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उत्तराखंड: औषधीय गुणों से भरपूर है बद्री बेरी, PM मोदी के डिमांड करने के बाद बढ़ी मांग

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Published : Feb 20, 2020, 8:19 AM IST

Updated : Feb 21, 2020, 2:23 PM IST

उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में औषधीय गुणों से संपन्न बद्री बेरी की शहरी क्षेत्रों में भी मांग बढ़ने लगी है. इस औषधि की मांग खुद पीएम मोदी भी कर चुके हैं.

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कई गंभीर बीमारियों के लिए हितकारी ये दुर्लभ जड़ी-बूटी

देहरादून: विश्वभर में प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र औषधीय गुणों वाली जड़ी-बूटियों का भंडार है. उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली एक ऐसी ही दुर्लभ जड़ी-बूटी पायी जाती है, जिसका जिक्र कई बार पीएम मोदी अपने संबोधन में कर चुके हैं. वहीं देवभूमि में पाई जानी वाली बद्री बेरी औषधीय गुणों से भरपूर मानी जाती है, जिसे अंग्रेजी में 'सीबक थोर्न' के नाम से जाना जाता है. इस औषधि की मांग खुद पीएम मोदी भी कर चुके हैं.

गोपेश्वर जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. विजय भट्ट ने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर बद्री बेरी उत्तराखंड के उच्च हिमालयी इलाकों में पायी जाती है. इसमें पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और चमोली जिला शामिल है. इस औषधि की सबसे बड़ी खास बात ये है कि ये कैंसर रोधी होने के साथ ही पथरी, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और लीवर संबंधी रोगों से लड़ने में बेहद ही कारगर है.

कई गंभीर बीमारियों के लिए हितकारी ये दुर्लभ जड़ी-बूटी

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में तख्तापलट की अफवाहों का बाजार गर्म, CM बोले- षड्यंत्र से जुड़ा है राजनीति का इतिहास

डॉ. भट्ट बताते हैं कि औषधीय गुणों से भरपूर बद्री बेरी के बारे में आज भी बहुत कम लोग जानते हैं. हालांकि, इसका इस्तेमाल उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाले ग्रामीण सालों से करते आ रहे हैं, लेकिन जिस तरह से शहरों में प्रदूषण और तरह-तरह की बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है. उसे ध्यान में रखते हुए इस खास औषधि का प्रचार शहरों में भी होना चाहिए, जिससे शहरी क्षेत्रों के लोग भी इसका उपयोग कर बेहतर स्वस्थ्य लाभ ले सकें.

बद्री बेरी के पेड़ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं. जो औषधीय गुणों से भरपूर माने जाते हैं. पर्वतीय अंचलों में लोग इसका प्रयोग वर्षों से करते आए हैं. लेकिन प्रचार-प्रसार ने होने के कारण इसे पहचान नहीं मिल पाई है. बद्री बेरी का वैज्ञानिक नाम- हिपोथी सॉलीसिफोलिया है. जो औषधीय गुणों से भरपूर होने के अलावा भूमि के लिए भी उपयोगी माना जाता है.

जिससे बेकार पड़ी भूमि भी उर्वरा शक्ति बनी रहती है. पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी पत्तियों को भी उपयोग में लाया जाता है. जिसके रस से सत बनाया जाता है. इसकी पैदावार के लिए ऊंचाई पर स्थित ज्यादा ठंडे इलाके काफी मुफीद हैं. प्रदेश के कई उच्च क्षेत्रों में इसकी पैदावार काश्तकारों को आत्मनिर्भर बना सकता हैं. वहीं जैसे-जैसे प्रचार प्रसार हो रहा है बद्री बेरी के औषधीय गुणों के कारण विदेशों में भी मांग बढ़ने लगी है.

वहीं उत्तराखंड जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान इस फल को बढ़ावा देने के लिए इसको कई स्थानों पर रोपित करने का कार्य योजना पर कार्य कर रहा है. जिससे रोजगार के साथ विकास के आयाम जुड़ सकें.

गौरतलब है कि इन्वेस्टर समिट-2018 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड पहुंचे थे तो पीएमओ के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री की मांग पर बद्री बेरी का डेढ़ लीटर रस पैक करवाया था. बद्री बेरी के सेवन के विषय मे जानकारी देते हुए डॉ. विजय भट्ट ने बताया कि बद्री बेरी के एक लीटर रस की कीमत 1000 रुपये है. जो मल्टी विटामिन का जबरदस्त स्रोत है. इसके सेवन से मानव शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलने लगता है. ऐसे में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और इससे किसी भी जानलेवा बीमारी से निजात पाने में आसानी होती है.

देहरादून: विश्वभर में प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र औषधीय गुणों वाली जड़ी-बूटियों का भंडार है. उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली एक ऐसी ही दुर्लभ जड़ी-बूटी पायी जाती है, जिसका जिक्र कई बार पीएम मोदी अपने संबोधन में कर चुके हैं. वहीं देवभूमि में पाई जानी वाली बद्री बेरी औषधीय गुणों से भरपूर मानी जाती है, जिसे अंग्रेजी में 'सीबक थोर्न' के नाम से जाना जाता है. इस औषधि की मांग खुद पीएम मोदी भी कर चुके हैं.

गोपेश्वर जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. विजय भट्ट ने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर बद्री बेरी उत्तराखंड के उच्च हिमालयी इलाकों में पायी जाती है. इसमें पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और चमोली जिला शामिल है. इस औषधि की सबसे बड़ी खास बात ये है कि ये कैंसर रोधी होने के साथ ही पथरी, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और लीवर संबंधी रोगों से लड़ने में बेहद ही कारगर है.

कई गंभीर बीमारियों के लिए हितकारी ये दुर्लभ जड़ी-बूटी

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में तख्तापलट की अफवाहों का बाजार गर्म, CM बोले- षड्यंत्र से जुड़ा है राजनीति का इतिहास

डॉ. भट्ट बताते हैं कि औषधीय गुणों से भरपूर बद्री बेरी के बारे में आज भी बहुत कम लोग जानते हैं. हालांकि, इसका इस्तेमाल उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाले ग्रामीण सालों से करते आ रहे हैं, लेकिन जिस तरह से शहरों में प्रदूषण और तरह-तरह की बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है. उसे ध्यान में रखते हुए इस खास औषधि का प्रचार शहरों में भी होना चाहिए, जिससे शहरी क्षेत्रों के लोग भी इसका उपयोग कर बेहतर स्वस्थ्य लाभ ले सकें.

बद्री बेरी के पेड़ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं. जो औषधीय गुणों से भरपूर माने जाते हैं. पर्वतीय अंचलों में लोग इसका प्रयोग वर्षों से करते आए हैं. लेकिन प्रचार-प्रसार ने होने के कारण इसे पहचान नहीं मिल पाई है. बद्री बेरी का वैज्ञानिक नाम- हिपोथी सॉलीसिफोलिया है. जो औषधीय गुणों से भरपूर होने के अलावा भूमि के लिए भी उपयोगी माना जाता है.

जिससे बेकार पड़ी भूमि भी उर्वरा शक्ति बनी रहती है. पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी पत्तियों को भी उपयोग में लाया जाता है. जिसके रस से सत बनाया जाता है. इसकी पैदावार के लिए ऊंचाई पर स्थित ज्यादा ठंडे इलाके काफी मुफीद हैं. प्रदेश के कई उच्च क्षेत्रों में इसकी पैदावार काश्तकारों को आत्मनिर्भर बना सकता हैं. वहीं जैसे-जैसे प्रचार प्रसार हो रहा है बद्री बेरी के औषधीय गुणों के कारण विदेशों में भी मांग बढ़ने लगी है.

वहीं उत्तराखंड जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान इस फल को बढ़ावा देने के लिए इसको कई स्थानों पर रोपित करने का कार्य योजना पर कार्य कर रहा है. जिससे रोजगार के साथ विकास के आयाम जुड़ सकें.

गौरतलब है कि इन्वेस्टर समिट-2018 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड पहुंचे थे तो पीएमओ के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री की मांग पर बद्री बेरी का डेढ़ लीटर रस पैक करवाया था. बद्री बेरी के सेवन के विषय मे जानकारी देते हुए डॉ. विजय भट्ट ने बताया कि बद्री बेरी के एक लीटर रस की कीमत 1000 रुपये है. जो मल्टी विटामिन का जबरदस्त स्रोत है. इसके सेवन से मानव शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलने लगता है. ऐसे में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और इससे किसी भी जानलेवा बीमारी से निजात पाने में आसानी होती है.

Last Updated : Feb 21, 2020, 2:23 PM IST
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