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क्या उत्तराखंड में चूक गया AK का निशाना?, आप से नहीं जुड़ रहा कोई बड़ा नेता - उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी

क्या उत्तराखंड में AK यानी अरविंद केजरीवाल का निशाना चूक गया है. क्या उत्तराखंड में CM फेस घोषित करके केजरीवाल ने बड़ी भूल कर दी है. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले के आम आदमी पार्टी के हालात देखकर तो यही लग रहा है. 17 अगस्त 2021 को अरविंद केजरीवाल ने देहरादून में बड़े उत्साह के साथ कर्नल अजय कोठियाल को आप का सीएम फेस घोषित किया था. तब से 3 महीने होने को हैं, लेकिन उनकी पार्टी में कोई बड़ा नेता शामिल नहीं हुआ. पढ़िए ईटीवी भारत की ये विश्लेषणात्मक रिपोर्ट...

Arvind Kejriwal made a mistake
Arvind Kejriwal made a mistake
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Published : Nov 8, 2021, 8:44 AM IST

Updated : Nov 9, 2021, 4:11 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव-2022 (Uttarakhand Assembly Election-2022) शुरू होने में अब कुछ ही महीने शेष हैं. चुनाव को देखते हुए राजनीतिक पार्टियों की ओर से एक दूसरे दलों को लेकर बयानबाजी हो रही है. वहीं राजनीति में छोटे से छोटा मुद्दा कितना अहम होता है इस बात को राष्ट्रीय दल अच्छी तरह से जानते हैं. इसीलिए चुनावों से पहले मुद्दों का चुनाव करना हो या चेहरे का, हर बिंदु पर बेहद बारीकी से उसका नफा और नुकसान भांपने के बाद ही फैसला लिया जाता है. उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. ऐसे ही कुछ बिंदुओं और मुद्दों को लेकर इन दिनों राजनीतिक बिसात बिछाई जा रही है.

अरविंद केजरीवाल दिल्ली में भले ही चमत्कार करने में कामयाब रहे हों, लेकिन उत्तराखंड में लगता है उन्होंने चेहरा घोषित करने में जल्दबाजी कर दी. यह बात आम आदमी पार्टी की उत्तराखंड में मौजूदा स्थितियों को लेकर कहा जा रहा है. उत्तराखंड के जानकार भागीरथ शर्मा के मुताबिक, केजरीवाल ने प्रदेश में कर्नल अजय कोठियाल (Colonel Ajay Kothiyal) को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है. इस घोषणा के साथ ही आप में किसी बड़े चेहरे के जुड़ने की संभावनाएं खत्म हो गयी.

चेहरे पर चुनाव लड़ना क्या सही फैसला: उत्तराखंड में राजनीतिक पार्टियों का चेहरे पर चुनाव लड़ने का अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा है. यही कारण है कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक पार्टियां किसी भी चेहरे को घोषित करने से बचती रही हैं. लेकिन आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने उत्तराखंड में पहली बार 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ ही राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित कर दिया. इसी घोषणा के साथ प्रदेश में आप की तेज बढ़ती रफ्तार कुछ धीमी दिखाई देने लगी.

आपको बता दें कि, आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है. कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने के पीछे कई वजह रही हैं, लेकिन इन वजहों के चलते फायदा कम नुकसान ज्यादा दिखाई देता है. हालांकि, आम आदमी पार्टी के नेता यह नहीं मानते और उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी राष्ट्रवादी पार्टी है इसलिए उन्होंने सेना के पूर्व अफसर को मुख्यमंत्री के रूप में चेहरा बनाया है.

अरविंद केजरीवाल ने सीएम चेहरा घोषित करके कर दी गलती .

कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने के बाद नहीं जुड़ा कोई बड़ा नेता: उत्तराखंड के जानकार भागीरथ शर्मा की मानें तो अरविंद केजरीवाल भले ही राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा चेहरा माने जाते रहे हों, लेकिन उत्तराखंड में कोई भी बड़ा चेहरा उनसे जुड़ने को तैयार नहीं. स्थिति यह है कि आम आदमी पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है और चुनाव भी बेहद नजदीक है. लेकिन अरविंद केजरीवाल की पार्टी को ढूंढने से भी उत्तराखंड का कोई बड़ा नेता अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए नहीं मिल रहा है.

बड़ी बात ये है कि अरविंद केजरीवाल के पार्टी का चेहरा घोषित करने से पहले सतपाल महाराज से लेकर किशोर उपाध्याय और हरक सिंह रावत तक जैसे बड़े चेहरों के आम आदमी पार्टी में जुड़ने के कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन कर्नल अजय कोठियाल का नाम घोषित होने के बाद किसी भी बड़े चेहरे पर चर्चा पूरी तरह खत्म हो गयी. इसकी वजह कर्नल अजय कोठियाल का राजनीतिक रूप से शुरुआत करना है और ऐसे में किसी भी बड़े चेहरे का उनकी राजनीतिक सरपरस्ती में काम करना मुश्किल दिखाई देता है.

उत्तराखंड की सैनिक पृष्ठभूमि का लाभ कर्नल के चेहरे की रणनीति: आम आदमी पार्टी का कर्नल अजय कोठियाल के नाम को घोषित करने के पीछे एक बड़ी वजह राष्ट्रवाद के जरिए प्रदेश की सैनिक पृष्ठभूमि का लाभ लेने की कोशिश करना रहा. लेकिन आम आदमी पार्टी की रणनीति इसमें काफी हद तक फेल दिखाई दी है. ऐसा इसलिए क्योंकि आम आदमी पार्टी अब तक मैदानी सीटों पर ही फोकस करती हुई दिखाई दी है. जबकि सैनिक बाहुल्य क्षेत्रों में पर्वतीय जिलों की सीटें महत्वपूर्ण रही हैं. हालांकि कर्नल अजय कोठियाल खुद पर्वतीय सीटों पर काम करते हुए दिखाई दिए हैं लेकिन केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे बड़े चेहरों की प्राथमिकता मैदानी जिले ही दिखाई दिए हैं.

केदारनाथ पुनर्निर्माण सें चर्चा में रहे कर्नल कोठियाल: कर्नल अजय कोठियाल यूं तो केदारनाथ पुनर्निर्माण के कार्यों को लेकर प्रदेश में काफी चर्चा में रहे और इस दौरान उन्होंने लोगों की वाहवाही भी लूटी, लेकिन राजनीतिक रूप से चुनाव जीतने या जितवाने वाले करिश्माई चेहरे के रूप में उन्हें नहीं देखा जा सकता है. कर्नल कोठियाल का यूथ फाउंडेशन युवाओं को भी काफी संख्या में प्रभावित करता है लेकिन यह प्रभाव भी चुनावी वैतरणी पार करने के मामले में कम ही प्रभावशाली दिखता है.

उत्तराखंड में चेहरा घोषित कर धड़ाम गिरे थे कांग्रेस-भाजपा: चुनावी रूप से देखें तो कांग्रेस और भाजपा ने भी एक-एक बार नये चेहरे पर चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई थी, लेकिन यह दोनों ही पार्टियां उन चुनावों में सरकार नहीं बना पाईं. भाजपा ने बेहद ईमानदार छवि के भुवन चंद्र खंडूड़ी के चेहरे पर चुनाव लड़कर खंडूड़ी हैं जरूरी स्लोगन दिया तो कांग्रेस ने हरीश रावत के चेहरे पर चुनाव लड़कर रावत पूरे 5 साल के स्लोगन के साथ चुनाव में उतरने की हिम्मत दिखाई थी. लेकिन न तो खंडूड़ी सरकार वापस ला पाए और न ही हरीश रावत.

कर्नल अजय कोठियाल के चेहरे पर चुनाव लड़ने को लेकर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स का कहना है कि कर्नल अजय कोठियाल को उतारकर प्रदेश में सैनिकों के वोट लेने की कोशिश आम आदमी पार्टी की तरफ से की गई है और खुद को राष्ट्रवादी जताने के भी प्रयास किए गए हैं लेकिन जिस पार्टी के सर्वोच्च नेता अरविंद केजरीवाल हों, जो सेना के कामों पर ही सवाल उठाते रहे हैं, ऐसे व्यक्ति की पार्टी पर सैन्य प्रदेश विश्वास नहीं कर सकता.

आप को मेहनत की जरूरत: भाजपा प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स ने कहा कि आम आदमी पार्टी में कर्नल अजय कोठियाल और उन्हीं के प्रदेश प्रभारी में छत्तीस का आंकड़ा है. प्रदेश के नेता अजय कोठियाल को अपना नेता मानने को तैयार नहीं है. उनकी अहमियत उनकी खुद की पार्टी में नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस सोच के हिसाब से अजय कोठियाल सैनिकों को जोड़ पाएंगे आम आदमी पार्टी से उसमें भी वे फेल नजर आ रहे हैं. क्योंकि आप के राष्ट्रीय नेता अरविंद केजरीवाल देश के सैनिकों के शौर्य पर सवाल उठाते हैं तो राज्य के सैन्य परिवार आप के साथ जुड़ना नहीं चाहते हैं. सैन्य परिवार आस्थावान लोग हैं. राष्ट्रीयता पर सवाल उठाने वाले, देवी-देवताओं पर सवाल उठाने वालों के साथ कभी भी राज्य की जनता नहीं जाएगी. आम आदमी पार्टी को बहुत मेहनत करने की जरूरत है.

आप ने खुद को बताया राष्ट्रवादी पार्टी: वहीं, आम आदमी पार्टी नेता अमरेंद्र बिष्ट का कहना है कि जब से कर्नल अजय कोठियाल आप में शामिल हुए हैं तब से पार्टी लगातार राज्य में तेज गति से आगे बढ़ रही है. वहीं जो नेता पिछली बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, ऐसे काफी लोगों ने उनके नेतृत्व में पार्टी ज्वाइन की है. वहीं, युवा संवाद कार्यक्रम हो या रोजगार गारंटी के कार्यक्रम हों इनमें लोगों का काफी समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि कर्नल अजय कोठियाल ने सत्ता में रहे बिना काफी ऐसे काम किए हैं जो राजनीतिक पार्टियों को करने चाहिए थे. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी राष्ट्रवादी पार्टी है. राष्ट्रवाद हमारी विचारधारा है. कर्नल अजय कोठियाल से बेहतर चेहरा हमारी पार्टी को नहीं मिल सकता था और कर्नल कोठियाल को प्रदेश में अन्नदाता के रूप में भी देखा जाता है.

पढें: हरीश रावत का धामी सरकार पर आरोप, छठ पर्व पर छुट्टी निरस्त करने पर साधा निशाना

वहीं, चुनाव पास आते ही राजनीतिक नेताओं की अलग-अलग बयानबाजी भी शुरू हो गई है. कोई खुद को राज्य का मुख्यमंत्री घोषित कर रहा है तो कोई पार्टी से मुख्यमंत्री की घोषणा करने में लगा है. देखना ये होगा की प्रदेशवासियों को कौन राज्य के मुखिया के तौर पर भाता है.

हरीश रावत ने भी खुद को सीएम चेहरा किया घोषित: हरीश रावत एक बार फिर उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होना चाहते हैं. कांग्रेस हाईकमान ने अभी भले ही उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया हो, लेकिन हरीश रावत ने बाबा केदार से खुद मुख्यमंत्री बनने के लिए आशीर्वाद मांगा है.

हरीश रावत पिछले काफी समय से पार्टी हाईकमान से मांग कर रहे थे कि उत्तराखंड में पार्टी सीएम का चेहरा घोषित करे. ताकि कांग्रेस उसी चेहर पर चुनाव लड़ सके और आगे की रणनीति बना सके. वहीं कुछ दिनों पहले लक्सर में हुई एक रैली के दौरान हरीश रावत ने कहा था कि उत्तराखंड में भी वे किसी दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं.

तो वहीं, दूसरी ओर चुनाव के मद्देनजर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का उत्तराखंड दौरा जारी है. पीएम मोदी, अमित शाह से लेकर सीएम धामी तक राज्य के जनपदों में दौरा कर रहे हैं. वैसे चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दल एक दूसरे पर जुबानी हमला कर रहे हैं. बता दें कि, प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियों ने अभी तक मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.

भाजपा और कांग्रेस पर कोठियाल का तंज: बता दें कि, कर्नल अजय कोठियाल प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियों भाजपा और कांग्रेस पर तंज कसते रहते हैं. उन्होंने एक बार कहा था कि दोनों पार्टियां बहुत पुरानी हैं, इन दोनों को ही उत्तराखंड के लिए अच्छा काम करना चाहिए था, मगर इन्होंने ऐसा नहीं किया. ये हर किसी निर्णय के लिए हमेशा ही दिल्ली दौड़ में रहे.

प्रदेश की कई विधानसभा सीटों पर है कोठियाल की पकड़: कर्नल कोठियाल गढ़वाल के पहाड़ी जिलों में पूरी तरह से सक्रिय हैं. यहां पर उनकी एक बड़ी टीम भी लगातार काम करती रही है. इस तरह इन विधानसभा सीटों के समीकरण देखें तो करीब 21 विधानसभा सीटों पर कर्नल कोठियाल की ज्यादा या कम पकड़ बताई जाती है.

पढ़ें: महंगाई के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन, हरीश रावत ने सिर पर उठाया सिलेंडर

पहाड़ी युवाओं को सेना के लिए कर रहे तैयार: कर्नल अजय कोठियाल यूथ फाउंडेशन भी चलाते हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को सेना में भर्ती होने से जुड़ी ट्रेनिंग देता है. इस तरह कर्नल अजय कोठियाल गांव-गांव तक आम लोगों के बीच काफी पॉपुलर भी हैं. सेना में रहते हुए ही कर्नल कोठियाल ने उत्तराखंड के युवाओं के लिए सेना, अर्द्धसैनिक बल, पुलिस में जाने के लिए यूथ फाउंडेशन की स्थापना की.

यूथ फाउंडेशन सेना में भर्ती प्रशिक्षण शिविर लगाता है और इसमें युवाओं को निशुल्क रहना-खाना-पीना और ड्रेस दी जाती है. यूथ फाउंडेशन का दावा है कि वो अब तक प्रदेश के दस हजार से भी ज्यादा युवाओं को सेना और पैरामिलिट्री में रोजगार दिला चुका है. इतना ही नहीं पहाड़ों के गरीब और असहाय मरीजों का फ्री में इलाज भी करवाने का दावा भी वे कर रहे हैं.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव-2022 (Uttarakhand Assembly Election-2022) शुरू होने में अब कुछ ही महीने शेष हैं. चुनाव को देखते हुए राजनीतिक पार्टियों की ओर से एक दूसरे दलों को लेकर बयानबाजी हो रही है. वहीं राजनीति में छोटे से छोटा मुद्दा कितना अहम होता है इस बात को राष्ट्रीय दल अच्छी तरह से जानते हैं. इसीलिए चुनावों से पहले मुद्दों का चुनाव करना हो या चेहरे का, हर बिंदु पर बेहद बारीकी से उसका नफा और नुकसान भांपने के बाद ही फैसला लिया जाता है. उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. ऐसे ही कुछ बिंदुओं और मुद्दों को लेकर इन दिनों राजनीतिक बिसात बिछाई जा रही है.

अरविंद केजरीवाल दिल्ली में भले ही चमत्कार करने में कामयाब रहे हों, लेकिन उत्तराखंड में लगता है उन्होंने चेहरा घोषित करने में जल्दबाजी कर दी. यह बात आम आदमी पार्टी की उत्तराखंड में मौजूदा स्थितियों को लेकर कहा जा रहा है. उत्तराखंड के जानकार भागीरथ शर्मा के मुताबिक, केजरीवाल ने प्रदेश में कर्नल अजय कोठियाल (Colonel Ajay Kothiyal) को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है. इस घोषणा के साथ ही आप में किसी बड़े चेहरे के जुड़ने की संभावनाएं खत्म हो गयी.

चेहरे पर चुनाव लड़ना क्या सही फैसला: उत्तराखंड में राजनीतिक पार्टियों का चेहरे पर चुनाव लड़ने का अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा है. यही कारण है कि प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक पार्टियां किसी भी चेहरे को घोषित करने से बचती रही हैं. लेकिन आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने उत्तराखंड में पहली बार 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ ही राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित कर दिया. इसी घोषणा के साथ प्रदेश में आप की तेज बढ़ती रफ्तार कुछ धीमी दिखाई देने लगी.

आपको बता दें कि, आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है. कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने के पीछे कई वजह रही हैं, लेकिन इन वजहों के चलते फायदा कम नुकसान ज्यादा दिखाई देता है. हालांकि, आम आदमी पार्टी के नेता यह नहीं मानते और उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी राष्ट्रवादी पार्टी है इसलिए उन्होंने सेना के पूर्व अफसर को मुख्यमंत्री के रूप में चेहरा बनाया है.

अरविंद केजरीवाल ने सीएम चेहरा घोषित करके कर दी गलती .

कर्नल अजय कोठियाल को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने के बाद नहीं जुड़ा कोई बड़ा नेता: उत्तराखंड के जानकार भागीरथ शर्मा की मानें तो अरविंद केजरीवाल भले ही राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा चेहरा माने जाते रहे हों, लेकिन उत्तराखंड में कोई भी बड़ा चेहरा उनसे जुड़ने को तैयार नहीं. स्थिति यह है कि आम आदमी पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है और चुनाव भी बेहद नजदीक है. लेकिन अरविंद केजरीवाल की पार्टी को ढूंढने से भी उत्तराखंड का कोई बड़ा नेता अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए नहीं मिल रहा है.

बड़ी बात ये है कि अरविंद केजरीवाल के पार्टी का चेहरा घोषित करने से पहले सतपाल महाराज से लेकर किशोर उपाध्याय और हरक सिंह रावत तक जैसे बड़े चेहरों के आम आदमी पार्टी में जुड़ने के कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन कर्नल अजय कोठियाल का नाम घोषित होने के बाद किसी भी बड़े चेहरे पर चर्चा पूरी तरह खत्म हो गयी. इसकी वजह कर्नल अजय कोठियाल का राजनीतिक रूप से शुरुआत करना है और ऐसे में किसी भी बड़े चेहरे का उनकी राजनीतिक सरपरस्ती में काम करना मुश्किल दिखाई देता है.

उत्तराखंड की सैनिक पृष्ठभूमि का लाभ कर्नल के चेहरे की रणनीति: आम आदमी पार्टी का कर्नल अजय कोठियाल के नाम को घोषित करने के पीछे एक बड़ी वजह राष्ट्रवाद के जरिए प्रदेश की सैनिक पृष्ठभूमि का लाभ लेने की कोशिश करना रहा. लेकिन आम आदमी पार्टी की रणनीति इसमें काफी हद तक फेल दिखाई दी है. ऐसा इसलिए क्योंकि आम आदमी पार्टी अब तक मैदानी सीटों पर ही फोकस करती हुई दिखाई दी है. जबकि सैनिक बाहुल्य क्षेत्रों में पर्वतीय जिलों की सीटें महत्वपूर्ण रही हैं. हालांकि कर्नल अजय कोठियाल खुद पर्वतीय सीटों पर काम करते हुए दिखाई दिए हैं लेकिन केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे बड़े चेहरों की प्राथमिकता मैदानी जिले ही दिखाई दिए हैं.

केदारनाथ पुनर्निर्माण सें चर्चा में रहे कर्नल कोठियाल: कर्नल अजय कोठियाल यूं तो केदारनाथ पुनर्निर्माण के कार्यों को लेकर प्रदेश में काफी चर्चा में रहे और इस दौरान उन्होंने लोगों की वाहवाही भी लूटी, लेकिन राजनीतिक रूप से चुनाव जीतने या जितवाने वाले करिश्माई चेहरे के रूप में उन्हें नहीं देखा जा सकता है. कर्नल कोठियाल का यूथ फाउंडेशन युवाओं को भी काफी संख्या में प्रभावित करता है लेकिन यह प्रभाव भी चुनावी वैतरणी पार करने के मामले में कम ही प्रभावशाली दिखता है.

उत्तराखंड में चेहरा घोषित कर धड़ाम गिरे थे कांग्रेस-भाजपा: चुनावी रूप से देखें तो कांग्रेस और भाजपा ने भी एक-एक बार नये चेहरे पर चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई थी, लेकिन यह दोनों ही पार्टियां उन चुनावों में सरकार नहीं बना पाईं. भाजपा ने बेहद ईमानदार छवि के भुवन चंद्र खंडूड़ी के चेहरे पर चुनाव लड़कर खंडूड़ी हैं जरूरी स्लोगन दिया तो कांग्रेस ने हरीश रावत के चेहरे पर चुनाव लड़कर रावत पूरे 5 साल के स्लोगन के साथ चुनाव में उतरने की हिम्मत दिखाई थी. लेकिन न तो खंडूड़ी सरकार वापस ला पाए और न ही हरीश रावत.

कर्नल अजय कोठियाल के चेहरे पर चुनाव लड़ने को लेकर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स का कहना है कि कर्नल अजय कोठियाल को उतारकर प्रदेश में सैनिकों के वोट लेने की कोशिश आम आदमी पार्टी की तरफ से की गई है और खुद को राष्ट्रवादी जताने के भी प्रयास किए गए हैं लेकिन जिस पार्टी के सर्वोच्च नेता अरविंद केजरीवाल हों, जो सेना के कामों पर ही सवाल उठाते रहे हैं, ऐसे व्यक्ति की पार्टी पर सैन्य प्रदेश विश्वास नहीं कर सकता.

आप को मेहनत की जरूरत: भाजपा प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स ने कहा कि आम आदमी पार्टी में कर्नल अजय कोठियाल और उन्हीं के प्रदेश प्रभारी में छत्तीस का आंकड़ा है. प्रदेश के नेता अजय कोठियाल को अपना नेता मानने को तैयार नहीं है. उनकी अहमियत उनकी खुद की पार्टी में नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस सोच के हिसाब से अजय कोठियाल सैनिकों को जोड़ पाएंगे आम आदमी पार्टी से उसमें भी वे फेल नजर आ रहे हैं. क्योंकि आप के राष्ट्रीय नेता अरविंद केजरीवाल देश के सैनिकों के शौर्य पर सवाल उठाते हैं तो राज्य के सैन्य परिवार आप के साथ जुड़ना नहीं चाहते हैं. सैन्य परिवार आस्थावान लोग हैं. राष्ट्रीयता पर सवाल उठाने वाले, देवी-देवताओं पर सवाल उठाने वालों के साथ कभी भी राज्य की जनता नहीं जाएगी. आम आदमी पार्टी को बहुत मेहनत करने की जरूरत है.

आप ने खुद को बताया राष्ट्रवादी पार्टी: वहीं, आम आदमी पार्टी नेता अमरेंद्र बिष्ट का कहना है कि जब से कर्नल अजय कोठियाल आप में शामिल हुए हैं तब से पार्टी लगातार राज्य में तेज गति से आगे बढ़ रही है. वहीं जो नेता पिछली बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, ऐसे काफी लोगों ने उनके नेतृत्व में पार्टी ज्वाइन की है. वहीं, युवा संवाद कार्यक्रम हो या रोजगार गारंटी के कार्यक्रम हों इनमें लोगों का काफी समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि कर्नल अजय कोठियाल ने सत्ता में रहे बिना काफी ऐसे काम किए हैं जो राजनीतिक पार्टियों को करने चाहिए थे. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी राष्ट्रवादी पार्टी है. राष्ट्रवाद हमारी विचारधारा है. कर्नल अजय कोठियाल से बेहतर चेहरा हमारी पार्टी को नहीं मिल सकता था और कर्नल कोठियाल को प्रदेश में अन्नदाता के रूप में भी देखा जाता है.

पढें: हरीश रावत का धामी सरकार पर आरोप, छठ पर्व पर छुट्टी निरस्त करने पर साधा निशाना

वहीं, चुनाव पास आते ही राजनीतिक नेताओं की अलग-अलग बयानबाजी भी शुरू हो गई है. कोई खुद को राज्य का मुख्यमंत्री घोषित कर रहा है तो कोई पार्टी से मुख्यमंत्री की घोषणा करने में लगा है. देखना ये होगा की प्रदेशवासियों को कौन राज्य के मुखिया के तौर पर भाता है.

हरीश रावत ने भी खुद को सीएम चेहरा किया घोषित: हरीश रावत एक बार फिर उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होना चाहते हैं. कांग्रेस हाईकमान ने अभी भले ही उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया हो, लेकिन हरीश रावत ने बाबा केदार से खुद मुख्यमंत्री बनने के लिए आशीर्वाद मांगा है.

हरीश रावत पिछले काफी समय से पार्टी हाईकमान से मांग कर रहे थे कि उत्तराखंड में पार्टी सीएम का चेहरा घोषित करे. ताकि कांग्रेस उसी चेहर पर चुनाव लड़ सके और आगे की रणनीति बना सके. वहीं कुछ दिनों पहले लक्सर में हुई एक रैली के दौरान हरीश रावत ने कहा था कि उत्तराखंड में भी वे किसी दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं.

तो वहीं, दूसरी ओर चुनाव के मद्देनजर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का उत्तराखंड दौरा जारी है. पीएम मोदी, अमित शाह से लेकर सीएम धामी तक राज्य के जनपदों में दौरा कर रहे हैं. वैसे चुनाव को देखते हुए सभी राजनीतिक दल एक दूसरे पर जुबानी हमला कर रहे हैं. बता दें कि, प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियों ने अभी तक मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.

भाजपा और कांग्रेस पर कोठियाल का तंज: बता दें कि, कर्नल अजय कोठियाल प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियों भाजपा और कांग्रेस पर तंज कसते रहते हैं. उन्होंने एक बार कहा था कि दोनों पार्टियां बहुत पुरानी हैं, इन दोनों को ही उत्तराखंड के लिए अच्छा काम करना चाहिए था, मगर इन्होंने ऐसा नहीं किया. ये हर किसी निर्णय के लिए हमेशा ही दिल्ली दौड़ में रहे.

प्रदेश की कई विधानसभा सीटों पर है कोठियाल की पकड़: कर्नल कोठियाल गढ़वाल के पहाड़ी जिलों में पूरी तरह से सक्रिय हैं. यहां पर उनकी एक बड़ी टीम भी लगातार काम करती रही है. इस तरह इन विधानसभा सीटों के समीकरण देखें तो करीब 21 विधानसभा सीटों पर कर्नल कोठियाल की ज्यादा या कम पकड़ बताई जाती है.

पढ़ें: महंगाई के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन, हरीश रावत ने सिर पर उठाया सिलेंडर

पहाड़ी युवाओं को सेना के लिए कर रहे तैयार: कर्नल अजय कोठियाल यूथ फाउंडेशन भी चलाते हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को सेना में भर्ती होने से जुड़ी ट्रेनिंग देता है. इस तरह कर्नल अजय कोठियाल गांव-गांव तक आम लोगों के बीच काफी पॉपुलर भी हैं. सेना में रहते हुए ही कर्नल कोठियाल ने उत्तराखंड के युवाओं के लिए सेना, अर्द्धसैनिक बल, पुलिस में जाने के लिए यूथ फाउंडेशन की स्थापना की.

यूथ फाउंडेशन सेना में भर्ती प्रशिक्षण शिविर लगाता है और इसमें युवाओं को निशुल्क रहना-खाना-पीना और ड्रेस दी जाती है. यूथ फाउंडेशन का दावा है कि वो अब तक प्रदेश के दस हजार से भी ज्यादा युवाओं को सेना और पैरामिलिट्री में रोजगार दिला चुका है. इतना ही नहीं पहाड़ों के गरीब और असहाय मरीजों का फ्री में इलाज भी करवाने का दावा भी वे कर रहे हैं.

Last Updated : Nov 9, 2021, 4:11 PM IST
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