ऋषिकेशः भाजपा में अंदरुनी खेमेबाजी अब खुलकर लोगों के सामने आने लगी है, जिसे लेकर लोगों में पार्टी को लेकर नाराजगी तो हो ही रही है, साथ ही पार्टी की किरकिरी भी हो रही है. ऋषिकेश में भाजपा के जनप्रतिनिधियों ने एक ही योजना का दो बार शिलान्यास कर दिया, जो अब शहर में चर्चा का विषय बनता जा रहा है. वहीं, इस मामले में अब कांग्रेस पार्टी भी खुलकर चटखारे ले रही है.
दरअसल, बीते रोज ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर 11 करोड़ से अधिक की योजना का शिलान्यास पहले विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने किया लेकिन कुछ देर बाद नगर निगम की महापौर अनीता ममगाईं ने भी त्रिवेणी घाट पहुंचकर उसी योजना का शिलान्यास कर दिया. अब ये मामला शहर में सुर्खियां बटोर रहा है.
इतना ही नहीं, बीते रोज क्षेत्र की कृष्णानगर कॉलोनी में पेयजल योजना की मंजूरी उस वक्त चर्चा में आ गई जब इस सफलता का श्रेय लेने की होड़ मच गई. यह आपाधापी किसी और में नहीं बल्कि सत्तारूढ़ दल के ही जनप्रतिनिधियों में देखने को मिली. बता दें कि राज्य सरकार की एजुकेटिव फाइनेंस कमेटी की ओर से करीब 3 करोड़ 66 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं. यह स्वीकृति कृष्णानगर कॉलोनी में कई वर्षों से चली आ रही पेयजल की समस्या से स्थानीय लोगों को निजात दिलाने के लिए दी गई है.
मंजूरी की जानकारी मिलते ही पहले क्षेत्रीय विधायक व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने इस पर बयानजारी कर कैंप कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में इस उपलब्धि के लिए श्रेय लिया और दोपहर होते-होते मेयर अनीता ममगाईं का आभार जताने के लिए कृष्णानगर कॉलोनी के कई लोग पहुंच गए. मेयर के मुताबिक, उन्होंने इस मामले में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से विशेष आग्रह किया था. उनके प्रयासों से अब कृष्णानगर कॉलोनी की पेयजल की समस्या दूर होगी. इन दोनों ही कार्यक्रमों के सामने आने के बाद से शहर के राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
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वहीं, इस पूरे मामले को लेकर ऋषिकेश भाजपा के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती से बात की गई तो उन्होंने मामले से अनिभिज्ञता जाहिर की लेकिन उन्होंने पार्टी में गुटबाजी की बात से साफ इनकार करते हुए कहा कि भाजपा एकजुट है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर एक ही योजना का दो बार शिलान्यास किया जा रहा है, तो यह गलत है. अभी पूरी बात पार्टी फोरम में रखी जाएगी.
उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. भाजपा भी चुनाव में दोबारा जीत हासिल करने के लिए पुरजोर कोशिश में जुटी है लेकिन भाजपा के ही गढ़ में अब यह खेमेबाजी आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए फांस न बन जाये.