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जौनसार बावर में बिस्सू पर्व की धूम, ढोल-दमाऊ की थाप पर थिरके लोग

मेले में जुटे लोगों ने हाथों में खुशहाली के प्रतीक बुरांस फूल की लालिमा बिखेर बिस्सू की रौनक बढ़ाई. बिस्सू मनाने आई खत पट्टी बनगांव क्षेत्र के लोगों ने ढोल-दमोऊ की थाप और लोकगीतों पर नृत्य कर समा बांधा.

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Published : Apr 17, 2019, 8:42 PM IST

जौनसार बावर में बिस्सू पर्व की धूम

विकासनगर: जौनसार बावर का सुप्रसिद्ध चकराता के ठाणा डांडा में लगने वाला बिस्सू मेला हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस मेले में खत पट्टी बनगांव समेत 14 गांवों के लोग गाजे बाजे के साथ मेला स्थल ठाणा डांडा मैदान पहुंचे. इस दौरान लोगों ने ढोल दमाऊ की थाप पर सामूहिक नृत्य किया और एक-दूसरे से गले मिलकर बधाई दी.

पढे़ं- बढ़ती गर्मी से सूखे प्राकृतिक जल स्त्रोत, कॉर्बेट नेशनल पार्क ने वन्य जीवों के लिए बनाए 101 वॉटर होल

मेले में जुटे लोगों ने हाथों में खुशहाली के प्रतीक बुरांस फूल की लालिमा बिखेर बिस्सू की रौनक बढ़ाई. बिस्सू मनाने आई खत पट्टी बनगांव क्षेत्र के लोगों ने ढोल-दमोऊ की थाप और लोकगीतों पर नृत्य कर समा बांधा. मेले में हारूल, तांदी, झैंता और रासौ जैसे पारंपरिक लोकगीतों की धूम रही.

जौनसार बावर में बिस्सू पर्व की धूम

मेला समिति के अध्यक्ष केशव राम ने बताया कि यह बिस्सू मेला पूरे जौनसार बावर का प्रसिद्ध मेला है. इस मेले में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल व समूचे उत्तराखंड से लोग पहुंचते हैं. मेला हमारी संस्कृति है. केशव राम ने कहा कि इस आधुनिक युग में भी हमारी जौनसारी संस्कृति कायम है. उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से ही हमारी संस्कृति को नई पीढ़ी जान पाएगी.

जौनसार बावर के सुप्रसिद्ध लोक कलाकार नंदलाल भारती का कहना है कि धीरे-धीरे युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति की ओर बढ़ रही है. मेले में महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में एक-दूसरे से गले मिलकर बिस्सू मेले की बधाई दी.

बता दें, जौनसार बावर का प्रमुख बिस्सू पर्व का आगाज बीते 14 अप्रैल को हुआ था. पहले दिन फुलियात पर्व मनाया जाता है. इस दिन गांव के हर घर के मुखिया ने जंगल से बुरांश के फूल लाकर मंदिरों में देवता को अर्पित कर मन्नत मांगते हैं.

विकासनगर: जौनसार बावर का सुप्रसिद्ध चकराता के ठाणा डांडा में लगने वाला बिस्सू मेला हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस मेले में खत पट्टी बनगांव समेत 14 गांवों के लोग गाजे बाजे के साथ मेला स्थल ठाणा डांडा मैदान पहुंचे. इस दौरान लोगों ने ढोल दमाऊ की थाप पर सामूहिक नृत्य किया और एक-दूसरे से गले मिलकर बधाई दी.

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मेले में जुटे लोगों ने हाथों में खुशहाली के प्रतीक बुरांस फूल की लालिमा बिखेर बिस्सू की रौनक बढ़ाई. बिस्सू मनाने आई खत पट्टी बनगांव क्षेत्र के लोगों ने ढोल-दमोऊ की थाप और लोकगीतों पर नृत्य कर समा बांधा. मेले में हारूल, तांदी, झैंता और रासौ जैसे पारंपरिक लोकगीतों की धूम रही.

जौनसार बावर में बिस्सू पर्व की धूम

मेला समिति के अध्यक्ष केशव राम ने बताया कि यह बिस्सू मेला पूरे जौनसार बावर का प्रसिद्ध मेला है. इस मेले में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल व समूचे उत्तराखंड से लोग पहुंचते हैं. मेला हमारी संस्कृति है. केशव राम ने कहा कि इस आधुनिक युग में भी हमारी जौनसारी संस्कृति कायम है. उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से ही हमारी संस्कृति को नई पीढ़ी जान पाएगी.

जौनसार बावर के सुप्रसिद्ध लोक कलाकार नंदलाल भारती का कहना है कि धीरे-धीरे युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति की ओर बढ़ रही है. मेले में महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में एक-दूसरे से गले मिलकर बिस्सू मेले की बधाई दी.

बता दें, जौनसार बावर का प्रमुख बिस्सू पर्व का आगाज बीते 14 अप्रैल को हुआ था. पहले दिन फुलियात पर्व मनाया जाता है. इस दिन गांव के हर घर के मुखिया ने जंगल से बुरांश के फूल लाकर मंदिरों में देवता को अर्पित कर मन्नत मांगते हैं.

Intro:जौनसार बावर का सुप्रसिद्ध चकराता के ठाणा डांडा में बिस्सू मेला हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गयाएक गांव ठाणा व 14 गांव खत पट्टी बनगांव के लोग गाजे-बाजे के साथ नाचते गाते ठाणा डाडा के मैदान में पहुंचकर एक दूसरे को बिस्सू मेले की गले मिलकर बधाई देते हैं उसके बाद ढोल दमाऊ की थाप पर होता है सामूहिक नृत्य


Body:जौनसार बावर में इन दिनों बिस्सू पर्व को लेकर धूम मची हुई है जगह जगह जौनसार बावर के लोग बिस्सू पर्व को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं चकराता के पास ठाना डांडा मैदान में लगने वाला बिस्सू मेला बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया मेले में पहुंचे महिला पुरुष व बच्चे काफी उत्साहित नजर आ रहे थे मेले में जौनसारी संस्कृति पर आधारित ढोल दमाऊ के थापर हारूल तांदी झैंता रासौ आदि सामूहिक रूप से महिला व पुरुषों ने नृत्य किए मेला समिति के अध्यक्ष केशव राम ने बताया कि यह विशु मेला समूचे जौनसार बावर का सुप्रसिद्ध मेले में है इस मेले में उत्तर प्रदेश उत्तराखंड हिमाचल गढ़वाल व समूचे जौनसार बावर के हजारों लोग मेले में शिरकत करते हैं यह मेला हमारी संस्कृति है और आज के इस आधुनिक युग में भी हमारी जौनसारी संस्कृति कायम है नई पीढ़ी भी अपनी संस्कृति को तभी जाएगी जब इस तरह के मेलों का आयोजन होगा ताकि नई पीढ़ी भी अपनी संस्कृति से रूबरू हो सकें जौनसार बावर के सुप्रसिद्ध लोक कलाकार नंदलाल भारती का कहना है कि धीरे-धीरे युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति की ओर बढ़ रही है मेले में महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में तनी निर्णय कर एक दूसरे के गले मिलकर विश्व मेले की बधाई दी मेले में अनेक प्रकार की मिठाईयां अधिष्ठान भी लगाए गए थे पुलिस ने मेले को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हुए थे


Conclusion: जौनसार बावर अपनी अनूठी संस्कृति के लिए देश-विदेश में विख्यात है 18 98 से इस मेले का आयोजन हुआ था तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष 15 गांव के ग्रामीण गाजे-बाजे के साथ इस मेले का आयोजन करते आए हैं ताकि जौनसार बावर की संस्कृति कायम रहे युवा पीढ़ी को हम अपनी संस्कृति से रूबरू करा सके और अपनी सभ्यता समाज आपसी भाईचारा प्रेम सौहार्द से समाज को आगे बढ़ाए बारिश के चलते भी लोगों में बिस्सू मेले को लेकर उत्साह नजर आया।
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