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प्रदर्शनकारी भोजन माताओं के छलके आंसू, बोलीं- 2000 रुपए में कैसे करें गुजारा?

न्यूनतम मजदूरी दिए जाने और स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर पूरे प्रदेश से सैकड़ों की संख्या में भोजन माताएं राजधानी पहुंची. जिसके बाद उन्होंने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सचिवालय कूच किया.

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माताओं के छलके आंसू
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Published : Jan 9, 2020, 6:49 PM IST

देहरादून: प्रदेश भर से आई सैकड़ों भोजन माताओं ने स्थायी नियुक्ति और वेतन वृद्धि समेत विभिन्न मांगों को लेकर सचिवालय कूच किया. जहां पहले से मौजूद भारी पुलिस बलों द्वारा सचिवालय से पहले ही उन्हें बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया. ऐसे में पुलिस के रवैये और सरकार से नाराज भोजन माताएं सड़क पर ही बैठ गई. इस दौरान प्रदर्शकारी भोजन माताओं की आंखों में आंसू भी छलक उठे.

माताओं के छलके आंसू.

वहीं, प्रदर्शन के दौरान भोजन माताओं ने प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा है. इस मौके पर प्रगतिशील भोजन माता संगठन की अध्यक्ष अंशी देवी ने कहा कि पूरे प्रदेश में सत्ताइस हजार भोजन माताएं हैं. जो विभिन्न स्कूलों में कार्यरत हैं. जिनमें से कई बीते अठ्ठारह सालों से अपनी सेवाएं दे रही है. उनसे खाना बनाने के अतिरिक्त स्कूल की साफ-सफाई, जंगलों से लकड़ी लाना जैसे कार्य भी करवाए जाते हैं. साथ ही मना करने पर स्कूल प्रबंधन द्वारा नौकरी से निकालने की धमकी भी दी जाती है.

ये भी पढ़े: खराब मौसम से विद्युत आपूर्ति लड़खड़ाई, अंधेरे में डूबे 150 गांव

अंशी देवी ने कहा कि अधिकांश भोजन माताएं गरीब परिवार से हैं. जिनपर अपने परिवार की समूची जिम्मेदारी है. इनमें से कुछ भोजन माताएं विधवा है, जो अपना गुजारा दो हजार रुपयों में कर रही हैं. ऐसे में बढ़ती महंगाई में दो हजार रुपयों में गुजारा करना उनके लिए बेहद मुश्किल है. उन्होंने कहा कि भोजन माताएं पहले भी कई बार मुख्यमंत्री को ज्ञापन दे चुकी हैं. किंतु सरकार भोजन माताओं की लगातार अनदेखी कर रही है. ऐसे में अब भोजनमाताओं ने आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है.

देहरादून: प्रदेश भर से आई सैकड़ों भोजन माताओं ने स्थायी नियुक्ति और वेतन वृद्धि समेत विभिन्न मांगों को लेकर सचिवालय कूच किया. जहां पहले से मौजूद भारी पुलिस बलों द्वारा सचिवालय से पहले ही उन्हें बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया. ऐसे में पुलिस के रवैये और सरकार से नाराज भोजन माताएं सड़क पर ही बैठ गई. इस दौरान प्रदर्शकारी भोजन माताओं की आंखों में आंसू भी छलक उठे.

माताओं के छलके आंसू.

वहीं, प्रदर्शन के दौरान भोजन माताओं ने प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा है. इस मौके पर प्रगतिशील भोजन माता संगठन की अध्यक्ष अंशी देवी ने कहा कि पूरे प्रदेश में सत्ताइस हजार भोजन माताएं हैं. जो विभिन्न स्कूलों में कार्यरत हैं. जिनमें से कई बीते अठ्ठारह सालों से अपनी सेवाएं दे रही है. उनसे खाना बनाने के अतिरिक्त स्कूल की साफ-सफाई, जंगलों से लकड़ी लाना जैसे कार्य भी करवाए जाते हैं. साथ ही मना करने पर स्कूल प्रबंधन द्वारा नौकरी से निकालने की धमकी भी दी जाती है.

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अंशी देवी ने कहा कि अधिकांश भोजन माताएं गरीब परिवार से हैं. जिनपर अपने परिवार की समूची जिम्मेदारी है. इनमें से कुछ भोजन माताएं विधवा है, जो अपना गुजारा दो हजार रुपयों में कर रही हैं. ऐसे में बढ़ती महंगाई में दो हजार रुपयों में गुजारा करना उनके लिए बेहद मुश्किल है. उन्होंने कहा कि भोजन माताएं पहले भी कई बार मुख्यमंत्री को ज्ञापन दे चुकी हैं. किंतु सरकार भोजन माताओं की लगातार अनदेखी कर रही है. ऐसे में अब भोजनमाताओं ने आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है.

Intro: प्रदेशभर से आईं सैकड़ों भोजन माताओं ने स्थायीकरण और वेतन वृद्धि समेत विभिन्न मांगों को लेकर सचिवालय कूच किया। जहां पहले से ही मौजूद भारी पुलिस बल ने सचिवालय से पहले ही प्रदर्शनकारी भोजन माताओं को बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। सरकार से नाराज भोजन मातायें सड़क पर ही धरने में बैठ गई, इस दौरान एक भोजन माता का दर्द छलक पड़ा, आंखों में आंसू लिए सरकार से मानदेय बढ़ाने की गुहार लगाई। प्रदर्शन के दौरान भोजन माताओं ने प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा
summary- न्यूनतम मजदूरी दिए जाने और स्थायीकरण की मांग को लेकर प्रदेशभर की आई सैकड़ों की संख्या में प्रगतिशील भोजन माताओं ने सचिवालय कूच करते हुए अपना आक्रोश सरकार के खिलाफ व्यक्त किया।


Body: प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रही प्रगतिशील भोजन माता संगठन की अध्यक्ष अंशी देवी ने कहा कि पूरे प्रदेश में सत्ताइस हजार भोजन माताएं, विभिन्न स्कूलों में कार्यरत हैं, जिनमें से कई बीते 18 सालों से कार्य कर रही हैं। उनसे खाना बनाने के अतिरिक्त स्कूल की साफ-सफाई , क्यारी, झाड़ियां काटना, जंगलों से लकड़ी लाना जैसे अन्य कार्य भी करवाए जाते हैं, उनके मना करने पर स्कूल से निकालने की धमकी दी जाती है। उन्होंने कहा कि अधिकांश भोजन माताएं गरीब परिवारों से है जिन पर अपने परिवारों की समूची जिम्मेवारी है, इनमें से कुछ भोजन मातायें विधवा है जो अपना गुजारा दो हजार रुपयों में कर रही हैं, ऐसे में बढ़ती महंगाई को देखते हुए दो हजार रुपयों में गुजारा करना बेहद मुश्किल है। उन्होंने कहा कि भोजन माता है इससे पहले भी कई बार मुख्यमंत्री को ज्ञापन दे चुकी हैं किंतु सरकार भोजन माताओं की अनदेखी करने में लगी हुई है।

बाइट-हंसी देवी ,अध्यक्ष प्रगतिशील भोजन माता संगठन


Conclusion: दरअसल प्रदेश पर से आई प्रगतिशील भोजन माता संगठन के बैनर तले सैकड़ों भोजन माताओं ने स्थाई रोजगार न्यूनतम वेतनमान लागू करने समेत स्कूलों में उनके साथ किए जा रहे उत्पीड़न को रोके जाने के के खिलाफ सचिवालय कूच किया। भोजन माताओं का कहना है कि उत्तराखंड के कई स्कूलों में भोजन माताओं को रसोई गैस के अभाव में कठिन मेहनत करते हुए धुंए से जूझते हुए भोजन बनाना पड़ता है। ऐसे में भोजन माताओं को धुंए से मुक्ति दी जाए और रसोई गैस उपलब्ध कराई जाए
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