देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 नजदीत है तो नेताओं ने गड़े मुर्दे उखाड़ने शुरू कर दिए हैं. चुनाव के पहले धार्मिक मुद्दों को उठाया जाने लगा है. जुम्मे की नमाज पर छुट्टी देने को लेकर हरीश रावत ने सुबह बीजेपी पर पटलवार किया था. वहीं अब इस मामले पर बीजेपी से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने हरीश रावत पर हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेला का आरोप लगाया है.
हरीश रावत के ट्वीट का जवाब देते हुए बीजेपी से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि आदरणीय रावत जी, आज आपने फिर बड़ी सफाई के साथ कांग्रेस की डूबती नैया बचाने के लिए हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेला है. इस कार्ड को आप अपनी 'राजनीतिक संजीवनी' मानते आए हैं. स्वाभाविक है सत्ता पाने के लिए कांग्रेस हर बार इस धार्मिक कार्ड का उपयोग करती आई है. इसके अनगिनत उदाहरण हैं.
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अनिल बलूनी ने आगे लिखा कि जनता जनार्दन सब कुछ जानती है. जनता जानती है कि भाजपा 'सबका साथ, सबका विकास' में विश्वास करती है. जबकि कांग्रेस विशुद्ध तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है और इसके ज्वलंत उदाहरण आप हैं.
अनिल बलूनी ने कहा कि जनता को याद है जब आपने मुख्यमंत्री रहते हुए जुमे की नमाज के लिए छुट्टी का आदेश निकाला था. जनता को याद है जब आप बार-बार विशेष संदेश देने के लिए निरंतर मुस्लिम धार्मिक स्थानों की यात्रा करते रहते थे, मदरसों का गुणगान करते थे.
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हम सभी को देश का नागरिक मानते हैं, सबके लिए बराबर मनोभाव और सम्मान रखते हैं. आज देश मे एक ऐसी सरकार हैं, जो बिना भेदभाव और तुष्टिकरण के विकास के लिए संकल्पबद्ध है. आपकी तुष्टिकरण की चालों और नीतियों की जनता को याद दिलाने की जरूरत नहीं है. किंतु आप जैसे वरिष्ठ नेता से अपेक्षा रहती है कि उत्तराखंड के विकास के मुद्दे पर आप सार्थक बहस करते, उसका चौतरफा स्वागत होता.
वही हरीश रावत के ट्वीट पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र भसीन का भी बयान आया है. उन्होंने बताया कि साल साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की कैबिनेट में जो निर्णय लिया था वह ऑन रिकॉर्ड है. ऐसे में अगर खुद हरीश रावत इसका खंडन करते हैं तो इससे साफ जाहिर है कि वह अपने ही फैसले को झूठा ठहरा रहे हैं और लोगों को धोखा दे रहे हैं. लिहाजा कांग्रेस की जो झूठ बोलने की राजनीति है वह अब जगजाहिर हो गई है.
हरीर रावत ने भी दिया जवाब: हरीश रावत ने राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की पोस्ट पर लिखा कि
बलूनी जी आपकी पोस्ट पढ़ने के बाद मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि ये आपकी पार्टी की सोशल मीडिया टीम के लोग थे, जिन्होंने एक रोजा इफ्तार पार्टी में मेरी पहनी हुई टोपी को लेकर मेरी फोटो वायरल कर धार्मिक प्रदूषण फैलाने की कुचेष्टा की. 2017 के चुनाव में आपकी पार्टी के लोगों ने घर-घर मेरी टोपी पहने हुई फोटो को लोगों को दिखाकर उनकी धार्मिक भावनाओं को उकेरने का कुप्रयास किया.
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बता दें कि साल 2016 में हरीश रावत सरकार ने एक विशेष समुदाय के सरकारी कर्मचारियों को नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को डेढ़ घंटे की छुट्टी दी थी. 18 दिसंबर 2016 को कैबिनेट बैठक में यह प्रस्ताव सामने आया था. हालांकि तब मामले ने काफी तुल पकड़ लिया था. विपक्षी दल भाजपा ने इसका काफी विरोध किया था. इसके बाद तत्कालिक सरकार ने इस फैसले के साथ ही इस बात को भी कह दिया था कि किसी भी समुदाय के लोग अपने त्योहार पर छुट्टी ले सकते हैं. चुनाव से पहले ये मामले एक फिर चर्चाओं में आ गया.
हरीश रावत ने शनिवार सुबह को ट्वीट कर इस मामले को बीजेपी का सफेद झूठ कहा था. इनता ही नहीं हरीश रावत ने तो पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पीएम मोदी की टोपी पहने हुए कुछ फोटो भी शेयर की थी, जिसका जवाब शाम को सोशल मीडिया पर बीजेपी से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने दिया.
वहीं कांग्रेस नेता मनीष कर्णवाल ने कहा कि हर हफ्ते जुम्मे की नमाज के लिए डेढ़ घंटे की छुट्टी का आदेश जारी नहीं हुआ था, बल्कि रमजान महीने में जुम्मे की नमाज के लिए छूट दी गई थी. लेकिन भाजपा और आरएसएस ने इस मुद्दे को टारगेट कर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया.
वहीं कांग्रेस नेता मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि जुमे की नमाज को लेकर हरीश रावत सरकार में कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ था. हालांकि एक कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ये जरूर कहा था कि रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग जुमे की नमाज पढ़ने के लिए जा सकते हैं. लिहाजा उन्हें 2 घंटे की छूट दी जा सकती है. लेकिन इस मामले को भाजपा ने बेवजह ही विवादित बना दिया.