हल्द्वानी: बिहार के प्रवासी मजदूर साल भर पहले कोरोना महामारी के कारण झेली गई जलालत और परेशानी को भूले नहीं हैं. ऐसे में बिहार से उत्तराखंड आए प्रवासी अब लॉकडाउन की संभावना को देखते हुए अपने घरों को लौटने लगे हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार कर्फ्यू की अवधि के साथ-साथ कोविड-19 के नियमों को सख्ती से लागू कर रही है. ऐसे में मजदूरों की मजदूरी भी खत्म हो चुकी है. इसके चलते बिहार सहित कई प्रदेशों से उत्तराखंड आए मजदूर अब धीरे-धीरे अपने घरों को लौट रहे हैं.
बिहार सहित कई प्रदेशों के मजदूर भारी तादाद में उत्तराखंड में आकर अपनी रोजी-रोटी की तलाश करते हैं. कई परियोजनाओं के अलावा सड़क निर्माण और बिल्डिंग निर्माण काम में बिहार सहित कई राज्यों के मजदूर बड़ी संख्या में काम करते हैं. लेकिन उत्तराखंड में कोविड कर्फ्यू के चलते अधिकतर काम बंद हो चुके हैं. यहां तक की परियोजनाओं के लिए मैटेरियल भी नहीं उपलब्ध हो पा रहा है. इसके चलते मजदूरों की मजदूरी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में मजदूरों के आगे रोजगार का संकट खड़ा हो गया है, साथ ही मजदूरों में डर है कि कहीं पूर्ण रूप से लॉकडाउन लग गया तो उनके सामने खाने के संकट खड़े हो सकते हैं. ऐसे में मजदूर लॉकडाउन की आशंका के चलते अपने घरों को जाना मुनासिब समझ रहे हैं.
बिहार मोतिहारी के रहने वाले मजदूर नवल मेहता ने बताया कि बागेश्वर में मजदूरी का काम करते थे. कोविड कर्फ्यू के चलते मजदूरी नहीं मिल पा रही है. तीन महीने पहले ही वह बिहार से मजदूरी के लिए बागेश्वर आए थे. लेकिन अब लॉकडाउन की संभावना के मद्देनजर घर को वापस लौट रहे हैं.
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वहीं, मोतिहारी बिहार के रहने वाले मजदूर लाल सहाय महतो का कहना है कि गरुड़ में वह बिल्डिंग बनाने का काम करते थे. पिछले साल भी लॉकडाउन के चलते काफी परेशानी उठानी पड़ी थी. वह दो महीने पहले ही बिहार से काम के लिए गरुड़ आये थे. काम बंद हो जाने और लॉकडाउन की संभावना के चलते वह अपने घर को जा रहे हैं, जिससे पिछले साल की तरह इस बार परेशानी न उठानी पड़े.
वहीं, बिहार के रहने वाला मुलाजिम आलम नैनीताल में भवन निर्माण में मजदूरी का काम करते हैं. लेकिन पहाड़ों पर भवन निर्माण के मैटेरियल नहीं पहुंचने के चलते उनकी मजदूरी बंद हो चुकी है. ऐसे में खाने का संकट भी खड़ा हो गया. इसके अलावा अगर लॉकडाउन लग जाता है, तो आगे और संकट खड़ा हो जाएगा. इसके चलते वह अपने घर लौट रहे हैं.