देहरादून: उत्तराखंड में धामी सरकार की वापसी के साथ धन सिंह रावत सबसे मजबूत मंत्री के रूप में नजर आए हैं. सरकार में सबसे बड़े और महत्वपूर्ण विभागों को भी धन सिंह रावत को ही दिया गया है. हालांकि, धन सिंह रावत की उत्तराखंड में चर्चा इससे ज्यादा उनके विभागों में हुए उन भ्रष्टाचार को लेकर भी हुई है, जिन्हें समय-समय पर कभी सरकार ने खुद उठाया तो कभी विपक्षी दल कांग्रेस ने हवा दी.
ऐसा शायद पहली बार होगा जब विपक्ष के निशाने पर लगातार सरकार का एक ही मंत्री अधिकतर दिखाई दिया. इसकी पहली वजह धन सिंह के पास उन महत्वपूर्ण विभागों का होना है, जिनका सरोकार सीधे जनता से सबसे ज्यादा है. इस मामले पर कांग्रेस कहती है कि राज्य में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले धन सिंह रावत के विभागों में ही आ रहे हैं और कांग्रेस उन्हीं मामलों को उठाकर जनता के सामने रख रही है.
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निशाने पर धन सिंह रावत: भाजपा सरकार के मंत्री की इस तरह घेराबंदी यूं तो जगजाहिर है. कांग्रेस के कई बड़े नेताओं का इस तरह धन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलना भी कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है. माना जा रहा है कि यह विरोध मुद्दों की मौजूदगी से ज्यादा राजनीतिक है. कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के खिलाफ हो रहे इस विरोध को कांग्रेस के व्यक्तिगत आक्रमण के रूप में माना जा रहा है.
जानिए वजह: पूर्व पीसीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल और धन सिंह रावत के बीच राजनीतिक जंग बड़ी वजह मानी जाती है. दोनों ही दिग्गजों की विधानसभा सीट श्रीनगर होने के कारण दोनों हमेशा आमने सामने रहते हैं. यही कारण है कि पूर्व सीएम हरीश रावत भी धन सिंह पर हमलावर रहते हैं. धन सिंह रावत ने जीतने के बाद गणेश गोदियाल पर व्यक्तिगत हमले किए थे. धन सिंह रावत ने गोदियाल समर्थित नेताओं पर राजनीतिक द्वेष के चलते उन पर हमलावर होने का आरोप लगाया था.
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गणेश गोदियाल से धन सिंह रावत की दूरियां सर्वविदित हैं. लेकिन यह भी सही है कि सरकार आने के बाद धन सिंह रावत के विभागों में विवाद सबसे ज्यादा दिखाई दिए हैं. इस मामले पर भाजपा के नेता भी धन सिंह रावत का बचाव करते हुए कहते हैं कि कांग्रेस भाजपा की चुनावी जीत से परेशान है. क्योंकि गढ़वाल में श्रीनगर राजनीतिक रूप से एक बड़ा सेंटर है. ऐसे में यहां से भाजपा के विधायक और सरकार में मंत्री धन सिंह रावत को घेर कर कांग्रेस राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश करती है.