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पांच साल से दुकान आंवटन के इंतजार में व्यापारियों का टूटा सब्र, जमकर किया हंगामा

हाई-वे चौड़ीकरण के दौरान अपनी दुकान गंवा चुके लोगों ने अधिकारियों और ग्राम प्रधान के सामने अपना आक्रोश व्यक्त किया. उनका कहना है कि आज फीस भरने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं है.

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Published : May 15, 2019, 11:25 PM IST

rishikesh

ऋषिकेश: प्रतीत नगर ग्राम पंचायत में प्रशासन और ग्राम प्रधान की लापरवाही के कारण कई लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. पांच साल के बाद भी स्थानीय व्यापारियों को नई दुकानें आवंटित नहीं की गई हैं. जिस कारण पीड़ित लोगों ने दुकानों की मांग को लेकर एडीओ पंचायत के सामने हंगामा किया. इस दौरान उन्होंने दुकानों का आवंटन खुली लॉटरी से करवाने की मांग की.

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हाई-वे चौड़ीकरण के दौरान अपनी दुकान गंवा चुके लोगों ने अधिकारियों और ग्राम प्रधान के सामने अपना आक्रोश व्यक्त किया. उनका कहना है कि आज फीस भरने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं है. ग्राम पंचायत के सदस्यों ने उनसे वादा किया था कि 6 माह के भीतर उन्हें नई दुकानें आवंटित कर दी जाएगी, लेकिन 5 साल बीत गए अभी तक दुकानें बनाकर तैयार नहीं हुई हैं. उनका परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है.

वहीं पंचायत सदस्यों ने भी दुकानों की निर्माण प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने ग्राम प्रधान पर आरोप लगाते हुए कहा कि नियमों को ताक पर रखकर दुकानों का निर्माण किया जा रहा है. पंचायत सदस्यों के मुताबिक उन्हें दुकान बनने व आवंटन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी.

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वहीं गांव प्रधान शोभा रावत ने बताया कि 6 दुकानें बन चुकी हैं, बची हुई 19 दुकानों को भी जल्द बनाया जाएगा. कुछ विवाद के कारण ये दुकानें नहीं बन पाईं थीं. इस मामले में एडीओ पंचायत श्यामलाल जोशी ने बताया कि दोनों पक्षों से बात की गई है. यहां अभीतक 6 दुकानों का निर्माण हुआ है. जिसमें से 2 का आवंटन हुआ है. बाकि की 4 पर रोक लगा दी गई है.

ऋषिकेश: प्रतीत नगर ग्राम पंचायत में प्रशासन और ग्राम प्रधान की लापरवाही के कारण कई लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. पांच साल के बाद भी स्थानीय व्यापारियों को नई दुकानें आवंटित नहीं की गई हैं. जिस कारण पीड़ित लोगों ने दुकानों की मांग को लेकर एडीओ पंचायत के सामने हंगामा किया. इस दौरान उन्होंने दुकानों का आवंटन खुली लॉटरी से करवाने की मांग की.

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हाई-वे चौड़ीकरण के दौरान अपनी दुकान गंवा चुके लोगों ने अधिकारियों और ग्राम प्रधान के सामने अपना आक्रोश व्यक्त किया. उनका कहना है कि आज फीस भरने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं है. ग्राम पंचायत के सदस्यों ने उनसे वादा किया था कि 6 माह के भीतर उन्हें नई दुकानें आवंटित कर दी जाएगी, लेकिन 5 साल बीत गए अभी तक दुकानें बनाकर तैयार नहीं हुई हैं. उनका परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है.

वहीं पंचायत सदस्यों ने भी दुकानों की निर्माण प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने ग्राम प्रधान पर आरोप लगाते हुए कहा कि नियमों को ताक पर रखकर दुकानों का निर्माण किया जा रहा है. पंचायत सदस्यों के मुताबिक उन्हें दुकान बनने व आवंटन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी.

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वहीं गांव प्रधान शोभा रावत ने बताया कि 6 दुकानें बन चुकी हैं, बची हुई 19 दुकानों को भी जल्द बनाया जाएगा. कुछ विवाद के कारण ये दुकानें नहीं बन पाईं थीं. इस मामले में एडीओ पंचायत श्यामलाल जोशी ने बताया कि दोनों पक्षों से बात की गई है. यहां अभीतक 6 दुकानों का निर्माण हुआ है. जिसमें से 2 का आवंटन हुआ है. बाकि की 4 पर रोक लगा दी गई है.

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ऋषिकेश--प्रतीतनगर ग्राम पंचायत के सदस्यों ने हाइवे चौड़ीकरण से प्रभावित लोगों को रोजगार के लिए दुकानों के निर्माण व आवंटन करना था लेकिन पांच वर्ष बीत जाने के बावजूद प्रभावितों को दुकाने नही मिल पाई,अब उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो बच्चे स्कूल तक नही जा पा रहे हैं
,प्रभावित लोगों को दुकाने न मिलने और दुकान आवंटन में गड़बड़ी की शिकायत की जांच करने आये एडीओ पंचायत के सामने जमकर हंगामा किया और दुकानों के आवंटन के लिए खुली लाटरी करवाने की मांग की।


Body:वी/ओ--मंगलवार को दुकानों के निर्माण के सम्बंध में शिकायतकर्ता नंद किशोर कंडवाल द्वारा की गई शिकायत की जांच हुई। एडीओ पंचायत ने दोनों पक्षो को सुना। वहीं इस दौरान कई पंचायत सदस्यों दुकानों की निर्माण प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उनका आरोप था कि ग्राम प्रधान ने नियम कानून ताक पर रख दिए हैं। न दुकान बनाने व न आवंटन की जानकारी सदस्यों को दी गयी। लाटरी कराए बगैर ही दुकानों का निर्माण व इनके आवंटन भी कर दिया गया है।वहीं रोड चौड़ीकरण में अपनी दुकान गंवा चुके लोगों ने भी अधिकारी और प्रधान को आड़े हाथों लिया रोड चौड़ीकरण में कई लोगों की दुकानें टूट गई आज उनके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है यहां तक की फीस भरने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं है वहीं कुछ लोग सदमे का भी शिकार हो गए थे दुकान टूटने के बाद ग्राम पंचायत ने उनके लिए दुकान 6 माह के भीतर बनाने का वादा किया था लेकिन 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक दुकानें बनाकर नहीं दिए जिस कारण अब उनका परिवार भुखमरी के कगार पर आकर खड़ा हो गया है।

बाईट--पीड़ित
बाईट--पीड़ित


संदेह के घेरे में जांच अधिकारी की भूमिका -

जांच अधिकारी ने तीन दुकानों के आवंटन पर तो रोक लगा दी लेकिन बाकी तीन दुकानों के सम्बंध में चुप्पी साध ली। वहीं जांच अधिकारी के प्रधानपति के साथ होटल में लंच करने पर भी लोगों ने सवाल उठाए हैं। अधिकारी से यह भी पूछा गया कि क्या दुकानों का निर्माण कार्य नियमों के अनुसार हो रहा है तो अधिकारी ने कहा कि सभी दुकाने नियमानुसार ही बन रही हैं जबकि यह सभी दुकानों का पहले लॉटरी सिस्टम से हो नीलामी होनी थी उसके बाद उन्हीं पैसों से इन दुकानों का निर्माण होना था लेकिन मोटी जेब भरने के लिए मोटे पैसे लेकर 6 दुकाने बनाई जिसमे से पूंजी पतियों को 2 दुकानें आवंटित भी कर दी गई।

बाईट--श्यामलाल जोशी(एडीओ पंचायत,विकास खंड डोईवाला)
बाईट--शोभा रावत(ग्राम प्रधान प्रतीत नगर,रायवाला)


Conclusion:यह है मामला : -

हरिद्वार-दून हाइवे के चौड़ीकरण के दौरान रायवाला बाजार के 90 दुकानदार प्रभावित हुए। ग्राम पंचायत प्रतीतनगर ने ग्राम सभा में उपलब्ध पंचायती जमीन पर 26 दुकानें बनाकर प्रभावित लोगों को देने का प्रस्ताव तैयार किया ताकि जरूरतमंद लोगों को राहत मिल मिल सके। प्रभावितों की संख्या अधिक व दुकानों के संख्या कम होने की वजह से आवंटन के लिए लाटरी सिस्टम तय किया गया।


इसमें सबसे पहले लाटरी सिस्टम से किराएदारों का चयन करना और फिर चयनित प्रत्येक दुकानदार से दो लाख रूपये धरोहर राशि लेकर दुकानों का निर्माण कार्य शुरू होना था। नियमानुसार इसकी सूचना समाचार पत्र, पंचायत की बैठक व सूचना पट के माध्यम से प्रत्येक प्रभावित दुकानदार को दी जानी थी जिससे कि सभी लाटरी प्रक्रिया में भाग ले सकें और पारदर्शिता बनी रहे। 


यहां हुई गड़बड़ी : -

प्रतीतनगर पंचायत ने जिला पंचायत राज अधिकारी के आदेशों को ताक पर रख कर लाटरी कराए बगैर ही छह दुकानें बना दी। इनमें से तीन का आवंटन भी कर दिया गया। वहीं जब पूर्व उप प्रधान नंद किशोर कंडवाल ने सूचना अधिकार के तहत इसकी जानकारी मांगी तो लोक सूचना अधिकारी इस बात का जवाब नहीं दे पाए कि इनके निर्माण के लिए बजट कहां से आया। खास बात यह है कि सूचनाएं भी अलग-अलग व भ्रामक दी गयी हैं। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि कुछ चहेतों से गुपचुप रूप से धरोहर राशि लेकर दुकानें बनाई गई हैं।

बाईट--नंदकिशोर(शिकायतकर्ता)

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