देहरादूनः समूचे भारत में करीबन एक करोड़ लोग मिर्गी के मरीज हैं. वहीं, भारत में करीब 15 लाख प्रजनन योग्य आयु वाली महिलाएं मिर्गी से ग्रसित हैं. यदि सही दवा दी जाए तो मिर्गी से ग्रस्त 70 प्रतिशत लोगों को दौरों से मुक्ति मिल सकती है.
बता दें कि, प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. महेश कुड़ियाल ने मिर्गी के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि समाज में इस बीमारी को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां सामने आई हैं. जिसके लिए घबराने व चिंतित होने की जरूरत नहीं है. यह बीमारी 80 प्रतिशत दवाइयों से ठीक हो जाती है. मुख्यतः यह बीमारी गंदगी के कारण पनप रही है.
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वहीं, आजकल पहाड़ी क्षेत्रों में भी ये बीमारी होने लगी है. जिसका मुख्य कारण यह है कि लोग बाजारों की सब्जियों पर निर्भर हैं, यदि इस बीमारी से निजात पानी है, तो सब्जियों को ढंग से धोकर ही उपयोग में लाना चाहिए. डॉ. महेश कुरियाल के मुताबिक प्रत्येक दिन उनके पास मिर्गी के तीस मरीज अपना इलाज कराने आते हैं. ऐसे में मिर्गी से घबराने की आवश्यकता नहीं है, इस बीमारी का इलाज संभव है.
दरअसल, मिर्गी सबसे आम स्नायविक विकारों मे से एक है. यह मस्तिष्क की ठीक ना होने वाली बीमारी है, जो एक दूसरे से नहीं फैलती है. वहीं, दुनिया भर में इससे करीब 50 मिलियन लोग ग्रसित हैं. जिनमें से अधिकतर विकासशील देशों के निवासी हैं, वहीं, भारत में करीब 2.73 मिलियन महिलाएं मिर्गी से ग्रसित हैं,और इनमें से 52 प्रतिशत प्रजनन योग्य (15-49 वर्ष ) आयु की होती हैं. वहीं, मोटे अनुमान के अनुसार तीन मिलियन लोगों को ऐसी मिर्गी है जिस पर दवा का असर नहीं होता.