देहरादून: देहरादून: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष की परफॉर्मेंस फिसड्डी साबित हुई है. जिसके बाद इस चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के कारणों की समीक्षा का दौर शुरू हो गया है. वहीं, मौजूदा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के सांसद बनने के बाद उनकी ताजपोशी की कवायद भी तेज होनी लगी है. इसके साथ ही सत्ताधारी पार्टी में नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए मंथन भी शुरू हो गया है. ऐसे में राज्य गठन से अभी तक आखिर कैसा रहा पक्ष-विपक्ष के प्रदेश अध्यक्षों के कार्यकाल देखिए खास रिपोर्ट...
उत्तराखंड राज्य को बने 18 साल से ज्यादा का समय हो गया है. ऐसे में उत्तराखंड के राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो प्रदेश में दो ही मुख्य पार्टियों की सरकारें रही है. बारी-बारी से प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों ने राज किया है. ऐसे में दोनों पार्टियों के नेताओं का मानना है की सत्ता हासिल करने में प्रदेश अध्यक्षों की अहम भूमिका रही है. हालांकि, राज्य गठन के बाद से अगर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों की बात करें तो अभी तक कांग्रेस के चार प्रदेश अध्यक्ष बदले हैं. वहीं, बीजेपी में राज्य गठन के बाद से अभी तक सात प्रदेश अध्यक्ष बदले जा चुके हैं. जबकि, अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के सांसद बनने के बाद अब बीजेपी में आठवें प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी की कवायद तेज हो गई है.
एक नजर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों के कार्यकाल पर
- साल 2000 से 2007 तक हरीश रावत ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली.
- साल 2007 से 2014 तक यशपाल आर्य ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली.
- साल 2014 से 2017 तक किशोर उपाध्याय ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली.
- साल 2017 से मौजूदा समय में प्रीतम सिंह, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल रहे हैं.
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एक नजर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्षों के कार्यकाल पर
- साल 2000 से 2002 तक पूरन चंद्र शर्मा ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली.
- साल 2002 से 2003 तक मनोहर कांत ध्यानी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली.
- साल 2003 से 2007 तक भगत सिंह कोशियारी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली.
- साल 2007 से 2009 तक बच्ची सिंह रावत ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली.
- साल 2009 से 2013 तक बिशन सिंह चुफाल ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली.
- साल 2013 से 2015 तक तीरथ सिंह रावत ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली.
- साल 2015 से मौजूद समय में अजय भट्ट, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल रहे हैं.
वहीं, कांग्रेस में यशपाल आर्य ही एकमात्र ऐसे प्रदेश अध्यक्ष रहे जिनके शासन में उत्तराखण्ड लोकसभा की सभी सीटों पर कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया था. जबकि, बीजेपी के साल 2014 में तीरथ सिंह के शासनकाल में और साल 2019 में अजय भट्ट के शासनकाल में बीजेपी ने लोकसभा की पांचों सीटों पर जीत का परचम लहराया था.
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कांग्रेस के सभी प्रदेश अध्यक्षों का कार्यकाल रहा बेहतर
बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के सांसद चुने जाने पर नए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की तमाम चर्चाओं को लेकर, विपक्षी पार्टी के नेता खूब चुटकी ले रहे हैं. साथ ही अपने प्रदेश अध्यक्षों के कार्यकाल की सराहना करते हुए कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों का बेहतर कार्यकाल रहा, क्योंकि हरीश रावत के कार्यकाल में कांग्रेस ने दो चुनाव जीते और फिर सरकार भी बनाई. 15 साल से वनवास भोगने के बाद 2002 में सरकार बनाई. इसी तरह यशपाल आर्य का भी कार्यकाल बेहतर रहा. लेकिन, वर्तमान में किसी भी प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल का आकलन जल्दबाजी रहेगी. क्योंकि प्रीतम सिंह अभी भी प्रदेश अध्यक्ष हैं. उनके लिए चुनाव भी सिर पर थे और स्वयं भी उम्मीदवार थे. लेकिन सभी अध्यक्षों का कार्यकाल अच्छा रहा है और सभी अध्यक्षों का काम करने का अलग तरीका है. साल 2009 में यशपाल आर्य के प्रदेश अध्यक्ष के दौरान पांचों लोकसभा की सीटें जीत गए थे और फिर प्रदेश अध्यक्ष से इसके बाद 2012 में फिर सरकार भी बना दी, जो पूरे 5 साल सरकार चली. लेकिन ये सब परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि कब क्या होगा? लेकिन कांग्रेस के सभी प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल बहुत बेहतर रहा है.
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने किया है उल्लेखनीय काम
प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता लोकसभा चुनाव की जीत के कई कारणों के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष को भी इसका क्रेडिट दे रहे हैं. भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि बीजेपी में संगठन अनुशासनात्मक रूप से कार्य करता है. जिसमें अध्यक्ष सबसे ऊपर हैं और उनके द्वारा जो रणनीति निर्धारित की जाती है, उसी अनुरूप पार्टी काम करती है. उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट हैं. इसलिए जो नीतियां और कार्यक्रम पार्टी द्वारा सूबे में बनाए जाते हैं, वो प्रदेश अध्यक्ष के मार्गदर्शन में ही होते हैं. इसलिए अध्यक्ष की भूमिका अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है. प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने अपने आप में उल्लेखनीय कार्य किया है और कर रहे हैं. भसीन ने बता या कि बीजेपी का अपना एक संविधान है. जिसमें चुनाव प्रक्रिया का पूरा उल्लेख है. स्थानीय निकायों से लेकर मंडल, मंडल के बाद जिला, जिला के बाद प्रदेश, प्रदेश के बाद राष्ट्रीय स्तर चुनाव की प्रक्रिया रहती है. बीजेपी में जो लोकतांत्रिक व्यवस्था है. उसी के तहत पार्टी में सभी चुनाव कराए जाते हैं. जिसमें जो भी कार्यकर्ता इच्छुक होता है वह नॉमिनेशन करा सकता है. बीजेपी में पदाधिकारियों का चयन लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत और संविधान के अनुरूप होता है.
बहरहाल, सियासी पंडितों की माने तो मौजूदा परिपेक्ष्य में जहां बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल संगठनात्मक लिहाज से बेहतर कहा जा सकता है. तो वहीं दूसरी ओर मौजूदा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में कई ऐसे मौके आए जहां वे फिसड्डी साबित हुए. राजनीतिक विश्लेषक नरेंद्र सेठी का कहना है कि कई ऐसी वजह रही हैं जिनके आधार पर प्रदेश कांग्रेस संगठन बहुत कमजोर साबित हुआ. चाहे निकाय या लोकसभा चुनाव में भी प्रीतम सिंह कुछ खास नहीं कर पाए.