देहरादून: प्रदेश में कोविड कर्फ्यू के चलते व्यापार और रोजगार ठप पड़े हैं. ऐसे में छोटे व मध्यम वर्ग से लेकर प्रांतीय उद्योग व्यापार जगत तक आर्थिक रूप से कमजोर पड़ता जा रहा है. दून उद्योग व्यापार मंडल व प्रांतीय उद्योग व्यापार संघ के प्रतिनिधियों ने वर्चुअल बैठक की. इस दौरान राज्य सरकार से जीएसटी/पेनल्टी, इनकम टैक्स, पानी के बिलों का बोझ, बढ़ी हुई बिजली दरें/सरचार्ज, हाउस टैक्स, टेलीफोन कंपनियों के बिल, बैंकों की किश्तों के अलावा स्कूल व कॉलेज की लेट पेनल्टी फीस में राहत देने और सरकारी देनदारी में 6 माह की अतिरिक्त समय सीमा बढ़ाने की मांग रखी है.
व्यापारियों का कहना है कि कोविड कर्फ्यू के चलते व्यावसायिक संस्थानों में नौकरी करने वाले कामगारों के सामने भी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. उनका कहना है कि बैंकों द्वारा किश्तों का दबाव, पेनल्टी की चोट में जिस प्रकार मोरेटोरियम लागू हुआ था, उसमें ब्याज पर ब्याज वाली स्थिति से लोन अवधि प्रभावित हुई है. छोटे-बड़े व्यापारी कर्ज बोझ तले दबे हैं.
व्यापारियों को फ्रंटलाइन वॉरियर का मिले दर्जा- व्यापार मंडल
व्यापारियों ने सरकार से फ्रंटलाइन वॉरियर का दर्जा देने की मांग की है. साथ ही सरकार से व्यापारियों की स्वास्थ्य सुरक्षा को देखते हुए वैक्सीनेशन जल्द से जल्द सुनिश्चित करने की मांग की है, जिससे वो अपना व्यापार और अपने कर्मियों के परिवारों को आगे बढ़ा सकें.
पढ़ें- सरकार में बने दो पावर सेंटर, ओम प्रकाश 'सेर' या शत्रुघ्न होंगे 'सवा सेर'
स्कूलों के तुगलकी फरमान से मिले निजात
कोरोना कर्फ्यू के बावजूद स्कूल-कॉलेज अपनी फीस बढ़ोत्तरी और पेनल्टी को लेकर अभिभावकों के ऊपर लगातार दबाव बना रहे हैं. ऐसे में सरकार को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए. स्कूलों के बन्द होने से बच्चों का भविष्य अंधेरे में है. बावजूद इसके स्कूल बिल्डिंग फीस वसूलकर अभिभावकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का काम कर रहे हैं. सरकार को इस मामले की जांच कर स्कूल-कॉलेजों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए.