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रामबाड़ा-केदारनाथ मार्ग पर एवलांच एक्टिव, वैज्ञानिकों ने वैकल्पिक मार्ग ढूंढने का दिये सुझाव - , Avalanches revived on Rambara-Kedarnath road

रामबाड़ा और केदारनाथ के लिए जो नया रास्ता है वह सुरक्षित रास्ता नहीं है. ऐसे में राज्य सरकार को कोई अतिरिक्त रास्ता ढूंढना चाहिए. आने वाले समय में यह रास्ता परेशानी का सबब बन सकता है.

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रामबाड़ा-केदारनाथ मार्ग पर पुनर्जीवित हो गए हैं एवलांच
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Published : Jul 26, 2020, 10:50 PM IST

Updated : Jul 27, 2020, 12:24 AM IST

देहरादून: साल 2013 में केदार घाटी में आयी भीषण आपदा के बाद केदार घाटी पूरी तरह तहस-नहस हो गयी थी. जिसके बाद से ही राज्य और केंद्र सरकार केदार घाटी को पूरी तरह विकसित करने में जुटी हुई है.इसी क्रम में आपदा के दौरान रामबाड़ा से केदारनाथ का रास्ता भी नष्ट हो गया था. जिसके बाद नया मार्ग भी बनाया गया, जिससे होकर यात्री केदारनाथ मंदिर पहुंचते हैं, लेकिन रामबाड़ा से केदारनाथ के बीच बने नए मार्ग पर वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है. वैज्ञानिक राज्य सरकार को अन्य वैकल्पिक रास्ता बनाने का सुझाव दे रहे हैं.

रामबाड़ा-केदारनाथ मार्ग पर पुनर्जीवित हो गए हैं एवलांच



वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के हिम वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने बताया कि रामबाड़ा से केदारनाथ का रास्ता नया है, लेकिन यह ग्लेशियर वाला क्षेत्र है. जहां करीब 9 से 10 जगह हिमस्खलन हो चुका है. उन्होंने बताया जिस साल ज्यादा बर्फ गिरती है उस साल इन क्षेत्रों में हिमस्खलन पुनर्जीवित हो जाते हैं. साल 2018-19 और 2019-20 में बहुत अधिक बर्फबारी हुई है. इस दौरान करीब 50 से 55 फीट बर्फ गिरी है. जिससे हिमस्खलन की आशंका बढ़ जाती है.

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रामबाड़ा-केदारनाथ मार्ग पर पुनर्जीवित हो गए हैं एवलांच

पढ़ें- कारगिल विजय दिवस: आखिर कब मिलेगा शहीद की शहादत को सम्मान, 21 साल बाद भी वादे अधूरे

डीपी डोभाल बताते हैं कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां धूप बहुत कम पड़ती है. जिस जगह पर धूप बहुत कम पड़ती है वहां पर बर्फ जल्दी नहीं पिघलती, लिहाजा उन जगहों पर हिमस्खलन आने के आसार बहुत अधिक होते हैं.

पढ़ें- सरकारी घोषणा में 'कैद' वीरभूमि की शौर्यगाथा, आखिर कब मिलेगा शहादत को सम्मान?

अधिक बर्फबारी होने के चलते मार्ग नहीं हैं सुरक्षित

डीपी डोभाल ने बताया कि बरसात के सीजन में जब बर्फ पिघलती है तो ऐसे में जिस जगह हिमस्खलन होता है वो लैंडस्लाइड और रॉ फॉल में बदल जाता है. ऐसे में रामबाड़ा और केदारनाथ के लिए जो नया रास्ता है वह सुरक्षित रास्ता नहीं है. ऐसे में राज्य सरकार को कोई अतिरिक्त रास्ता ढूंढना चाहिए. आने वाले समय में यह रास्ता परेशानी का सबब बन सकता है. साथ ही बताया गया कि मौजूदा समय में तमाम तरह की स्तिथियां बन रही हैं, जिसमे ग्लेशियर बड़ी मात्रा में पिघल रहे हैं. यही, नहीं पिछले 2 सालों से बहुत अधिक बर्फबारी हो रही है. जिससे तमाम चीजें एक्टिव हो रही हैं.

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रामबाड़ा-केदारनाथ मार्ग पर पुनर्जीवित हो गए हैं एवलांच

पढ़ें-हल्द्वानी: भाई की कलाई पर सजेगी स्वदेशी राखी, बाजारों से चाइना की राखियां गायब

एवलांच हो गए हैं पुनर्जीवित
वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जो फोटोग्राफ रामबाड़ा से केदारनाथ रास्ते के प्राप्त हुए हैं उससे साफ पता चल रहा है कि इस बार फिर सभी हिमस्खलन (Avalanche) पुनर्जीवित हो गए हैं. हालांकि इस साल चारधाम यात्रा कम चल रही है. लिहाजा, इस बारे में लोगों को पता नहीं चल पाया है. जिस तरह से क्लाइमेट चेंज हो रहा है ऐसे में इस रास्ते पर भविष्य में खतरा और बढ़ सकता है. ऐसे में ये नया रास्ता खतरे से खाली नहीं है.

देहरादून: साल 2013 में केदार घाटी में आयी भीषण आपदा के बाद केदार घाटी पूरी तरह तहस-नहस हो गयी थी. जिसके बाद से ही राज्य और केंद्र सरकार केदार घाटी को पूरी तरह विकसित करने में जुटी हुई है.इसी क्रम में आपदा के दौरान रामबाड़ा से केदारनाथ का रास्ता भी नष्ट हो गया था. जिसके बाद नया मार्ग भी बनाया गया, जिससे होकर यात्री केदारनाथ मंदिर पहुंचते हैं, लेकिन रामबाड़ा से केदारनाथ के बीच बने नए मार्ग पर वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है. वैज्ञानिक राज्य सरकार को अन्य वैकल्पिक रास्ता बनाने का सुझाव दे रहे हैं.

रामबाड़ा-केदारनाथ मार्ग पर पुनर्जीवित हो गए हैं एवलांच



वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के हिम वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने बताया कि रामबाड़ा से केदारनाथ का रास्ता नया है, लेकिन यह ग्लेशियर वाला क्षेत्र है. जहां करीब 9 से 10 जगह हिमस्खलन हो चुका है. उन्होंने बताया जिस साल ज्यादा बर्फ गिरती है उस साल इन क्षेत्रों में हिमस्खलन पुनर्जीवित हो जाते हैं. साल 2018-19 और 2019-20 में बहुत अधिक बर्फबारी हुई है. इस दौरान करीब 50 से 55 फीट बर्फ गिरी है. जिससे हिमस्खलन की आशंका बढ़ जाती है.

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रामबाड़ा-केदारनाथ मार्ग पर पुनर्जीवित हो गए हैं एवलांच

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डीपी डोभाल बताते हैं कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां धूप बहुत कम पड़ती है. जिस जगह पर धूप बहुत कम पड़ती है वहां पर बर्फ जल्दी नहीं पिघलती, लिहाजा उन जगहों पर हिमस्खलन आने के आसार बहुत अधिक होते हैं.

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अधिक बर्फबारी होने के चलते मार्ग नहीं हैं सुरक्षित

डीपी डोभाल ने बताया कि बरसात के सीजन में जब बर्फ पिघलती है तो ऐसे में जिस जगह हिमस्खलन होता है वो लैंडस्लाइड और रॉ फॉल में बदल जाता है. ऐसे में रामबाड़ा और केदारनाथ के लिए जो नया रास्ता है वह सुरक्षित रास्ता नहीं है. ऐसे में राज्य सरकार को कोई अतिरिक्त रास्ता ढूंढना चाहिए. आने वाले समय में यह रास्ता परेशानी का सबब बन सकता है. साथ ही बताया गया कि मौजूदा समय में तमाम तरह की स्तिथियां बन रही हैं, जिसमे ग्लेशियर बड़ी मात्रा में पिघल रहे हैं. यही, नहीं पिछले 2 सालों से बहुत अधिक बर्फबारी हो रही है. जिससे तमाम चीजें एक्टिव हो रही हैं.

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एवलांच हो गए हैं पुनर्जीवित
वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जो फोटोग्राफ रामबाड़ा से केदारनाथ रास्ते के प्राप्त हुए हैं उससे साफ पता चल रहा है कि इस बार फिर सभी हिमस्खलन (Avalanche) पुनर्जीवित हो गए हैं. हालांकि इस साल चारधाम यात्रा कम चल रही है. लिहाजा, इस बारे में लोगों को पता नहीं चल पाया है. जिस तरह से क्लाइमेट चेंज हो रहा है ऐसे में इस रास्ते पर भविष्य में खतरा और बढ़ सकता है. ऐसे में ये नया रास्ता खतरे से खाली नहीं है.

Last Updated : Jul 27, 2020, 12:24 AM IST
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