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करोड़ों के फर्जीवाड़े में बैंक मैनेजर समेत दो को 5 साल की कैद, तीसरे को मिली 4 साल की सजा

बैंक लोन के नाम पर करोड़ों के फर्जीवाड़े में देहरादून की विशेष सीबीआई अदालत ने तीन दोषियों में से दो को 5-5 साल की सजा सुनाई, जबकि एक को 4 साल कैद की सजा सुनाई.

करोड़ों के फर्जीवाड़े में सुनाई गई सजा
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Published : Jul 25, 2019, 7:03 AM IST

देहरादून: बैंक लोन के नाम पर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा करने वाले मैनेजर सहित तीन लोगों को विशेष सीबीआई अदालत ने सजा सुनाई. मैनेजर को आरके भास्कर को 5 साल की सजा औऱ 31 हजार रुपए जुर्माना, कारोबारी विरेंद्र बिष्ट को भी 5 साल की सजा और 60 लाख का जुर्माने की सजा सुनाई गई. जबकि धोखाधड़ी में फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले आर्किटेक को 4 साल की सजा और 5 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई.

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मिली जानकारी के मुताबिक मामला वर्ष 2009 का है, जब देहरादून के थाना डालनवाला के अंतर्गत वेल्हम ब्वॉयज स्कूल बैंक ब्रांच से ये फर्जीवाड़े का खेल शुरू हुआ था. सबसे पहले कारोबारी वीरेंद्र सिंह ने अपने एक बड़े जनरल स्टोर के व्यवसाय के लिए बैंक से लोन पास कराया. उसके कुछ दिन बाद मसूरी रोड पर स्थित अपने परिजनों का एक भवन धोखाधड़ी से गिरवी रखकर अपने अन्य व्यवसाय के लिए एक करोड़ से अधिक के लोन बैंक लेने की प्रक्रिया शुरू की. इसी फर्जीवाड़े के खेल में कारोबारी वीरेंद्र सिंह ने आर्किटेक से मिलकर अपने मसूरी रो स्थित परिजनों की प्रॉपर्टी को फर्जी दस्तावेज के आधार पर करोड़ों का दिखाकर बैंक से लोन पास करवाया. भवन की कीमत लगभग 10 लाख के आस-पास की थी, लेकिन बैंक मैनेजर आरके भास्कर से सांठगांठ कर एक करोड़ से अधिक का लोन ले लिया.

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उधर, बैंक में इस लोन फर्जीवाड़े का खुलासा 3 साल बाद साल 2012 में पता लगा. इसके बाद पुलिस ने शिकायत के आधार पर बैंक मैनेजर सहित तीन लोगों के खिलाफ सीबीआई में मुकदमा दर्ज किया. चार्जशीट दाखिल होने के बाद 7 साल की कोर्ट प्रक्रिया के तहत अभियोजन पक्ष की तरफ से 11 गवाह कोर्ट पेश किए गए. जबकि बचाव पक्ष की तरफ से चार गवाह पेश हुए.

देहरादून: बैंक लोन के नाम पर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा करने वाले मैनेजर सहित तीन लोगों को विशेष सीबीआई अदालत ने सजा सुनाई. मैनेजर को आरके भास्कर को 5 साल की सजा औऱ 31 हजार रुपए जुर्माना, कारोबारी विरेंद्र बिष्ट को भी 5 साल की सजा और 60 लाख का जुर्माने की सजा सुनाई गई. जबकि धोखाधड़ी में फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले आर्किटेक को 4 साल की सजा और 5 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई.

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मिली जानकारी के मुताबिक मामला वर्ष 2009 का है, जब देहरादून के थाना डालनवाला के अंतर्गत वेल्हम ब्वॉयज स्कूल बैंक ब्रांच से ये फर्जीवाड़े का खेल शुरू हुआ था. सबसे पहले कारोबारी वीरेंद्र सिंह ने अपने एक बड़े जनरल स्टोर के व्यवसाय के लिए बैंक से लोन पास कराया. उसके कुछ दिन बाद मसूरी रोड पर स्थित अपने परिजनों का एक भवन धोखाधड़ी से गिरवी रखकर अपने अन्य व्यवसाय के लिए एक करोड़ से अधिक के लोन बैंक लेने की प्रक्रिया शुरू की. इसी फर्जीवाड़े के खेल में कारोबारी वीरेंद्र सिंह ने आर्किटेक से मिलकर अपने मसूरी रो स्थित परिजनों की प्रॉपर्टी को फर्जी दस्तावेज के आधार पर करोड़ों का दिखाकर बैंक से लोन पास करवाया. भवन की कीमत लगभग 10 लाख के आस-पास की थी, लेकिन बैंक मैनेजर आरके भास्कर से सांठगांठ कर एक करोड़ से अधिक का लोन ले लिया.

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उधर, बैंक में इस लोन फर्जीवाड़े का खुलासा 3 साल बाद साल 2012 में पता लगा. इसके बाद पुलिस ने शिकायत के आधार पर बैंक मैनेजर सहित तीन लोगों के खिलाफ सीबीआई में मुकदमा दर्ज किया. चार्जशीट दाखिल होने के बाद 7 साल की कोर्ट प्रक्रिया के तहत अभियोजन पक्ष की तरफ से 11 गवाह कोर्ट पेश किए गए. जबकि बचाव पक्ष की तरफ से चार गवाह पेश हुए.

Intro:summary_ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोडों बैंक लोन फर्जीवाड़े मामले में मैनेजर सहित तीन को सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाई सजा

देहरादून की विशेष सीबीआई अदालत से बुधवार शाम वक्त एक अहम फैसला आया जिसमें बैंक लोन के नाम पर करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा करने वाले मैनेजर मैनेजर सहित तीन लोगों को कोर्ट द्वारा सजा सुनाई गया। फर्जी दस्तावेजों को सही मानकर बैंक लोन पास करने वाले केनरा बैंक के मैनेजर आरके भास्कर को 5 साल की सजा और 31 हज़ार रुपये का जुर्माना सीबीआई कोर्ट ने तय किया। जबकि इस फर्जीवाड़े में करोड़ों का लोन लेकर रकम हड़पनें वाले कारोबारी विरेंद्र बिष्ट को सीबीआई की विशेष अदालत ने 5 साल की सजा और 60 लाख का जुर्माना अदा करने का फैसला सुनाया। इस पूरे बैंक लोन के धोखाधड़ी में फर्जी दस्तावेजों को तैयार करने वाले आर्किटेक्ट को भी सीबीआई कोर्ट ने 4 साल की सजा सुनाने के साथ ही 5 हजार का आर्थिक दंड अदा करने का आदेश दिया।


Body:जानकारी के मुताबिक मामला वर्ष 2009 का है जब देहरादून के थाना डालनवाला के अंतर्गत आने वाले वेल्हम बॉयज स्कूल बैंक ब्रांच से यह फर्जीवाड़े का खेल शुरू हुआ। कारोबारी वीरेंद्र सिंह ने सबसे पहले अपने एक बड़े जनरल स्टोर के व्यवसाय के लिए बैंक से लोन पास कराया उसके कुछ दिन बाद मसूरी रोड पर स्थित अपने परिजनों का एक भवन धोखाधड़ी से गिरवी रख अपने अन्य व्यवसाय के लिए एक करोड़ से अधिक के लोन बैंक लेने की प्रक्रिया शुरू की... इसी फर्जीवाड़े के खेल में कारोबारी वीरेंद्र सिंह ने अपने आर्किटेक्ट से मिलकर अपने मसूरी रोड़ परिजनों के प्रॉपर्टी को फर्जी दस्तावेज के आधार पर करोड़ों दिखाकर बैंक लोन से लोन पास करवाया। जिस गिरवी रखे भवन की कीमत लगभग 10 लाख के आस पास की थी उसे बैंक मैनेजर से सांठगांठ कर एक करोड़ से अधिक का लोन ले लिया।





Conclusion:उधर बैंक इन लोन फर्जीवाड़े का खुलासा 3 साल के पश्चात होने पर वर्ष 2012 में बैंक मैनेजर सहित तीन लोगों के खिलाफ सीबीआई में मुकदमा दर्ज हुआ। चार्जशीट दाखिल होने के बाद 7 साल की कोर्ट प्रक्रिया के तहत इस फर्जीवाड़े में अभियोजन पक्ष की तरफ से 11 गवाह कोर्ट पेश किए गए जबकि बचाव पक्ष की तरफ से चार गवाह पेश हुए। आखिरकार इस मामले में देहरादून की सीबीआई विशेष अदालत सुजाता सिंह की कोर्ट ने इस बैंक लोन फर्जीवाड़े को गवाहों और सबूतों के चलते सही पाए जाने पर बैंक मैनेजर सहित तीन लोगों को दोषी ठहराते हुए बुधवार सजा सुनाई।
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