देहरादून: प्रदेश में त्रिवेंद्र सरकार के चार साल पूरा होने को अभी केवल 10 दिन बचे हैं लेकिन राज्य में कुछ ऐसी परिस्थितियां बन रही हैं कि नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों ने तेजी पकड़ ली है. इससे पहले प्रदेश में त्रिवेंद्र सरकार के कैबिनेट विस्तार की खबरें भी सियासी गलियारों में गूंज रही थी, कयास लगाये जा रहे थे कि बजट सत्र के दौरान ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कैबिनेट विस्तार की घोषणा कर सकते हैं. मगर अब प्रदेश में पल-पल बदल रहे सियासी हालातों के बाद कैबिनेट विस्तार की स्थिति पर भी संशय बना हुआ है. जानकारों की मानें तो जबतक कैबिनेट का विस्तार नहीं हो जाता तबतक प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें बनी रहेंगी.
उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में शनिवार (6 मार्च) सुबह से ही हलचल मची हुई है. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ से पूर्व सीएम रमन सिंह को प्रदेश में पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा था. उनके उत्तराखंड पहुंचने के बाद भाजपा की कोर कमेटी की बैठक भी हुई. पूर्व सीएम रमन सिंह के उत्तराखंड आने के साथ ही नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट तेज हो गई थीं. कहा यह भी जा रहा है कि इस कोर कमेटी की बैठक में न सिर्फ नाराज चल रहे नेताओं को मनाने की कोशिश की जाएगी, बल्कि कैबिनेट विस्तार पर भी विस्तृत रूप से चर्चा की जा सकती है.
कई बार लगाई जा चुकी है नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें
कुल मिलाकर देखें तो साल 2017 में भारी बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल को मात्र 6 महीने बीतने के बाद ही नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी. इसके बाद से ही समय-समय पर नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें लगती रही हैं, मगर अभी तक नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट पर पूर्ण विराम नहीं लग पाया है.
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कैबिनेट विस्तार से नेतृत्व परिवर्तन पर लग जाएगा विराम
वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताया कि पिछले कुछ सालों से मुख्यमंत्री जितनी भी बार भी दिल्ली का दौरा करते हैं उतनी ही बार कैबिनेट विस्तार की चर्चा शुरू हो जाती है. मगर चार साल बीत जाने के बाद भी आज तक भी कैबिनेट विस्तार नहीं हो पाया है. साथ ही जय सिंह रावत ने कहा कि यह तो तय है कि अगर मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाता है तो नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों पर पूरी तरह से विराम लग जाएगा. अगर कैबिनेट का विस्तार नहीं होता है तो ऐसी सुगबुगाहटें हमेशा सामने आती रहेंगी.
राजनीतिक अस्थिरता नहीं है प्रदेश के हित में
यही नहीं, जय सिंह रावत ने कहा कि अगर इस साल कैबिनेट का विस्तार हो जाता है तो यह भी तय है कि आगामी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. ऐसे में जो उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है उसे समाप्त करने की जरूरत है, क्योंकि राजनीतिक अस्थिरता प्रदेश हित में ठीक नहीं है. लिहाजा, आलाकमान को चाहिए कि वह इस स्थिति से पर्दा हटा दें.
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चुनाव से कुछ महीने पहले भी हो सकता है नेतृत्व परिवर्तन
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अंतरिम सरकार में जब नित्यानंद स्वामी को हटाया गया था तब कुछ ही महीने सरकार के कार्यकाल को बचे थे. यही नहीं, जब रमेश पोखरियाल निशंक को हटाकर बीसी खंडूड़ी को दोबारा से नेतृत्व की जिम्मेदारी दी गई उस दौरान भी कुछ ही महीने बचे हुए थे. लिहाजा चुनाव से कुछ महीने पहले भी नेतृत्व परिवर्तन किया जा सकता है. मगर प्रदेश में अभी जो हालात हैं उसके अनुसार अगर कैबिनेट विस्तार कर दिया जाता है तो नेतृत्व परिवर्तन पर पूर्ण विराम लग जाएगा.
अब कैबिनेट विस्तार से राज्य को नहीं होगा फायदा
इस मामले में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी बताया कि मौजूदा समय में अगर त्रिवेंद्र सरकार कैबिनेट का विस्तार कर भी देती है तो उसका फायदा राज्य को नहीं मिलेगा. इतना जरूर है कि कैबिनेट विस्तार करने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इसका फायदा हो सकता है. क्योंकि, अब भाजपा सरकार के विदाई को मात्र एक साल बचा है. अगर राज्य सरकार कैबिनेट विस्तार करती है तो वह जनहित में नहीं होगा.