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उत्तराखंड को बीसीसीआई से मान्यता मिलने पर क्रेडिट लेने की मची होड़, गरमाई राजनीति

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Published : Aug 14, 2019, 5:30 PM IST

Updated : Aug 14, 2019, 7:49 PM IST

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को मान्यता मिलने से अब यह क्रिकेट एसोसिएशन बीसीसीआई का स्थायी सदस्य हो जाएगा. जिसका फायदा न सिर्फ प्रदेश में क्रिकेट खिलाड़ियों को मिलेगा बल्कि क्रिकेट से जुड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर को नया आयाम मिलेगा.

फाइल फोटो

देहरादून: 18 साल के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को बीसीसीआई से मान्यता मिल गई. इससे एक तरफ जहां उत्तराखंड में क्रिकेट प्रेमी खुश है तो वहीं, दूसरी ओर राज्य की राजनीति में मान्यता का क्रेडिट लेने की होड़ मची हुई है.

उत्तराखंड में बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद राजनीतिक सरगर्मी अभी तेज हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस से जुड़े राजनेता मान्यता दिलाए जाने को लेकर खुद के क्रेडिट लेने में जुट गए हैं.

पढ़ें- पुलिसवाले की पत्नी को करता था अश्लील मैसेज, बीच सड़क युवक की हुई जमकर पिटाई

उत्तराखंड राज्य की स्थापना करीब 18 साल पहले हुई और तब से ही लगातार राज्य क्रिकेट के क्षेत्र में युवाओं के हक की लड़ाई लड़ रहा है. प्रदेश पिछले 18 सालों से राज्य को बीसीसीआई की मान्यता दिलाने को लेकर संघर्षरत हैं, हालांकि राज्य सरकारों की उदासीनता और प्रदेश के एसोसिएशन की आपसी लड़ाई के कारण यह मान्यता मिलने में राज्य को 18 साल लग गए. लेकिन राज्य को जैसे ही बीसीसीआई ने मान्यता दी वैसे ही राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने इसको लेकर खुद क्रेडिट लेना शुरू कर दिया.

बीसीसीआई से मान्यता पर गरमाई राजनीति

इसमें कोई दो राय नहीं है कि खेल मंत्री अरविंद पांडे का बीसीसीआई से मान्यता को लेकर एक बड़ा योगदान रहा है, लेकिन इस खुशी के मौके पर भी खुद की भूमिका को महत्वपूर्ण बताने की होड़ मची हुई है. मामले पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह बेहद खुशी का मौका है कि बीसीसीआई ने उत्तराखंड को मान्यता दे दी है. उन्होंने खुद व्यक्तिगत रूप से साल 2009 में इसके लिए पुरजोर तरीके से प्रयास किए थे और अब जाकर राज्य को मान्यता मिल पाई हैं.

पढ़ें- GOOD NEWS: उत्तराखंड क्रिकेट के लिए ऐतिहासिक दिन, BCCI से मिली मान्यता

इस मामले में कांग्रेस ने राजनीति करने में काफी ज्यादा तेजी दिखाई है. कांग्रेस नेता प्रदेश को बीसीसीआई से मिली मान्यता के लिए सरकार को बधाई देने के बजाय पुरानी सरकारों के प्रयास और क्रिकेट एसोसिएशन की तारीफ कर रहे हैं. जबकि, इन्हीं क्रिकेट एसोसिएशन की आपसी लड़ाई कारण प्रदेश को मान्यता मिलने में 18 साल लग गए. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने बताया कि मान्यता को लेकर क्रेडिट सीधे तौर पर एसोसिएशन और पुरानी सरकारों व उन बच्चों को जाता है जो पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं.

उत्तराखंड को बीसीसीआई से मान्यता को लेकर भले ही कोई भी क्रेडिट ले, लेकिन ये उन खिलाड़ियों के लिए एक बेहतर मौका है, जो पिछले किक्रेट में अपना भविष्य तलाश रहे हैं.

देहरादून: 18 साल के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड को बीसीसीआई से मान्यता मिल गई. इससे एक तरफ जहां उत्तराखंड में क्रिकेट प्रेमी खुश है तो वहीं, दूसरी ओर राज्य की राजनीति में मान्यता का क्रेडिट लेने की होड़ मची हुई है.

उत्तराखंड में बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद राजनीतिक सरगर्मी अभी तेज हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस से जुड़े राजनेता मान्यता दिलाए जाने को लेकर खुद के क्रेडिट लेने में जुट गए हैं.

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उत्तराखंड राज्य की स्थापना करीब 18 साल पहले हुई और तब से ही लगातार राज्य क्रिकेट के क्षेत्र में युवाओं के हक की लड़ाई लड़ रहा है. प्रदेश पिछले 18 सालों से राज्य को बीसीसीआई की मान्यता दिलाने को लेकर संघर्षरत हैं, हालांकि राज्य सरकारों की उदासीनता और प्रदेश के एसोसिएशन की आपसी लड़ाई के कारण यह मान्यता मिलने में राज्य को 18 साल लग गए. लेकिन राज्य को जैसे ही बीसीसीआई ने मान्यता दी वैसे ही राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने इसको लेकर खुद क्रेडिट लेना शुरू कर दिया.

बीसीसीआई से मान्यता पर गरमाई राजनीति

इसमें कोई दो राय नहीं है कि खेल मंत्री अरविंद पांडे का बीसीसीआई से मान्यता को लेकर एक बड़ा योगदान रहा है, लेकिन इस खुशी के मौके पर भी खुद की भूमिका को महत्वपूर्ण बताने की होड़ मची हुई है. मामले पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह बेहद खुशी का मौका है कि बीसीसीआई ने उत्तराखंड को मान्यता दे दी है. उन्होंने खुद व्यक्तिगत रूप से साल 2009 में इसके लिए पुरजोर तरीके से प्रयास किए थे और अब जाकर राज्य को मान्यता मिल पाई हैं.

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इस मामले में कांग्रेस ने राजनीति करने में काफी ज्यादा तेजी दिखाई है. कांग्रेस नेता प्रदेश को बीसीसीआई से मिली मान्यता के लिए सरकार को बधाई देने के बजाय पुरानी सरकारों के प्रयास और क्रिकेट एसोसिएशन की तारीफ कर रहे हैं. जबकि, इन्हीं क्रिकेट एसोसिएशन की आपसी लड़ाई कारण प्रदेश को मान्यता मिलने में 18 साल लग गए. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने बताया कि मान्यता को लेकर क्रेडिट सीधे तौर पर एसोसिएशन और पुरानी सरकारों व उन बच्चों को जाता है जो पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं.

उत्तराखंड को बीसीसीआई से मान्यता को लेकर भले ही कोई भी क्रेडिट ले, लेकिन ये उन खिलाड़ियों के लिए एक बेहतर मौका है, जो पिछले किक्रेट में अपना भविष्य तलाश रहे हैं.

Intro:summary- उत्तराखंड को एक लंबे समय के संघर्ष के बाद आखिरकार बीसीसीआई ने मान्यता दे दी है... एक तरफ खेल प्रेमियों में बीसीसीआई से मान्यता मिलने को लेकर खुशी है तो दूसरी तरफ राज्य की राजनीति में मान्यता का क्रेडिट लेने की होड़ मची हुई है...

उत्तराखंड में बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद राजनीतिक सरगर्मी अभी तेज हो गई है भाजपा और कांग्रेस से जुड़े राजनेता मान्यता दिलाए जाने को लेकर खुद के क्रेडिट लेने में जुट गए हैं...


Body:उत्तराखंड की स्थापना करीब 18 साल पहले हुई और तब से ही लगातार राज्य क्रिकेट के क्षेत्र में युवाओं के हक की लड़ाई लड़ रहा है... प्रदेश पिछले 18 सालों से राज्य को बीसीसीआई की मान्यता दिलाने को लेकर संघर्षरत हैं... हालांकि राज्य सरकारों की उदासीनता और प्रदेश के एसोसिएशन की आपसी लड़ाई के कारण यह मान्यता मिलने में राज्य को 18 साल लग गए। लेकिन राज्य को जैसे ही बीसीसीआई ने मान्यता दी वैसे ही राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों ने इसको लेकर खुद क्रेडिट लेना शुरू कर दिया... इसमें कोई दो राय नहीं है कि खेल मंत्री अरविंद पांडे का बीसीसीआई से मान्यता को लेकर एक बड़ा योगदान रहा है लेकिन इस खुशी के मौके पर भी खुद की भूमिका को महत्वपूर्ण बताने की होड़ मची हुई है। मामले पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि यह बेहद खुशी का मौका है कि बीसीसीआई ने उत्तराखंड को मान्यता दे दी है और उन्होंने खुद व्यक्तिगत रूप से साल 2009 में इसके लिए पुरजोर तरीके से प्रयास किए थे और अब जाकर राज्य को मान्यता मिल पाई हैं।

बाइट त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री उत्तराखंड

इस मामले में कांग्रेस ने राजनीति करने में काफी ज्यादा तेजी दिखाइ है... कांग्रेस नेता प्रदेश को बीसीसीआई से मिली मान्यता के लिए सरकार को बधाई देने के बजाय पुरानी सरकारों के प्रयास और क्रिकेट एसोसिएशन की तारीफ कर रहे हैं। जबकि इन्हीं क्रिकेट एसोसिएशन की आपसी लड़ाई कारण प्रदेश को मान्यता मिलने में 18 साल लग गए हैं। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसवानी ने बताया कि मान्यता को लेकर क्रेडिट सीधे तौर पर एसोसिएशन पुरानी सरकारों और उन बच्चों को जाता है जो पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं।

बाइट गरिमा दसोनी प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस


Conclusion:उत्तराखंड को बीसीसीआई से मान्यता को लेकर भले ही कोई भी क्रेडिट ले लेकिन उत्तराखंड के युवाओं खेल में अपना भविष्य ढूंढ रहे खिलाड़ियों के लिए यह एक बेहतर मौका है और एक बड़ी खुशखबरी भी....
Last Updated : Aug 14, 2019, 7:49 PM IST
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