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उत्तराखंड में BSP की वापसी, यूपी में जीती सिर्फ एक सीट यहां मिलीं दो

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Published : Mar 11, 2022, 2:25 PM IST

Updated : Mar 11, 2022, 6:06 PM IST

उत्तर प्रदेश में जहां बहुजन समाज पार्टी ने 2017 में 19 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं चार बार यूपी की मुख्यमंत्री बन चुकी मायावती की पार्टी को इस चुनाव में महज 1 सीट से संतोष करना पड़ा है. इस के उलट उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीएसपी दो सीटें जीती हैं. लक्सर से मोहम्मद शहजाद और मंगलौर से सरवत करीम अंसारी ने जीत हासिल कर सूखा खत्म किया है.

Uttarakhand Politics News
बीएसपी ने फिर की वापसी

देहरादून: उत्तराखंड में मोदी लहर में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने वापसी की है. जहां एक ओर जनता ने बीजेपी को 47 सीट जिताकर सिरमौर बनाया है, वहीं कांग्रेस 19 सीटों पर सिमट गई है. इस चुनाव में बीएसपी ने भी दो सीटें जीती हैं. हरिद्वार की मंगलौर और लक्सर सीट पर बसपा प्रत्याशियों की जीत के साथ ही पार्टी विधानसभा में वापसी करने में कामयाब रही है. राज्य गठन के बाद बीएसपी तीन चुनावों में बड़ी ताकत के रूप में उभरी थी. उधर, 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा 3 विधायकों पर सिमट गई थी. हालांकि बसपा ने किंग मेकर की भूमिका निभाई और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल हुई. इस बार लक्सर से मोहम्मद शहजाद और मंगलौर से सरवत करीम अंसारी ने जीत हासिल की है.

उत्तराखंड में पार्टी को मिली सीटें: गौर हो कि बहुजन समाजवादी पार्टी इस बार उत्तर प्रदेश के मुकाबले उत्तराखंड में मजबूत स्थिति में दिखाई दी. उत्तर प्रदेश में जहां बहुजन समाज पार्टी ने 2017 में 19 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं चार बार यूपी की मुख्यमंत्री बन चुकी मायावती की पार्टी को इस चुनाव में महज 1 सीट से संतोष करना पड़ा है. बलिया (यूपी) की रसड़ा विधानसभा सीट से केवल उमाशंकर सिंह जीते हैं. वहीं दूसरी और उत्तराखंड में पार्टी ने 2017 का सूना दूर किया है. पार्टी के दो प्रत्याशी मोदी लहर में भी जीत हासिल करने में कामयाब रहे.

हरिद्वार की मंगलौर और लक्सर सीटों पर बसपा प्रत्याशियों की जीत के साथ ही बसपा उत्तराखंड विधानसभा में वापसी करने में कामयाब रही है. पार्टी प्रत्याशियों की जीत के बाद बसपा में खुशी का माहौल है. प्रत्याशियों ने भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर देकर हराया है.
पढ़ें- धामी फिर बन सकते हैं उत्तराखंड के CM, ये रहे दो रास्ते और बाकी दावेदार

कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल: उत्तराखंड के पिछले चुनावों में बसपा के प्रदर्शन की बात करें तो बीएसपी को 2002 के विधानसभा चुनाव में 7 सीटें मिली थीं. 2002 में इकबालपुर सीट से चौधरी यशवीर सिंह, लंढौरा से हरिदास, मंगलौर से निजामुद्दीन, बहादराबाद से मोहम्मद शहजाद, लालढांग से तस्लीम अहमद, पंतनगर गदरपुर से प्रेम चंद्र महाजन और सितारगंज सीट से नारायण विधायक के रूप में चुने गए थे. तब प्रदेश में बसपा को 10.93 प्रतिशत वोट मिले थे.

पार्टी ने 2007 के विधानसभा चुनाव में आठ सीटें जीती और उनका जीत प्रतिशत 11.76 रहा. इकबालपुर सीट से चौधरी यशवीर सिंह, लंढौरा से हरिदास, मंगलौर से निजामुद्दीन, बहादराबाद से मोहम्मद शहजाद, पंतनगर गदरपुर से प्रेम चंद्र महाजन, सितारगंज से नारायण, भगवानपुर से सुरेंद्र राकेश और लालढांग से तस्लीम अहमद विजयी हुए थे.

वहीं, 2012 में बसपा का वोट प्रतिशत तो बढ़कर 12.99 प्रतिशत पर पहुंच गया लेकिन पार्टी को केवल तीन सीटों से संतोष करना पड़ा. ये सीटें- मंगलौर से सरवत करीम अंसारी, भगवानपुर से सुरेंद्र राकेश और झबरेड़ा से हरिदास के खाते में गईं. बसपा 3 विधायकों पर तो सिमट गई लेकिन किंग मेकर की भूमिका में आकर कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल हुई. भगवानपुर से विधायक सुरेंद्र राकेश बसपा कोटे के कैबिनेट मंत्री भी बने.

वहीं, 2017 विधानसभा चुनाव बसपा के लिए बुरे सपने जैसा रहा. पार्टी राज्य में एक भी सीट नहीं जीत पाई, साथ ही पार्टी का वोट शेयर भी गिरकर 6.98 प्रतिशत पर चला गया. हालांकि, खुद को पुनर्जीवित करते हुए 2022 के चुनाव में लक्सर से मोहम्मद शहजाद और मंगलौर से सरवत करीम अंसारी ने जीत हासिल कर बसपा का सूखा खत्म किया है.

वापसी का कारण: हरिद्वार की दो सीटों पर जीत हासिल कर वापसी करने वाली बसपा के लिए वापसी इसलिए मुमकिन हो पाई क्योंकि लक्सर के बीजेपी प्रत्याशी संजय गुप्ता की निष्क्रियता जहां बसपा को मजबूत कर रही थी. इसके साथ ही संजय गुप्ता की सीट पर बीजेपी का भितरघात भी बसपा को संजीवनी दे गया. वहीं, मंगलौर से सरवत करीम अंसारी का व्यवहार और उनके प्रति लोगों का जुड़ाव बसपा को एक बार फिर से मंगलौर में स्थापित कर दिया.

बता दें कि, हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों में बसपा का अच्छा खासा जनाधार है. इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपी की चार बार की मुख्यमंत्री रही मायावती भी हरिद्वार जनपद से चुनाव लड़ चुकी हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में मोदी लहर में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने वापसी की है. जहां एक ओर जनता ने बीजेपी को 47 सीट जिताकर सिरमौर बनाया है, वहीं कांग्रेस 19 सीटों पर सिमट गई है. इस चुनाव में बीएसपी ने भी दो सीटें जीती हैं. हरिद्वार की मंगलौर और लक्सर सीट पर बसपा प्रत्याशियों की जीत के साथ ही पार्टी विधानसभा में वापसी करने में कामयाब रही है. राज्य गठन के बाद बीएसपी तीन चुनावों में बड़ी ताकत के रूप में उभरी थी. उधर, 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा 3 विधायकों पर सिमट गई थी. हालांकि बसपा ने किंग मेकर की भूमिका निभाई और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल हुई. इस बार लक्सर से मोहम्मद शहजाद और मंगलौर से सरवत करीम अंसारी ने जीत हासिल की है.

उत्तराखंड में पार्टी को मिली सीटें: गौर हो कि बहुजन समाजवादी पार्टी इस बार उत्तर प्रदेश के मुकाबले उत्तराखंड में मजबूत स्थिति में दिखाई दी. उत्तर प्रदेश में जहां बहुजन समाज पार्टी ने 2017 में 19 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं चार बार यूपी की मुख्यमंत्री बन चुकी मायावती की पार्टी को इस चुनाव में महज 1 सीट से संतोष करना पड़ा है. बलिया (यूपी) की रसड़ा विधानसभा सीट से केवल उमाशंकर सिंह जीते हैं. वहीं दूसरी और उत्तराखंड में पार्टी ने 2017 का सूना दूर किया है. पार्टी के दो प्रत्याशी मोदी लहर में भी जीत हासिल करने में कामयाब रहे.

हरिद्वार की मंगलौर और लक्सर सीटों पर बसपा प्रत्याशियों की जीत के साथ ही बसपा उत्तराखंड विधानसभा में वापसी करने में कामयाब रही है. पार्टी प्रत्याशियों की जीत के बाद बसपा में खुशी का माहौल है. प्रत्याशियों ने भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर देकर हराया है.
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कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल: उत्तराखंड के पिछले चुनावों में बसपा के प्रदर्शन की बात करें तो बीएसपी को 2002 के विधानसभा चुनाव में 7 सीटें मिली थीं. 2002 में इकबालपुर सीट से चौधरी यशवीर सिंह, लंढौरा से हरिदास, मंगलौर से निजामुद्दीन, बहादराबाद से मोहम्मद शहजाद, लालढांग से तस्लीम अहमद, पंतनगर गदरपुर से प्रेम चंद्र महाजन और सितारगंज सीट से नारायण विधायक के रूप में चुने गए थे. तब प्रदेश में बसपा को 10.93 प्रतिशत वोट मिले थे.

पार्टी ने 2007 के विधानसभा चुनाव में आठ सीटें जीती और उनका जीत प्रतिशत 11.76 रहा. इकबालपुर सीट से चौधरी यशवीर सिंह, लंढौरा से हरिदास, मंगलौर से निजामुद्दीन, बहादराबाद से मोहम्मद शहजाद, पंतनगर गदरपुर से प्रेम चंद्र महाजन, सितारगंज से नारायण, भगवानपुर से सुरेंद्र राकेश और लालढांग से तस्लीम अहमद विजयी हुए थे.

वहीं, 2012 में बसपा का वोट प्रतिशत तो बढ़कर 12.99 प्रतिशत पर पहुंच गया लेकिन पार्टी को केवल तीन सीटों से संतोष करना पड़ा. ये सीटें- मंगलौर से सरवत करीम अंसारी, भगवानपुर से सुरेंद्र राकेश और झबरेड़ा से हरिदास के खाते में गईं. बसपा 3 विधायकों पर तो सिमट गई लेकिन किंग मेकर की भूमिका में आकर कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल हुई. भगवानपुर से विधायक सुरेंद्र राकेश बसपा कोटे के कैबिनेट मंत्री भी बने.

वहीं, 2017 विधानसभा चुनाव बसपा के लिए बुरे सपने जैसा रहा. पार्टी राज्य में एक भी सीट नहीं जीत पाई, साथ ही पार्टी का वोट शेयर भी गिरकर 6.98 प्रतिशत पर चला गया. हालांकि, खुद को पुनर्जीवित करते हुए 2022 के चुनाव में लक्सर से मोहम्मद शहजाद और मंगलौर से सरवत करीम अंसारी ने जीत हासिल कर बसपा का सूखा खत्म किया है.

वापसी का कारण: हरिद्वार की दो सीटों पर जीत हासिल कर वापसी करने वाली बसपा के लिए वापसी इसलिए मुमकिन हो पाई क्योंकि लक्सर के बीजेपी प्रत्याशी संजय गुप्ता की निष्क्रियता जहां बसपा को मजबूत कर रही थी. इसके साथ ही संजय गुप्ता की सीट पर बीजेपी का भितरघात भी बसपा को संजीवनी दे गया. वहीं, मंगलौर से सरवत करीम अंसारी का व्यवहार और उनके प्रति लोगों का जुड़ाव बसपा को एक बार फिर से मंगलौर में स्थापित कर दिया.

बता दें कि, हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों में बसपा का अच्छा खासा जनाधार है. इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपी की चार बार की मुख्यमंत्री रही मायावती भी हरिद्वार जनपद से चुनाव लड़ चुकी हैं.

Last Updated : Mar 11, 2022, 6:06 PM IST
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