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विकासनगर: गोमूत्र अर्क की बढ़ी मांग, मालामाल हो रहा पशु प्रजनन केंद्र कालसी - Project Director

पशु प्रजनन केंद्र, कालसी में तैयार किए जा रहे गोमूत्र अर्क की मांग दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. जिससे केंद्र को हर साल करीब 8 लाख रुपये की आमदनी हो रही है.

Vikas Nagar Hindi News
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Published : Feb 12, 2020, 12:33 PM IST

विकासनगर: कालसी पशु प्रजनन केंद्र में तैयार किए जा रहे गोमूत्र अर्क की मांग इन दिनों बाजार में बढ़ गई है, इससे केंद्र की हर महीने लाखों रुपए हो रही आमदनी हो रही है. केंद्र में प्रतिमाह गोमूत्र से 28 हजार लीटर अर्क तैयार किया जा रहा है.

कालसी पशु प्रजनन केंद्र में तैयार किए जा रहे गोमूत्र अर्क की मांग बढ़ी.

बता दें, कालसी स्थित पशु प्रजनन केंद्र में गोमूत्र अर्क इकाई की स्थापना साल 2006 में की गई थी. केंद्र में भारतीय नस्ल की गायों का गोमूत्र इकट्ठा कर अर्क तैयार किया जाता है. जिसकी डिमांड आयुर्वेदिक संस्थानों में इन दिनों काफी बढ़ गई है. केंद्र में प्रतिमाह गोमूत्र से 28 हजार लीटर अर्क तैयार किया जा रहा है.

भारतीय संस्कृति में गोमूत्र को अनेकों रोग नाशक के माना जाता है. केंद्र में भारतीय नस्ल की रेड सिंधी गाय काफी संख्या में पाली जा रही है. तो वहीं, 9 माह से 3 साल तक की सिंधी नस्ल की बछिया का गोमूत्र प्रतिदिन इकट्ठा किया जाता है. इससे मशीनों द्वारा अर्क तैयार किया जाता है, जिसकी आयुर्वेदिक संस्थानों में इन दिनों काफी डिमांड है.

पढ़ें- देहरादून: रासायनिक आपदा से निपटने के लिए मॉक ड्रिल का आयोजन

केंद्र के परियोजना निदेशक डॉ. लोकेश कुमार ने बताया कि भारतीय नस्ल की गायों के गोमूत्र से अर्क तैयार किया जाता है. जिससे केंद्र को हर साल करीब 8 लाख रुपए मिल रहे हैं. हालांकि, यहां गायों की संख्या निश्चित होने के कारण अधिक उत्पादन नहीं हो पा रहा है.

विकासनगर: कालसी पशु प्रजनन केंद्र में तैयार किए जा रहे गोमूत्र अर्क की मांग इन दिनों बाजार में बढ़ गई है, इससे केंद्र की हर महीने लाखों रुपए हो रही आमदनी हो रही है. केंद्र में प्रतिमाह गोमूत्र से 28 हजार लीटर अर्क तैयार किया जा रहा है.

कालसी पशु प्रजनन केंद्र में तैयार किए जा रहे गोमूत्र अर्क की मांग बढ़ी.

बता दें, कालसी स्थित पशु प्रजनन केंद्र में गोमूत्र अर्क इकाई की स्थापना साल 2006 में की गई थी. केंद्र में भारतीय नस्ल की गायों का गोमूत्र इकट्ठा कर अर्क तैयार किया जाता है. जिसकी डिमांड आयुर्वेदिक संस्थानों में इन दिनों काफी बढ़ गई है. केंद्र में प्रतिमाह गोमूत्र से 28 हजार लीटर अर्क तैयार किया जा रहा है.

भारतीय संस्कृति में गोमूत्र को अनेकों रोग नाशक के माना जाता है. केंद्र में भारतीय नस्ल की रेड सिंधी गाय काफी संख्या में पाली जा रही है. तो वहीं, 9 माह से 3 साल तक की सिंधी नस्ल की बछिया का गोमूत्र प्रतिदिन इकट्ठा किया जाता है. इससे मशीनों द्वारा अर्क तैयार किया जाता है, जिसकी आयुर्वेदिक संस्थानों में इन दिनों काफी डिमांड है.

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केंद्र के परियोजना निदेशक डॉ. लोकेश कुमार ने बताया कि भारतीय नस्ल की गायों के गोमूत्र से अर्क तैयार किया जाता है. जिससे केंद्र को हर साल करीब 8 लाख रुपए मिल रहे हैं. हालांकि, यहां गायों की संख्या निश्चित होने के कारण अधिक उत्पादन नहीं हो पा रहा है.

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