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भू-समाधि जमीन के लिए अखाड़ा परिषद ने सरकार का जताया आभार

सदियों से चली आ रही परंपरा भी 21वीं सदी में आते-आते बदलने लगी है. अखाड़ा परिषद ने निर्णय लिया है कि ब्रह्मलीन संतों को अब गंगा में जल समाधि नहीं दी जाएगी. साथ ही परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने भू-समाधि की जमीन के लिए उत्तराखंड सरकार का आभार भी जताया है.

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Published : Jan 23, 2021, 8:19 PM IST

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अखाड़ा परिषद ने सरकार का जताया आभार

प्रयागराज/हरिद्वार: ब्रह्मलीन संतों के लिए भूमि मिलने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने उत्तराखंड सरकार का आभार व्यक्त किया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संतों के ब्रह्मलीन होने पर भू-समाधि के लिए 5 एकड़ भूमि दी है. उत्तराखंड सरकार का हम सभी संत स्वागत करते हैं.

भू-समाधि की जमीन के लिए अखाड़ा परिषद ने जताया आभार.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड कैबिनेट बैठक में 15 प्रस्तावों पर लगी मुहर, कुंभ को लेकर केंद्र जारी करेगा एसओपी

महंत नरेन्द्र गिरि ने कहा कि संतों के ब्रह्मलीन होने पर जल या भू-समाधि की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है. लेकिन गंगा जी में जल का अभाव है, जिस वजह से इस समय जल समाधि प्रासंगिक नहीं है.

महंत नरेंद्र गिरि ने संतों से अनुरोध किया है कि वो जल समाधि की जगह ब्रह्मलीन होने पर संतों को भू-समाधि दें. महंत ने बताया कि उत्तराखंड सरकार से मिली भूमि का रखरखाव अखाड़ा परिषद खुद करेगा. उत्तराखंड सरकार के इस कदम में भारतीय संस्कृति में संत परंपरा बनाए रखने में विशेष बल मिलेगा.

प्रयागराज/हरिद्वार: ब्रह्मलीन संतों के लिए भूमि मिलने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने उत्तराखंड सरकार का आभार व्यक्त किया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संतों के ब्रह्मलीन होने पर भू-समाधि के लिए 5 एकड़ भूमि दी है. उत्तराखंड सरकार का हम सभी संत स्वागत करते हैं.

भू-समाधि की जमीन के लिए अखाड़ा परिषद ने जताया आभार.

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महंत नरेन्द्र गिरि ने कहा कि संतों के ब्रह्मलीन होने पर जल या भू-समाधि की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है. लेकिन गंगा जी में जल का अभाव है, जिस वजह से इस समय जल समाधि प्रासंगिक नहीं है.

महंत नरेंद्र गिरि ने संतों से अनुरोध किया है कि वो जल समाधि की जगह ब्रह्मलीन होने पर संतों को भू-समाधि दें. महंत ने बताया कि उत्तराखंड सरकार से मिली भूमि का रखरखाव अखाड़ा परिषद खुद करेगा. उत्तराखंड सरकार के इस कदम में भारतीय संस्कृति में संत परंपरा बनाए रखने में विशेष बल मिलेगा.

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