देहरादून: बैंक लोन के नाम पर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा करने वाले मैनेजर सहित तीन लोगों को विशेष सीबीआई अदालत ने सजा सुनाई. मैनेजर को आरके भास्कर को 5 साल की सजा औऱ 31 हजार रुपए जुर्माना, कारोबारी विरेंद्र बिष्ट को भी 5 साल की सजा और 60 लाख का जुर्माने की सजा सुनाई गई. जबकि धोखाधड़ी में फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले आर्किटेक को 4 साल की सजा और 5 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई.
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मिली जानकारी के मुताबिक मामला वर्ष 2009 का है, जब देहरादून के थाना डालनवाला के अंतर्गत वेल्हम ब्वॉयज स्कूल बैंक ब्रांच से ये फर्जीवाड़े का खेल शुरू हुआ था. सबसे पहले कारोबारी वीरेंद्र सिंह ने अपने एक बड़े जनरल स्टोर के व्यवसाय के लिए बैंक से लोन पास कराया. उसके कुछ दिन बाद मसूरी रोड पर स्थित अपने परिजनों का एक भवन धोखाधड़ी से गिरवी रखकर अपने अन्य व्यवसाय के लिए एक करोड़ से अधिक के लोन बैंक लेने की प्रक्रिया शुरू की. इसी फर्जीवाड़े के खेल में कारोबारी वीरेंद्र सिंह ने आर्किटेक से मिलकर अपने मसूरी रो स्थित परिजनों की प्रॉपर्टी को फर्जी दस्तावेज के आधार पर करोड़ों का दिखाकर बैंक से लोन पास करवाया. भवन की कीमत लगभग 10 लाख के आस-पास की थी, लेकिन बैंक मैनेजर आरके भास्कर से सांठगांठ कर एक करोड़ से अधिक का लोन ले लिया.
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उधर, बैंक में इस लोन फर्जीवाड़े का खुलासा 3 साल बाद साल 2012 में पता लगा. इसके बाद पुलिस ने शिकायत के आधार पर बैंक मैनेजर सहित तीन लोगों के खिलाफ सीबीआई में मुकदमा दर्ज किया. चार्जशीट दाखिल होने के बाद 7 साल की कोर्ट प्रक्रिया के तहत अभियोजन पक्ष की तरफ से 11 गवाह कोर्ट पेश किए गए. जबकि बचाव पक्ष की तरफ से चार गवाह पेश हुए.