देहरादून: उत्तराखंड में आने वाले चुनावी महासंग्राम में सांप्रदायिक मुद्दों को हवा मिलना तय है. दरअसल, मुस्लिम यूनिवर्सिटी से शुरू हुई राजनीति अब सोशल मीडिया पर तुष्टीकरण की तरफ बढ़ती हुई दिखाई दे रही है. स्थिति यह है कि कांग्रेस पर मुस्लिम हिमायती होने का माहौल तैयार किया जा रहा है, तो कांग्रेस इस नई हवा को समझ कर इसके प्रभाव को खत्म करने की कोशिशों में जुटी है.
उत्तराखंड में चुनाव के लिए अब बहस 2 हफ्ते बाकी हैं. ऐसे में अब सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं की जुबान पर कुछ ऐसी बातें आ गई हैं, जो आने वाले दिनों में चुनाव के तुष्टीकरण की ओर इशारा कर रही हैं. हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष की तरफ से राज्य में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाए जाने की मांग की गई, तो इस पर सोशल मीडिया में कांग्रेस के खिलाफ जबरदस्त माहौल तैयार किया गया. स्थिति यह रही कि कांग्रेस इस मुद्दे पर ना तो खंडन कर पा रही है और ना ही इसका समर्थन ही कर पा रही है.
उधर, इस मामले पर माहौल बनता देख कांग्रेस के खिलाफ एक के बाद एक मुद्दे सामने आ रहे हैं. अब सोशल मीडिया पर एक आदेश वायरल हो रहा है, जो कि हरीश रावत सरकार का है, जिसमें सरकार ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को दिन में 2 घंटा नमाज पढ़ने के लिए समय देने का आदेश दिया था. इससे पहले हरीश रावत ही कह चुके थे कि अगर इससे जुड़ा कोई आदेश भाजपा दिखा दे तो वे राजनीति से संयास ले लेंगे.
ऐसे में अब माना जा रहा है कि भाजपा की ही आईटी सेल ने इस आदेश को वायरल किया है. यही नहीं, सोशल मीडिया पर हरीश रावत की बड़ी दाढ़ी के साथ कुछ फोटोग्राफ भी तैयार कर वायरल किए जा रहे हैं. हालांकि, इस मामले पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव कहते हैं कि यह सब भाजपा का तुष्टिकरण करने का तरीका है. चुनाव से पहले भाजपा इस तरह के हथकंडे अपना रही है.
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कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस की सोच केवल रोजगार शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं देने की है, जबकि भाजपा ऐसे हथकंडे के जरिए चुनाव जीतना चाहती है. उधर, राज्य की राजनीति में मुस्लिम फैक्टर के जरिए चुनाव लड़ने का आरोप भाजपा पर लगा, तो भाजपा की तरफ से 20 प्रतिक्रिया दी जाने लगी. पार्टी के चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी ने कहा कि तो अब हरीश रावत से पूछा जाना चाहिए कि वह कब संन्यास ले रहे हैं.