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उत्तराखंड राजस्व विभाग का कारनामा, नियमों को ताक पर रखकर बनाये अमीन

राजस्व विभाग ने नियमों को ताक रखकर संग्रह अमीनो को पहले तो नियमित किया. उसके बाद उन्हीं अमीनों को लाखों रुपये का एरियर दिया. बाद में उनको प्रोमोशन के लाभ देकर नायब तहसीलदार तक बना दिया गया.

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उत्तराखंड राजस्व विभाग का कारनामा
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Published : Sep 27, 2020, 4:45 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड राजस्व विभाग में अपने कारनामों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहता है. इस बार राजस्व विभाग में एक और बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है. रुड़की के एक समाजिक कार्यकर्ता प्रदीप त्यागी का कहना है कि राजस्व विभाग में मिली भगत कर अधिकारियों ने 2011 से पहले विभाग में तैनात सीजनल अमीनों को बिना नियमावली के मानक पूरे किए बिना नियमित कर दिया है. सामाजिक कार्यकर्ता ने मांग की है कि राजस्व विभाग में हुए इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच हो. जिससे दोषियों को सजा मिल सके.

उत्तराखंड राजस्व विभाग का कारनामा.

प्रदीप त्यागी ने बताया कि विभाग ने करीब 450 अमीन और चपरासियों को लाखो रुपये के एरियर का लाभ भी दिया है. 450 से अधिक कर्मचारियों को दिया गया एरियर लगभग 12 करोड़ रुपये से अधिक है, जो कि राजस्व विभाग के लिए एक बड़ी हानि है, इसलिए उन्होंने राजस्व विभाग में हुए इस गड़बड़झाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.

पढ़ें- उत्तराखंड का मानसरोवर है भराड़सर ताल, यहां प्रकृति ने बिखेरी है अनमोल छटा

सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप त्यागी का कहना है कि राजस्व विभाग ने नियमों को ताक रखकर संग्रह अमीनों को पहले तो नियमित किया. उसके बाद उन्हीं अमीनों को लाखों रुपये का एरियर दिया. बाद में उनको प्रोमोशन के लाभ देकर नायब तहसीलदार तक बना दिया गया, जो कि अपने आप में एक बड़ा घोटाला है. जिसकी जांच होनी चाहिए.

देहरादून: उत्तराखंड राजस्व विभाग में अपने कारनामों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहता है. इस बार राजस्व विभाग में एक और बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है. रुड़की के एक समाजिक कार्यकर्ता प्रदीप त्यागी का कहना है कि राजस्व विभाग में मिली भगत कर अधिकारियों ने 2011 से पहले विभाग में तैनात सीजनल अमीनों को बिना नियमावली के मानक पूरे किए बिना नियमित कर दिया है. सामाजिक कार्यकर्ता ने मांग की है कि राजस्व विभाग में हुए इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच हो. जिससे दोषियों को सजा मिल सके.

उत्तराखंड राजस्व विभाग का कारनामा.

प्रदीप त्यागी ने बताया कि विभाग ने करीब 450 अमीन और चपरासियों को लाखो रुपये के एरियर का लाभ भी दिया है. 450 से अधिक कर्मचारियों को दिया गया एरियर लगभग 12 करोड़ रुपये से अधिक है, जो कि राजस्व विभाग के लिए एक बड़ी हानि है, इसलिए उन्होंने राजस्व विभाग में हुए इस गड़बड़झाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.

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सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप त्यागी का कहना है कि राजस्व विभाग ने नियमों को ताक रखकर संग्रह अमीनों को पहले तो नियमित किया. उसके बाद उन्हीं अमीनों को लाखों रुपये का एरियर दिया. बाद में उनको प्रोमोशन के लाभ देकर नायब तहसीलदार तक बना दिया गया, जो कि अपने आप में एक बड़ा घोटाला है. जिसकी जांच होनी चाहिए.

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