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67 साल बाद राष्ट्रीय स्मारक घोषित, क्या अब बदलेगी अश्वमेध यज्ञ स्थल की तस्वीर?

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Published : Aug 22, 2019, 7:05 AM IST

67 साल के लंबे इंतजार के बाद विकास नगर के जगतग्राम बाड़वाला स्थित अश्वमेध यज्ञ स्थल को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा हासिल हुआ. राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने के स्थानीय लोग इस स्थल की तस्वीर बदलने की उम्मीद कर रहे हैं.

राष्ट्रीय स्मारक घोषित हुआ अश्वमेध यज्ञ स्थल.

देहरादून: विकासनगर में बाड़वाला जगतग्राम स्थित अश्वमेघ यज्ञ स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया. अब तक राष्ट्रीय स्मारक घोषित न होने के कारण पुरातत्व विभाग इस स्थल की सही ढंग से देखभाल नहीं कर पा रहा था. यहां पर लोगों के आने के लिए किसी तरह के मार्ग की भी कोई व्यवस्था नहीं थी.

राष्ट्रीय स्मारक घोषित हुआ अश्वमेध यज्ञ स्थल.

पढ़ें: खुशखबरी: क्रिकेटर आर्यन जुयाल का अंडर 23 के लिए चयन

अश्वमेध प्राचीनकालीन एक यज्ञ का नाम है. अश्वमेध मुख्य रूप से एक राजनीतिक यज्ञ था और इसे वही सम्राट कर सकते थे, जिसका आधिपत्य अन्य सभी नरेश मानते हो लेकिन, विकास नगर के बाड़वाला जगतग्राम स्थित अश्वमेघ यज्ञ स्थल की आज तक देखरेख नहीं की गई.

कहा जाता है कि इस साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण काल तीसरी शताब्दी का है, जब इस राज्य पर शील बर्मन नामक परम शक्तिशाली राजा राज करते थे. उन्होंने ही जगत ग्राम में चार अश्वमेघ यज्ञ किए थे.

स्थानीय निवासियों ने उम्मीद जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने के बाद यहां की तस्वीर जरुर बदलेगी. साथ ही यहां पर पर्यटकों के आने से स्थानीय लोगों को रोजगार हासिल होगा.

देहरादून: विकासनगर में बाड़वाला जगतग्राम स्थित अश्वमेघ यज्ञ स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया. अब तक राष्ट्रीय स्मारक घोषित न होने के कारण पुरातत्व विभाग इस स्थल की सही ढंग से देखभाल नहीं कर पा रहा था. यहां पर लोगों के आने के लिए किसी तरह के मार्ग की भी कोई व्यवस्था नहीं थी.

राष्ट्रीय स्मारक घोषित हुआ अश्वमेध यज्ञ स्थल.

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अश्वमेध प्राचीनकालीन एक यज्ञ का नाम है. अश्वमेध मुख्य रूप से एक राजनीतिक यज्ञ था और इसे वही सम्राट कर सकते थे, जिसका आधिपत्य अन्य सभी नरेश मानते हो लेकिन, विकास नगर के बाड़वाला जगतग्राम स्थित अश्वमेघ यज्ञ स्थल की आज तक देखरेख नहीं की गई.

कहा जाता है कि इस साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण काल तीसरी शताब्दी का है, जब इस राज्य पर शील बर्मन नामक परम शक्तिशाली राजा राज करते थे. उन्होंने ही जगत ग्राम में चार अश्वमेघ यज्ञ किए थे.

स्थानीय निवासियों ने उम्मीद जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने के बाद यहां की तस्वीर जरुर बदलेगी. साथ ही यहां पर पर्यटकों के आने से स्थानीय लोगों को रोजगार हासिल होगा.

Intro:पछवा दून के जगत ग्राम बाढ़ वाला स्थित अश्वमेघ यज्ञ स्थल राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने से बदलेगी तस्वीर अब तक राष्ट्रीय स्मारक घोषित न होने के कारण पुरातत्व विभाग इस स्थल की सही ढंग से देखभाल नहीं कर पा रहा था हाल ही में अश्वमेध यज्ञ स्थल को राष्ट्रीय स्मारक की सूची में डाला गया है.


Body:बाढ़ वाला जगत ग्राम स्थित अश्वमेघ यज्ञ स्थल के बागानों के बीच में स्थित है ऐसे में स्थल तक पहुंचने का कोई सही मार्ग नहीं बाहर से आने वाले पर्यटकों को यज्ञ स्थल तक पहुंचने के लिए आम के बागों के बीच में पैदल चलकर यहां तक पहुंचना पड़ता है लंबे समय से स्थानीय लोग स्थल तक रास्ता बनाने की मांग करते आ रहे हैं राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने के बाद उम्मीद जगी है कि इस स्थल तक सड़क पहुंचाने में केंद्र सरकार भी दिलचस्पी लेगी जगत ग्राम बाढ़ वाला पुरातात्विक उत्खनन कार्य के दौरान तीसरी शताब्दी कि कई वे वेदिकाए निकली जिसके बाद इस जगह को आर्कियोजिकल साइट के रूप में पुरातत्व विभाग ने अंडरटे कर लिया तब इसे राष्ट्रीय स्मारक बनाने में अंतरिम अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी लेकिन अब तक स्थल को पूर्ण रूप से राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा नहीं मिल सका था लेकिन अब राष्ट्रीय स्मारक घोषित होने के बाद इस स्थल के आसपास विकास कार्य में तेजी आ सकेगी कहा जाता है की इस साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण काल तीसरी शताब्दी रहा जब इस राज्य पर शील बर्मन नामक परम शक्तिशाली राजा राज करते थे उन्होंने ही जगत ग्राम में चार अश्वमेघ यज्ञ किए थे स्थानीय निवासी प्रीति ने बताया कि जगत ग्राम बारवाला स्थित प्राचीन अश्विनी स्थल को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने से उनकी तस्वीर बदलेगी और पर्यटकों का आवागमन रहेगा स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त होगा


Conclusion:तीसरी शताब्दी में राजा शील बर्मन ने जगत ग्राम बाढ़ वाला में अश्वमेघ यज्ञ कराया था जिसे राष्ट्रीय स्मारक की सूची में डाला गया है यह स्थल पर्यटन की पहुंच से काफी दूर था लेकिन अब यहां का विकास होने से पर्यटकों का आवागमन भी होगा जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे
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