंड भाजपा के कद्दावर नेता व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है. हरक सिंह का यह बयान तब आया है जब हाल ही में सरकार ने उन्हें भवन सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाया है. हरक के इस बयान के बाद उत्तराखंड में राजनीतिक उथल-पुथल होना तय है.
त्रिवेंद्र सरकार ने हाल ही में श्रम विभाग के अधीन कर्मकार कल्याण बोर्ड से हरक सिंह रावत को हटाया और बोर्ड के पुनर्गठन के नाम पर उनके करीबियों पर भी गाज गिराई, तो हरक सिंह रावत ने भी अपने एक बयान से भाजपा में उथल-पुथल मचा दी.
दरअसल, हरक सिंह रावत ने अब साल 2022 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया है. हरक सिंह रावत ने कहा कि अब उनकी विधानसभा चुनाव लड़ने की बिल्कुल भी इच्छा नहीं है और इस इच्छा को उन्होंने पार्टी हाईकमान को भी बता दिया है.
पढ़ें- उत्तराखंड की सड़कें होगी गड्ढा मुक्त, केंद्र देगा 500 करोड़
बता दें, बोर्ड के अध्यक्ष पद पर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत आसीन थे, लेकिन बोर्ड में तमाम अनियमितताओं के आरोपों के बीच उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. खास बात यह है कि अब हरक सिंह रावत के बोर्ड में नामित सदस्यों को भी उनकी जिम्मेदारियों से हटाया गया है. दरअसल, भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड को अब पूरी तरह से भंग कर दिया गया है. इसमें नए सदस्यों को जगह दी जाएगी. इस नए बोर्ड का कार्यकाल 3 साल का होगा.
हरक सिंह रावत के अध्यक्ष बनने के साथ ही शुरू हुआ था विवाद
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के अध्यक्ष बनने के साथ ही इस बोर्ड में लगातार एक के बाद एक कई विवाद सामने आते रहे. ये विवाद बीते 2017 से अब तक जारी है. बोर्ड में नियुक्ति से लेकर इसकी योजनाओं के संचालन तक में सवाल खड़े होते रहे. खास बात यह है कि इन सभी विवादों में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का नाम भी सुनाई देता रहा.
दरअसल, हरक सिंह रावत ने जब सरकार बनने के बाद साल 2017 में बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर कार्यभार संभाला, उसी समय उनके इस तरह पद संभालने पर सवाल खड़े हुए हैं. इस पद पर सचिव श्रम ही दायित्व संभालते रहे हैं, लेकिन साल 2017 में बीजेपी की सरकार बनने और श्रम विभाग हरक सिंह रावत को मिलने के बाद इस महत्वपूर्ण पद को उन्होंने ही संभाल लिया. जिसे नियमों के उल्लंघन के रूप में भी देखा गया.
इसके बाद यह भी बात कुछ धीमा हुआ ही था कि हरक सिंह रावत ने अपनी करीबी दमयंती को शिक्षा विभाग से प्रतिनियुक्ति पर इस बोर्ड में सचिव का पद दे दिया. इस पर तो जमकर विवाद हुआ और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे और हरक सिंह रावत के बीच प्रतिनियुक्ति के लिए एनओसी दिए बिना श्रम विभाग ने दमयंती को भेजने को लेकर आपसी रस्साकशी भी देखने को मिली. इतने विवाद के बाद भी हरक सिंह रावत ने दमयंती को इस पद पर बनाए रखा, जो आज भी यहां तैनात हैं.