ऋषिकेश: पशुपालन मंत्री रेखा आर्य अपने एक कार्यक्रम में प्रदेश के जिन भेड़ पालकों को सशक्त बनाने का दावा कर रही थीं, उन्हीं भेड़ पालकों ने मंत्री के दावों की पोल खोल दी. इतना ही नहीं, भेड़ पालकों ने उनसे संबंधित सरकार की योजनाओं की हकीकत भी बयां की.
दरअसल, उत्तराखंड भेड़ और ऊन विकास बोर्ड की ओर से ऋषिकेश स्थित प्रशिक्षण केंद्र में भेड़ पालकों की गोष्ठी आयोजित की गई थी. इस कार्यक्रम में पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की थी. मंत्री ने भेड़ पालकों को प्रोत्साहित करने वाली सरकार की तमाम योजनाओं से रूबरू कराना शुरू किया और दावा किया कि सरकार की सभी योजनाओं का लाभ भेड़ पालकों को मिल रहा है. हालांकि, कार्यक्रम में मौजूद भेड़ पालकों का कहना था कि वो मंत्री को दावों से जरा भी इत्तेफाक नहीं रखते.
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बागेश्वर निवासी भेड़ पालक भूपेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार आधुनिक उपकरण उपलब्ध कराकर भेड़ पालकों को सशक्त बनाने के दावे कर रही है, लेकिन हर साल कई कुंतल ऊन खरीदारों के अभाव में खराब हो जाती है. वहीं, भेड़ पालक कुंवर सिंह ने बताया कि भेड़ों का बीमा नहीं किया जाता है, ऐसे में अप्रिय घटना होने पर उन्हें कोई लाभ नहीं मिल पाता है. भेड़ पालकों का कहना है कि न तो सरकार इस ओर ध्यान दे रही है और न ही विभाग. ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो भेड़ पालक कैसे सशक्त होंगे?
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वहीं, पशुपालन मंत्री रेखा आर्य का कहना है कि पहले क्रेता और विक्रेता से संबंधित कार्यक्रम नहीं हुआ करते थे, लेकिन सरकार भेड़ पालकों को उनके ऊन को बाजार तक पहुंचाने के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध करा रही है. इसके तहत अब सरकार बायर और सेलर मीट का आयोजन भी करा रही है. बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री के लोग भी इसमें शामिल हो रहे हैं. वहीं, मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड ऐसा प्रदेश है जो कि भेड़ पालकों को ऊन की सर्वाधिक कीमत दे रहा है. भेड़ों से संबंधित समस्याओं के लिए विभाग ने हेल्पलाइन तक की जारी कर रखी है.