देहरादून: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है. इस बीच अब ब्लैक फंगस यानि म्यूकोरमाइकोसिस के मामलों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है. इसी बीच उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने राहत भरी खबर दी है. उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी ने एक शोध करते हुए एक ऐसी मशीन बनाई है, जो वातावरण में पनपने वाले बैक्टीरिया और फंगस का खात्मा करेगी. प्रोफेसर सुनील जोशी ने इस मशीन को पेटेंट करने की बात कही है.
देश में इन दिनों एलोपैथी और आयुर्वेद को लेकर बहस छिड़ी हुई है. अब तक एलोपैथी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता रहा है और आयुर्वेद को लेकर लोगों में थोड़ा कम विश्वास की भावना है. हालांकि, योगगुरु बाबा रामदेव आयुर्वेद को बीमारी में स्थायी निराकरण के रूप में बताते रहे हैं. बाबा रामदेव और आईएमए के बीच छिड़ी बहस के दौरान आयुर्वेद चिकित्सकों ने एक शोध के जरिए आयुर्वेद पर लोगों के विश्वास को बढ़ाने की कोशिश की है.
दरअसल, आयुर्वेद चिकित्सकों की तरफ से एक ऐसी मशीन तैयार की गई है, जिसमें विभिन्न जड़ी बूटियों के एक मिश्रण को जलाया जाता है. इसके बाद इससे निकलने वाले धुएं से सभी तरह के बैक्टीरिया और फंगस के भी खत्म होने का दावा किया गया है. उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील जोशी के मुताबिक करीब 10 से 12 जड़ी बूटियों के मिश्रण को (शोध के आधार पर) मशीन में रखा जाता है और फिर जलाया जाता है. सुनील जोशी ने दावा किया है कि वातावरण में एक प्रोटेक्टिव मैकेनिक बनाने की कोशिश की गई है, इसमें बायो बबल के जरिए वातावरण को खतरनाक बैक्टीरिया और फंगस से मुक्त किया जाता है.
पौराणिक सुश्रुत संहिता में भी है धूपन द्रव्य का जिक्र
आयुर्वेद चिकित्सकों की तरफ से महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखी गई सुश्रुत संहिता को आधार बनाते हुए धूपन द्रव्य विधि को अपनाया गया है. इसमें वातावरण को बैक्टीरिया, वायरस और फंगस से मुक्त रखने के लिए जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है. दावा किया गया है कि इस मशीन में इन जड़ी-बूटियों को जलाने के बाद 72 घंटे तक उस कमरे में बैक्टीरिया और फंगस नहीं पनपते. इसके लिए आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा बकायदा स्टडी की गई है.
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भारत सरकार में इस फार्मूले को पेटेंट कराया गया
प्रोफेसर सुनील जोशी ने बताया कि भारत सरकार में यह फार्मूला पब्लिश हुआ है और इसे पेटेंट भी कराया गया है. इसका प्रयोग आयुर्वेद विश्वविद्यालय में स्थित अस्पताल में भी किया जा रहा है. खास बात यह है कि आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने भी चिकित्सकों द्वारा शोध के बाद बनाई गई इस मशीन को देखा और इसकी बारीकियों को समझते हुए इसके फायदों को भी जाना. बता दें, इसको लेकर आयुर्वेद विश्वविद्यालय के साथ ही गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में भी लंबे समय तक शोध किया गया है.
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उधर, प्रोफेसर सुनील जोशी का दावा है कि दवाइयों के जरिए ब्लैक फंगस को कंट्रोल में नहीं लाया जा सकता और इसीलिए आयुर्वेद में पिछले कुछ समय से 5 से 7 शोध किए गए हैं, जिसमें से एक शोध बैक्टीरिया और संघर्ष को लेकर किया गया है. इस मशीन को अभ्यावरण का नाम दिया गया है.