देहरादूनः उत्तराखंड में पेपर लीक का मामला लगातार सुर्खियों में है. इसी बीच उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हाल ही हुई आईलेट्स (IELTS) परीक्षा की ओएमआर सीट से रास्ते में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. इसके अलावा पटवारी लेखपाल परीक्षा को लेकर सवाल उठाए थे. जिस पर उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने स्पष्टीकरण दिया था. भले ही आयोग ने अपना स्पष्टीकरण दिया हो, लेकिन उसके बाद भी बेरोजगार संघ अपने बयानों पर अडिग है. अब संघ ने आयोग के सामने कई चुनौतियां रखी है.
उत्तराखंड में परीक्षा में धांधली को लेकर आंदोलन अपने चरम पर है. बेरोजगार युवाओं के आंदोलनों के बावजूद भी परीक्षाओं में किसी न किसी तरह की लापरवाही देखने को मिल रही है. ऐसी लापरवाही हाल ही में हुई पटवारी परीक्षा में भी देखने को मिली थी. जिसमें एक अभ्यर्थी ने पेपर की सील टूट होने की कथित शिकायत की थी. हालांकि, उत्तराखंड सरकार की ओर से नकल विरोधी कानून के तहत इस अभ्यर्थी के खिलाफ पहली कार्रवाई की गई थी.
इसके बाद तमाम अन्य परीक्षाएं हुई, लेकिन इनकी पारदर्शिता को लेकर भी उत्तराखंड बेरोजगार संघ संतुष्ट नहीं है. बेरोजगार संघ का नेतृत्व कर रहे बॉबी पंवार ने कई संगीन आरोप आयोग पर लगाए हैं. बॉबी का कहना था कि लोक सेवा आयोग केवल गुमराह करने का काम कर रहा है. इसी कड़ी में बीते दिनों बॉबी पंवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि बीती 25 फरवरी 2023 को देहरादून में इंटरनेशनल इंग्लिश लेंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम (आईलेट्स) परीक्षा का पेपर हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि जिस कंटेनर में प्रश्न पत्र मौजूद होते हैं, उस कंटेनर को मोहंड क्षेत्र में देहरादून और रुड़की की दो गाड़ियों ने रोककर ताला तोड़ा गया था. ऐसे आशंका है कि प्रश्न पत्र की सील तोड़ी गई है.
वहीं, उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने साबित किया है कि परीक्षा के दौरान पेपर और उत्तर पुस्तिका लाने और ले जाने का काम कर रहे वाहन के साथ भी छेड़खानी की जा सकती है. उन्होंने कुछ कथित वीडियो के आधार पर यह दावा किया है. हालांकि, लोक सेवा आयोग की तरफ से इन वीडियो पर कुछ नहीं कहा गया है. केवल परीक्षा की पारदर्शी प्रक्रिया के बारे में अपनी प्रेस रिलीज में जानकारी दी गई है.
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने दिया स्पष्टीकरणः उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के सचिव जीएस रावत की ओर से जारी स्पष्टीकरण के मुताबिक, जो भी परीक्षाएं आयोजित की जाती है, उसमें गोपनीयता, पारदर्शिता के साथ सील बंद वाहन से गोपनीय सामग्री आयोग को भेजी जाती है. इस सीलबंद वाहन को आयोग के उच्च अधिकारियों की मौजूदगी में पूरी वीडियोग्राफी के साथ खोला जाता है.
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इसके बाद सीलबंद गोपनीय डिब्बों को संबंधित जिलों में सुरक्षा के साथ कोषागारों के डबल लॉक में सुरक्षित रखा जाता है. आयोग का कहना है कि इसे नोडल अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपा जाता है. जबकि, परीक्षा के दिन सीलबंद डिब्बों को संबंधित जिलों के कोषागार के डबल लॉक से निकालकर समय से परीक्षा केंद्रों पर सेक्टर मजिस्ट्रेट की ओर से उत्तरदायी अधिकारियों को दिया जाता है.
आयोग का कहना है कि संबंधित परीक्षा केंद्र के प्रधानाचार्य, केंद्र पर्यवेक्षक, कक्ष निरीक्षक और आयोग प्रतिनिधि की मौजूदगी में तय समय पर इन गोपनीय सीलबंद डिब्बों को वीडियोग्राफी के साथ परीक्षा केंद्रों पर खोला जाता है. ऐसे में प्रश्नपत्र लीक होने का सवाल ही नहीं उठता है. इसके अलावा आयोग ने 20 मार्च को प्रसारित सूचना को तथ्यहीन करार दिया है. वहीं, पेपर और उत्तर पुस्तिका लाने और ले जाने वाले वाहन के साथ रास्ते में क्या घटना हुई? इसको लेकर के आयोग के बयान में कुछ स्पष्ट नहीं है.
जिस अभ्यर्थी ने सवाल उठाए उसी पर नकल विरोधी कानून लगाया गयाः उधर, बॉबी पंवार का कहना है कि सरकार ने नकल विरोधी कानून लाया है, लेकिन इस कानून के तहत पहली कार्रवाई उसी अभ्यर्थी के खिलाफ हुई है, जिसने खराब सिस्टम पर सवाल उठाया. साथ ही उनका कहना है कि वो एक बार फिर से परीक्षाओं में होने वाली धांधली को लेकर खुले तौर से आरोप लगा रहे हैं. सरकार को यदि मुकदमा करना है तो सरकार मुकदमा कर सकती है. उनका कहना है कि उनकी लड़ाई इस खोखले सिस्टम के खिलाफ लगातार जारी रहेगी.
बॉबी पंवार ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को चुनौती दी है कि जिस तरह से यूकेपीएससी के अधिकारी यह कहते हुए नजर आए कि रास्ते में गड्ढों के चलते सील टूट सकती है तो आयोग यह साबित करके दिखाए कि कैसे आखिर रास्ते में गड्ढों के जरिए सील टूट सकती है? साथ ही बेरोजगार संघ का कहना है कि उन्होंने दावा किया था कि रास्ते में भी उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़खानी की जा सकती है, जो उन्होंने अपने कुछ तथ्यों के माध्यम से सामने रखे हैं. ईटीवी भारत बेरोजगार संघ की तरफ से जारी वीडियो की पुष्टि नहीं करता.