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कृषि कानूनों पर BJP करेगी प्रदेश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस, गिनाएगी लाभ

दिल्ली-पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 18 दिन पूरे हो चुके हैं. इस मुद्दे पर किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है. लेकिन, अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है. इसी को लेकर अब राज्य सरकार की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस का दौर चलाया जाएगा.

देहरादून
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Published : Dec 14, 2020, 7:02 AM IST

देहरादून: नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. उत्तराखंड के किसानों का भी इस आंदोलन में समर्थन देखने को मिल रहा है. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार की समस्या बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. बेकाबू होते इस किसान आंदोलन का सामना करने के लिए बीजेपी ने व्यापक स्तर पर जन जागरण करने की रणनीति बनाई है. इसके तहत उत्तराखंड में भी बीजेपी ताबड़तोड़ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रही है.

BJP करेगी प्रदेश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस
BJP करेगी प्रदेश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस
बता दें कि, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कृषि कानूनों के व्यापक प्रचार और जनजागरण के लिए प्रत्येक जनपद में पत्रकार वार्ता करने के निर्देश दिए हैं. उनका कहना है कि सभी लोगों को इस कानून के बारे में बताया जाए और इससे होने वाले लाभ से भी उन्हें अवगत किया जाए.

पढ़ें- उत्तराखंड से किसानों का जत्था दिल्ली के लिए हुआ रवाना, देहरादून में कांग्रेस ने किया प्रदर्शन

प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को जिला मुख्यालय में जाकर कृषि विधेयकों से किसानों को होने वाले लाभ को विस्तार से पत्रकारों के माध्यम से जनता को बताने के लिए कहा गया है. किसानों की मांगों को लेकर लगातार केंद्र सरकार और किसानों के बीच बैठक का दौर जारी है. सरकार द्वारा लगातार उन्हें भरोसा दिलाया जा रहा है कि यह कानून किसानों के हित में लाया गया है. वहीं, किसानों का भी कहना है कि जबतक इन तीनों कानूनों को वापस नहीं ले लिया जाता तबतक उनका आंदोलन जारी रहेगा.

ये हैं तीन नए कृषि कानून

1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) कानून-2020

प्रावधान- किसानों और व्यापारियों को राज्यों में स्थित कृषि उत्पाद बाजार समिति से बाहर भी उत्पादों की खरीद-बिक्री की छूट प्रदान की गई है. इसका उद्देश्य व्यापार व परिवहन लागत को कम करके किसानों के उत्पाद को अधिक मूल्य दिलवाना है. ई-ट्रेडिंग के लिए सुविधाजनक तंत्र विकसित करना है.

2. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020

प्रावधान- अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज व आलू आदि को आवश्यक वस्तु की सूची से हटाना. युद्ध जैसी अपवाद स्थितियों को छोड़कर इन उत्पादों के संग्रह की सीमा तय नहीं की जाएगी.

3. कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून-2020

प्रावधान- किसानों को कृषि कारोबार करने वाली कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों व संगठित खुदरा विक्रेताओं से सीधे जोड़ना. कृषि उत्पादों का पूर्व में ही दाम तय करके कारोबारियों के साथ करार की सुविधा प्रदान करना. पांच हेक्टेयर से कम भूमि वाले सीमांत व छोटे किसानों को समूह व अनुबंधित कृषि का लाभ देना. देश के 86 फीसदी किसानों के पास पांच हेक्टेयर से कम जमीन है.

देहरादून: नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. उत्तराखंड के किसानों का भी इस आंदोलन में समर्थन देखने को मिल रहा है. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार की समस्या बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. बेकाबू होते इस किसान आंदोलन का सामना करने के लिए बीजेपी ने व्यापक स्तर पर जन जागरण करने की रणनीति बनाई है. इसके तहत उत्तराखंड में भी बीजेपी ताबड़तोड़ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रही है.

BJP करेगी प्रदेश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस
BJP करेगी प्रदेश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस
बता दें कि, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कृषि कानूनों के व्यापक प्रचार और जनजागरण के लिए प्रत्येक जनपद में पत्रकार वार्ता करने के निर्देश दिए हैं. उनका कहना है कि सभी लोगों को इस कानून के बारे में बताया जाए और इससे होने वाले लाभ से भी उन्हें अवगत किया जाए.

पढ़ें- उत्तराखंड से किसानों का जत्था दिल्ली के लिए हुआ रवाना, देहरादून में कांग्रेस ने किया प्रदर्शन

प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को जिला मुख्यालय में जाकर कृषि विधेयकों से किसानों को होने वाले लाभ को विस्तार से पत्रकारों के माध्यम से जनता को बताने के लिए कहा गया है. किसानों की मांगों को लेकर लगातार केंद्र सरकार और किसानों के बीच बैठक का दौर जारी है. सरकार द्वारा लगातार उन्हें भरोसा दिलाया जा रहा है कि यह कानून किसानों के हित में लाया गया है. वहीं, किसानों का भी कहना है कि जबतक इन तीनों कानूनों को वापस नहीं ले लिया जाता तबतक उनका आंदोलन जारी रहेगा.

ये हैं तीन नए कृषि कानून

1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) कानून-2020

प्रावधान- किसानों और व्यापारियों को राज्यों में स्थित कृषि उत्पाद बाजार समिति से बाहर भी उत्पादों की खरीद-बिक्री की छूट प्रदान की गई है. इसका उद्देश्य व्यापार व परिवहन लागत को कम करके किसानों के उत्पाद को अधिक मूल्य दिलवाना है. ई-ट्रेडिंग के लिए सुविधाजनक तंत्र विकसित करना है.

2. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020

प्रावधान- अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज व आलू आदि को आवश्यक वस्तु की सूची से हटाना. युद्ध जैसी अपवाद स्थितियों को छोड़कर इन उत्पादों के संग्रह की सीमा तय नहीं की जाएगी.

3. कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून-2020

प्रावधान- किसानों को कृषि कारोबार करने वाली कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों व संगठित खुदरा विक्रेताओं से सीधे जोड़ना. कृषि उत्पादों का पूर्व में ही दाम तय करके कारोबारियों के साथ करार की सुविधा प्रदान करना. पांच हेक्टेयर से कम भूमि वाले सीमांत व छोटे किसानों को समूह व अनुबंधित कृषि का लाभ देना. देश के 86 फीसदी किसानों के पास पांच हेक्टेयर से कम जमीन है.

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