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आपकी गाढ़ी कमाई पर हैकरों की नजर, CYBER ठगी से ऐसे बचें - साइबर ठगी से ऐसे बचें

आज के दौर में साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ी हैं. मोबाइल के जरिए ऐसे कई मैसेज आते हैं जो एटीएम, बैंक अकाउंट के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं. साइबर क्रिमिनल तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में साइबर ठगों से बचने के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा.

Cybercrime in Uttarakhand
उत्तराखंड में साइबर क्राइम
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Published : Nov 20, 2020, 8:17 PM IST

Updated : Nov 21, 2020, 6:21 PM IST

देहरादून: टेक्‍नोलॉजी ने हमारे कई कामकाज आसान बना दिये हैं. आज बैंक से जुड़ी सेवाओं सहित ज्यादातर काम ऑनलाइन किए जाते हैं. सहूलियत तो मिली लेकिन इसके साथ जोखिम भी बढ़ा है. हाल में सामने आए एक सर्वे से पता चला है कि साल 2019 में साइबर अपराधियों ने भारतीयों को 1.2 लाख करोड़ रुपए का चूना लगाया है.

एक तरफ केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को पूरी तरह कैशलैस बनाने पर जोर दे रही है, दूसरी तरफ साइबर अपराध लोगों की चिंताएं बढ़ाता जा रहा है. बेशक चाय-समोसे वाले से लेकर रोड साइड दुकानों पर भी ऑनलाइन पेमेंट मोड के इंतजाम अब दिखाई दे रहे हैं लेकिन, एक्सपर्ट्स की मानें तो कैशलेस लेन-देन पर साइबर हमले का खतरा बेहद बढ़ गया है.

Telecom Regulatory Authority of India (ट्राई) की मार्च 2020 की एक रिपोर्ट की मुताबिक, देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 3.4 फीसदी से बढ़कर 74.3 करोड़ हो गई है. उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस के मुताबिक, देशभर में 1.2 बिलियन लोग सोशल मीडिया यूजर्स हैं, जो फेसबुक, इंस्टाग्राम, टि्वटर सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव हैं. औसतन लोग ढाई घंटा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गुजारते हैं.

Cybercrime in Uttarakhand
उत्तराखंड में साइबर क्राइम के आंकड़े.

भारत में साइबर क्राइम के तरीके

  • राहत कार्यों के नाम पर चैरिटी और डोनेशन मांगने के रूप में कई सारी फर्जी वेबसाइटें ऑनलाइन तैयार की गई हैं. ऐसे में इन फेक वेबसाइटों से बचना बेहद जरूरी है. जबतक ऑफिशियल रूप में जांच पड़ताल कर वेबसाइट की जानकारी की सटीक पुष्टि न हो किसी तरह का डोनेशन या दान प्रक्रिया में न फंसे.
  • ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर भी कई फर्जी ई-कॉमर्स वेबसाइट इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. ये वेबसाइट ओनिजनल कंपनियों जैसी ही दिखती हैं. इन फर्जी वेबसाइट पर दूसरी कंपनियों के मुकाबले बेहद सस्ते में प्रोडक्ट देने का प्रलोभन दिया जाता है.
  • पासपोर्ट, लाइसेंस, आधार कार्ड बनाने जैसे दस्तावेजों के लिए भी कई फर्जी वेबसाइटें साइबर हैकर्स द्वारा इंटरनेट पर तैयार की गई हैं. इनसे बचने के लिए सरकारी वेबसाइट और पोर्टल के बारे में पहले सही से जानकारी प्राप्त कर लें तभी किसी दस्तावेज बनाने के लिए आवेदन करें.
  • बैंक कर्मचारी और बैंक कस्टमर केयर के नाम पर भी लोगों से ठगी की जा रही है. ऐसे में बैंक या वॉलेट जैसे अन्य सुविधाओं के लिए संबंधित संस्थानों से आधिकारिक नंबर और ई-मेल प्राप्त करें और उन्हें अपने पास रखें.
    साइबर ठगों से ऐसे बचें.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के हिसाब से साल 2019 में साइबर क्राइम के 44,546 मामले दर्ज किये गये. साल 2018 में दर्ज साइबर क्राइम के 28,248 मामलों के हिसाब से यह संख्या 63.5 फीसदी अधिक है. आंकड़ों के हिसाब से साल 2017 में साइबर क्राइम की संख्या 21,796 रही थी. अनुमान के मुताबिक, बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक प्रतिदिन इतनी बड़ी संख्या में लोग लगभग ढाई घंटा इंटरनेट की दुनिया में समय गुजार रहे हैं. इसी के दृष्टिगत तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर साइबर अपराधी इंटरनेट यूजर्स से लाखों करोड़ों की ठगी कर उनको अपना शिकार बना रहे हैं.

ये भी पढ़ें: साइबर क्राइम: बैंक का कस्टमर केयर अफसर बनकर खाते से उड़ाए रुपये

इंटरनेट सर्च इंजन से बचे

भूल से भी इंटरनेट के सर्च इंजन में कस्टमर केयर नंबर ढूंढने की गलती न करें. कई बार अपराधी कस्टमर केयर से मिलता-जुलता नाम बनाकर उनकी जगह खुद का नंबर डाल देते हैं.

फोन पर निजी जानकारी देने से बचें

साइबर क्राइम की दुनिया में लंबे समय से फोन पर किसी की बैंकिंग या अन्य तरह की निजी जानकारी लेकर ठगी करने का कारनामा वर्षों से प्रचलित है. कई बार साइबर हैकर्स दोस्त-रिश्तेदार बनकर आपात स्थिति में बैंक की निजी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. ऐसे में किसी भी सूरत में फोन पर किसी से बैंक या अन्य तरह की निजी जानकारी साझा न करें.

फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ठगी का खेल

शातिर ठगों ने ठगी का अनोखा तरीका ढूंढ निकाला है. शातिर ठग फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट हैक कर रिश्तेदारों और परिचितों को संदेश भेजकर पैसों की मांग कर रहे हैं. अधिकतर लोग इन मामलों में तुरंत पैसे डाल देते हैं और बाद में ठगी का एहसास होते ही माथा पीटने लगते हैं. ऐसे में फोन पर बात कर पहले हकीकात जानें, फिर फैसला लें.

'जागरूकता ही बचाव'

लॉक फीचर अपनाएं

साइबर ठग अब फेसबुक व इंस्टाग्राम पर लोगों की जानकारियां और प्रोफाइल फोटो चुराकर फर्जी आईडी तैयार कर रहे हैं. ऐसे में आप सोशल मीडिया में लॉक फीचर का इस्तेमाल करिए. अपने सोशल मीडिया अकाउंट में निजी जानकारी और पर्सनल फोटोग्राफ को हमेशा कम से कम साझा करें.

वेबसाइट पर भी साइबर हैकर की नजर

हैकर्स इस बात की भी जानकारी जुटा रहे हैं कि महिलाएं, बच्चे, बूढ़े और नौजवान कौन सी वेबसाइट बार-बार इस्तेमाल कर रहे हैं. हैकर्स इस वेबसाइटों से निजी जानकारी जुटाकर यूजर्स के साथ तरह-तरह की धोखेबाजी और ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में अनजान वेबसाइट के इस्तेमाल से भी बचें.

ये भी पढ़ें: साइबर अटैक से नहीं घबराने की जरूरत, ऐसे दर्ज कराएं शिकायत

बारकोड के जरिए साइबर ठगी का बड़ा खेल

उत्तराखंड साइबर पुलिस के मुताबिक इन दिनों क्यूआर कोड को लेकर भी बड़ी ठगी का खेल साइबर क्राइम अपराधियों द्वारा हो रहा है. अपराधी मोबाइल, व्हाट्सएप और ईमेल पर क्यूआर कोड भेज ठगी कर रहे हैं. कई बार ठग पैसा देने के नाम पर क्यूआर कोड भेजते हैं, ऐसे में लोग झांसे में आकर अपनी पूंजी खो देते हैं. इसलिए हमेशा क्यूआर कोड इस्तेमाल के समय बेहद सावधानी बरतें.

फिशिंग लिंक के जरिए साइबर ठगी

उत्तराखंड साइबर पुलिस के मुताबिक, वर्तमान समय में फिशिंग लिंक के नाम पर भी खूब ठगी का खेल हो रहा है. ई-मेल के जरिए अनजान व्यक्ति किसी तरह का प्रलोभन देकर एक लिंक भेजता है. जिसको क्लिक करने के बाद यूजर्स की सारी बैंक और निजी जानकारी हैकर्स के हाथ लग जाती है और वह एक बड़ी ठगी का शिकार बन जाता है.

पीड़ितों का पीछे हटना

उत्तराखंड में प्रतिदिन साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के साथ-साथ थाना-चौकियों में तकरीबन 100 शिकायतें साइबर ठगी से संबंधित आती हैं. हालांकि अधिकांश मामलों में शिकायतकर्ता मुकदमा दर्ज कराने की जगह पीछे हट जाते हैं. इस वजह से भी तेजी से साइबर क्राइम बढ़ता जा रहा है. उत्तराखंड साइबर पुलिस के मुताबिक साइबर क्राइम के अधिकतर गिरोह- छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान के मेवात, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर जैसे राज्यों से चल रहे हैं.

बचाव के लिए जागरूकता जरूरी

डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि सबसे पहले इंटरनेट यूजर को ही साइबर क्राइम अपराध के प्रति जागरुक होना होगा. पूरे राज्य में साइबर क्राइम की टीमें अपराधियों पर कार्रवाई करने में जुटी हुई है. बावजूद इसके जागरुकता ही सबसे बड़ा बचाव का उपाय है.

साइबर ठगी होने पर क्या करें

  • ठगी होने के बाद पीड़ित को तुरंत अपने बैंक में सूचना देकर बैंक खाता ब्लॉक कराना चाहिए, ताकि उस खाते से और अधिक फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन न हो पाए.
  • हमेशा अपने बैंक का कस्टमर केयर नंबर अपने पास सेव रखें ताकि आपातकाल स्थिति में सीधे संपर्क किया जा सके.
  • ठगी होने पर पीड़ित को नजदीकी पुलिस और साइबर सेल को घटना की सूचना देनी चाहिए.
  • उत्तराखंड में ठगी होने पर सीधे साइबर सेल के हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत कर सकते हैं या सेल को ईमेल भी कर सकते हैं. उत्तराखंड साइबर सेल के डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा का नंबर- 8126372169, हेल्प लाइन नंबर- 01352655900 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके साथ ही ccps.deh@uttarakhandpolice.uk.gov.in पर ईमेल भी कर सकते हैं.

देहरादून: टेक्‍नोलॉजी ने हमारे कई कामकाज आसान बना दिये हैं. आज बैंक से जुड़ी सेवाओं सहित ज्यादातर काम ऑनलाइन किए जाते हैं. सहूलियत तो मिली लेकिन इसके साथ जोखिम भी बढ़ा है. हाल में सामने आए एक सर्वे से पता चला है कि साल 2019 में साइबर अपराधियों ने भारतीयों को 1.2 लाख करोड़ रुपए का चूना लगाया है.

एक तरफ केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था को पूरी तरह कैशलैस बनाने पर जोर दे रही है, दूसरी तरफ साइबर अपराध लोगों की चिंताएं बढ़ाता जा रहा है. बेशक चाय-समोसे वाले से लेकर रोड साइड दुकानों पर भी ऑनलाइन पेमेंट मोड के इंतजाम अब दिखाई दे रहे हैं लेकिन, एक्सपर्ट्स की मानें तो कैशलेस लेन-देन पर साइबर हमले का खतरा बेहद बढ़ गया है.

Telecom Regulatory Authority of India (ट्राई) की मार्च 2020 की एक रिपोर्ट की मुताबिक, देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 3.4 फीसदी से बढ़कर 74.3 करोड़ हो गई है. उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस के मुताबिक, देशभर में 1.2 बिलियन लोग सोशल मीडिया यूजर्स हैं, जो फेसबुक, इंस्टाग्राम, टि्वटर सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव हैं. औसतन लोग ढाई घंटा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गुजारते हैं.

Cybercrime in Uttarakhand
उत्तराखंड में साइबर क्राइम के आंकड़े.

भारत में साइबर क्राइम के तरीके

  • राहत कार्यों के नाम पर चैरिटी और डोनेशन मांगने के रूप में कई सारी फर्जी वेबसाइटें ऑनलाइन तैयार की गई हैं. ऐसे में इन फेक वेबसाइटों से बचना बेहद जरूरी है. जबतक ऑफिशियल रूप में जांच पड़ताल कर वेबसाइट की जानकारी की सटीक पुष्टि न हो किसी तरह का डोनेशन या दान प्रक्रिया में न फंसे.
  • ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर भी कई फर्जी ई-कॉमर्स वेबसाइट इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. ये वेबसाइट ओनिजनल कंपनियों जैसी ही दिखती हैं. इन फर्जी वेबसाइट पर दूसरी कंपनियों के मुकाबले बेहद सस्ते में प्रोडक्ट देने का प्रलोभन दिया जाता है.
  • पासपोर्ट, लाइसेंस, आधार कार्ड बनाने जैसे दस्तावेजों के लिए भी कई फर्जी वेबसाइटें साइबर हैकर्स द्वारा इंटरनेट पर तैयार की गई हैं. इनसे बचने के लिए सरकारी वेबसाइट और पोर्टल के बारे में पहले सही से जानकारी प्राप्त कर लें तभी किसी दस्तावेज बनाने के लिए आवेदन करें.
  • बैंक कर्मचारी और बैंक कस्टमर केयर के नाम पर भी लोगों से ठगी की जा रही है. ऐसे में बैंक या वॉलेट जैसे अन्य सुविधाओं के लिए संबंधित संस्थानों से आधिकारिक नंबर और ई-मेल प्राप्त करें और उन्हें अपने पास रखें.
    साइबर ठगों से ऐसे बचें.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के हिसाब से साल 2019 में साइबर क्राइम के 44,546 मामले दर्ज किये गये. साल 2018 में दर्ज साइबर क्राइम के 28,248 मामलों के हिसाब से यह संख्या 63.5 फीसदी अधिक है. आंकड़ों के हिसाब से साल 2017 में साइबर क्राइम की संख्या 21,796 रही थी. अनुमान के मुताबिक, बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक प्रतिदिन इतनी बड़ी संख्या में लोग लगभग ढाई घंटा इंटरनेट की दुनिया में समय गुजार रहे हैं. इसी के दृष्टिगत तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर साइबर अपराधी इंटरनेट यूजर्स से लाखों करोड़ों की ठगी कर उनको अपना शिकार बना रहे हैं.

ये भी पढ़ें: साइबर क्राइम: बैंक का कस्टमर केयर अफसर बनकर खाते से उड़ाए रुपये

इंटरनेट सर्च इंजन से बचे

भूल से भी इंटरनेट के सर्च इंजन में कस्टमर केयर नंबर ढूंढने की गलती न करें. कई बार अपराधी कस्टमर केयर से मिलता-जुलता नाम बनाकर उनकी जगह खुद का नंबर डाल देते हैं.

फोन पर निजी जानकारी देने से बचें

साइबर क्राइम की दुनिया में लंबे समय से फोन पर किसी की बैंकिंग या अन्य तरह की निजी जानकारी लेकर ठगी करने का कारनामा वर्षों से प्रचलित है. कई बार साइबर हैकर्स दोस्त-रिश्तेदार बनकर आपात स्थिति में बैंक की निजी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. ऐसे में किसी भी सूरत में फोन पर किसी से बैंक या अन्य तरह की निजी जानकारी साझा न करें.

फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ठगी का खेल

शातिर ठगों ने ठगी का अनोखा तरीका ढूंढ निकाला है. शातिर ठग फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट हैक कर रिश्तेदारों और परिचितों को संदेश भेजकर पैसों की मांग कर रहे हैं. अधिकतर लोग इन मामलों में तुरंत पैसे डाल देते हैं और बाद में ठगी का एहसास होते ही माथा पीटने लगते हैं. ऐसे में फोन पर बात कर पहले हकीकात जानें, फिर फैसला लें.

'जागरूकता ही बचाव'

लॉक फीचर अपनाएं

साइबर ठग अब फेसबुक व इंस्टाग्राम पर लोगों की जानकारियां और प्रोफाइल फोटो चुराकर फर्जी आईडी तैयार कर रहे हैं. ऐसे में आप सोशल मीडिया में लॉक फीचर का इस्तेमाल करिए. अपने सोशल मीडिया अकाउंट में निजी जानकारी और पर्सनल फोटोग्राफ को हमेशा कम से कम साझा करें.

वेबसाइट पर भी साइबर हैकर की नजर

हैकर्स इस बात की भी जानकारी जुटा रहे हैं कि महिलाएं, बच्चे, बूढ़े और नौजवान कौन सी वेबसाइट बार-बार इस्तेमाल कर रहे हैं. हैकर्स इस वेबसाइटों से निजी जानकारी जुटाकर यूजर्स के साथ तरह-तरह की धोखेबाजी और ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में अनजान वेबसाइट के इस्तेमाल से भी बचें.

ये भी पढ़ें: साइबर अटैक से नहीं घबराने की जरूरत, ऐसे दर्ज कराएं शिकायत

बारकोड के जरिए साइबर ठगी का बड़ा खेल

उत्तराखंड साइबर पुलिस के मुताबिक इन दिनों क्यूआर कोड को लेकर भी बड़ी ठगी का खेल साइबर क्राइम अपराधियों द्वारा हो रहा है. अपराधी मोबाइल, व्हाट्सएप और ईमेल पर क्यूआर कोड भेज ठगी कर रहे हैं. कई बार ठग पैसा देने के नाम पर क्यूआर कोड भेजते हैं, ऐसे में लोग झांसे में आकर अपनी पूंजी खो देते हैं. इसलिए हमेशा क्यूआर कोड इस्तेमाल के समय बेहद सावधानी बरतें.

फिशिंग लिंक के जरिए साइबर ठगी

उत्तराखंड साइबर पुलिस के मुताबिक, वर्तमान समय में फिशिंग लिंक के नाम पर भी खूब ठगी का खेल हो रहा है. ई-मेल के जरिए अनजान व्यक्ति किसी तरह का प्रलोभन देकर एक लिंक भेजता है. जिसको क्लिक करने के बाद यूजर्स की सारी बैंक और निजी जानकारी हैकर्स के हाथ लग जाती है और वह एक बड़ी ठगी का शिकार बन जाता है.

पीड़ितों का पीछे हटना

उत्तराखंड में प्रतिदिन साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के साथ-साथ थाना-चौकियों में तकरीबन 100 शिकायतें साइबर ठगी से संबंधित आती हैं. हालांकि अधिकांश मामलों में शिकायतकर्ता मुकदमा दर्ज कराने की जगह पीछे हट जाते हैं. इस वजह से भी तेजी से साइबर क्राइम बढ़ता जा रहा है. उत्तराखंड साइबर पुलिस के मुताबिक साइबर क्राइम के अधिकतर गिरोह- छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान के मेवात, पश्चिम बंगाल, असम और मणिपुर जैसे राज्यों से चल रहे हैं.

बचाव के लिए जागरूकता जरूरी

डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि सबसे पहले इंटरनेट यूजर को ही साइबर क्राइम अपराध के प्रति जागरुक होना होगा. पूरे राज्य में साइबर क्राइम की टीमें अपराधियों पर कार्रवाई करने में जुटी हुई है. बावजूद इसके जागरुकता ही सबसे बड़ा बचाव का उपाय है.

साइबर ठगी होने पर क्या करें

  • ठगी होने के बाद पीड़ित को तुरंत अपने बैंक में सूचना देकर बैंक खाता ब्लॉक कराना चाहिए, ताकि उस खाते से और अधिक फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन न हो पाए.
  • हमेशा अपने बैंक का कस्टमर केयर नंबर अपने पास सेव रखें ताकि आपातकाल स्थिति में सीधे संपर्क किया जा सके.
  • ठगी होने पर पीड़ित को नजदीकी पुलिस और साइबर सेल को घटना की सूचना देनी चाहिए.
  • उत्तराखंड में ठगी होने पर सीधे साइबर सेल के हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत कर सकते हैं या सेल को ईमेल भी कर सकते हैं. उत्तराखंड साइबर सेल के डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा का नंबर- 8126372169, हेल्प लाइन नंबर- 01352655900 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके साथ ही ccps.deh@uttarakhandpolice.uk.gov.in पर ईमेल भी कर सकते हैं.
Last Updated : Nov 21, 2020, 6:21 PM IST
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