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किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी लैवेंडर की खेती, भारत भूषण ने दिए 'मंत्र' - Workshop in Mussoorie

मसूरी में किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें किसानों को प्रधानमंत्री से प्रोग्रेसिव फार्मर का अवार्ड लेने वाले भारत भूषण ने लैवेंडर की खेती के बारे में जानकारी दी.

Mussoorie Lavender Cultivation
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Published : Feb 15, 2021, 5:29 PM IST

Updated : Feb 15, 2021, 5:35 PM IST

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला केंद्र सरकार की सुगंध मिशन योजना के तहत आयोजित की गई थी. इसमें हाल ही में प्रधानमंत्री से प्रोग्रेसिव फार्मर का अवार्ड लेने वाले भारत भूषण ने लैंवेंडर की खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी लैवेंडर की खेती.

भारत भूषण ने जम्मू-कश्मीर के किसानों को मक्के की पारंपरिक खेती छोड़ पहाड़ियों के ढलान पर खुशबूदार लैंवेंडर के फूल की खेती शुरू करने के गुर सिखाए. उन्होंने कहा कि अपेक्षाकृत अधिक फायदेमंद होने के साथ जिले में ‘बैंगनी क्रांति’ की भी ये शुरुआत है. केंद्र सरकार की सुगंध मिशन योजना के तहत लैंवेंडर के फूल की खेती करने वाले किसानों ने कहा कि गैर पारंपरिक सुगंधित पौधों की खेती शुरू कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि लैवेंडर की खेती ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े आराम से की जा सकती है. एक बार लगाने के बाद इसका पेड़ करीब 15 से 20 साल तक जीवित रहता है. इससे किसान बड़े आराम से इस खेती को कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि लैवेंडर से निकलने वाले तेल की बाजार में कीमत काफी ज्यादा है. ऐसे में अगर पहाड़ी क्षेत्रों में लैंवेंडर खासकर मसूरी और आसपास के क्षेत्र में लगाएं तो किसानों को काफी फायदा होगा.

पढ़ें- जोशीमठ त्रासदी पर PM मोदी और अमित शाह की नजर, CM त्रिवेंद्र से लिया फीडबैक

इस मौके पर ज्योति मारवा ने कार्यशाला के दौरान लैवेंडर की खेती को लेकर स्लाइड शो के माध्यम से लोगों को इसकी खेती के बारे में जानकारी दी. वहीं इससे बनने वाले उत्पाद तेल, शैम्पू और साबुन के साथ लैवेंडर से स्वास्थ्य लाभ के बारे में भी बताया.

उन्होंने कहा कि 'टिहरी लेक फेस्टिवल' में भी वो लैवेंडर सहित अन्य नेचुरल उत्पादों से बनने वाली चीजों को प्रदर्षित करेंगे. इसमें देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इन नेचुरल उत्पाद से बने सामान देख और खरीद पाएंगे. उनके द्वारा कई सामाजिक संस्थाओं और वन विभाग के सहयोग से आसपास के क्षेत्रों में लैवेंडर व अन्य प्रजातियों के पौधों को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके. किसान गैर पारंपरिक सुगंधित पौधों की खेती शुरू कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार कर रहे हैं.

क्या है लैवेंडर ?

लैवेंडर को खास उसकी खुशबू के लिए जाना जाता है. लैवेंडर एक बारहमासी आने वाला पौधा है. इस छोटे पौधे की लम्बी टहनियां होती हैं. इसमें छोटे-छोटे पर्पल कलर के फूल उगते हैं, उन्हें ही लैवेंडर कहा जाता है. लैवेंडर का प्रयोग चाय, कुकीज और मिठाइयों जैसी खाने की चीजों के साथ-साथ, घर सजाने में भी किया जाता है. इसकी खुशबू काफी मनमोहक होती है. इसका ज्यादा उपयोग परफ्यूम बनाने में किया जाता है. इसके तेल के भी बहुत से फायदे हैं.

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला केंद्र सरकार की सुगंध मिशन योजना के तहत आयोजित की गई थी. इसमें हाल ही में प्रधानमंत्री से प्रोग्रेसिव फार्मर का अवार्ड लेने वाले भारत भूषण ने लैंवेंडर की खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी लैवेंडर की खेती.

भारत भूषण ने जम्मू-कश्मीर के किसानों को मक्के की पारंपरिक खेती छोड़ पहाड़ियों के ढलान पर खुशबूदार लैंवेंडर के फूल की खेती शुरू करने के गुर सिखाए. उन्होंने कहा कि अपेक्षाकृत अधिक फायदेमंद होने के साथ जिले में ‘बैंगनी क्रांति’ की भी ये शुरुआत है. केंद्र सरकार की सुगंध मिशन योजना के तहत लैंवेंडर के फूल की खेती करने वाले किसानों ने कहा कि गैर पारंपरिक सुगंधित पौधों की खेती शुरू कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि लैवेंडर की खेती ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े आराम से की जा सकती है. एक बार लगाने के बाद इसका पेड़ करीब 15 से 20 साल तक जीवित रहता है. इससे किसान बड़े आराम से इस खेती को कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि लैवेंडर से निकलने वाले तेल की बाजार में कीमत काफी ज्यादा है. ऐसे में अगर पहाड़ी क्षेत्रों में लैंवेंडर खासकर मसूरी और आसपास के क्षेत्र में लगाएं तो किसानों को काफी फायदा होगा.

पढ़ें- जोशीमठ त्रासदी पर PM मोदी और अमित शाह की नजर, CM त्रिवेंद्र से लिया फीडबैक

इस मौके पर ज्योति मारवा ने कार्यशाला के दौरान लैवेंडर की खेती को लेकर स्लाइड शो के माध्यम से लोगों को इसकी खेती के बारे में जानकारी दी. वहीं इससे बनने वाले उत्पाद तेल, शैम्पू और साबुन के साथ लैवेंडर से स्वास्थ्य लाभ के बारे में भी बताया.

उन्होंने कहा कि 'टिहरी लेक फेस्टिवल' में भी वो लैवेंडर सहित अन्य नेचुरल उत्पादों से बनने वाली चीजों को प्रदर्षित करेंगे. इसमें देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इन नेचुरल उत्पाद से बने सामान देख और खरीद पाएंगे. उनके द्वारा कई सामाजिक संस्थाओं और वन विभाग के सहयोग से आसपास के क्षेत्रों में लैवेंडर व अन्य प्रजातियों के पौधों को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके. किसान गैर पारंपरिक सुगंधित पौधों की खेती शुरू कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार कर रहे हैं.

क्या है लैवेंडर ?

लैवेंडर को खास उसकी खुशबू के लिए जाना जाता है. लैवेंडर एक बारहमासी आने वाला पौधा है. इस छोटे पौधे की लम्बी टहनियां होती हैं. इसमें छोटे-छोटे पर्पल कलर के फूल उगते हैं, उन्हें ही लैवेंडर कहा जाता है. लैवेंडर का प्रयोग चाय, कुकीज और मिठाइयों जैसी खाने की चीजों के साथ-साथ, घर सजाने में भी किया जाता है. इसकी खुशबू काफी मनमोहक होती है. इसका ज्यादा उपयोग परफ्यूम बनाने में किया जाता है. इसके तेल के भी बहुत से फायदे हैं.

Last Updated : Feb 15, 2021, 5:35 PM IST
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