देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 नजदीक आते ही विभिन्न संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में प्रदेशभर के कृषि सहायकों (Agriculture Assistant of Uttarakhand) ने बीती देर शाम देहरादून के प्रिंस चौक स्थित एक धर्मशाला में बैठक की. इस दौरान सभी कृषि सहायकों ने एक सुर में सरकार से समक्ष समान कार्य समान वेतन की मांग की है.
दरअसल, प्रदेश की समस्त न्याय पंचायतों में कार्य कर रहे कृषि सहायक सरकार से लंबे समय से मानदेय वृद्धि, नियमितीकरण (regularization) और समान कार्य समान वेतन की मांग कर रहे हैं. कृषि सहायक कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी का कहना है कि राज्य के अंतर्गत सभी न्याय पंचायतों में साल 2011 से 670 कृषि सहायक न्यूनतम मानदेय के आधे मानदेय पर काम कर रहे हैं, जबकि कई विभागों में सरकार द्वारा कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जा रहा है. ऐसे में उन्होंने भारत सरकार और राज्य सरकार की मजदूरी दर के अनुरूप ₹18000 मानदेय किए जाने की मांग उठाई है.
मोहन भंडारी ने कहा कि कृषि सहायकों ने पहले भी मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री, कृषि निदेशक को भी कई बार प्रार्थना पत्र और ज्ञापन प्रेषित किए. लेकिन उसके बावजूद उनकी मांगों का निराकरण नहीं किया जा रहा है. कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी का कहना है कि इतने कम मानदेय में कृषि सहायकों को अपने परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है.
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उन्होंने कहा कि साल 2011 से कृषि सहायक एक राज्य कर्मचारी और उच्च वेतन मान लेने वाले कर्मचारी की तरह विभाग में अपनी सेवाएं देते आ रहे हैं. लेकिन सरकार उनका मानदेय नहीं बढ़ा रही है. कृषि सहायक कर्मचारी संगठन का कहना है कि अगर उनकी मांगें शीघ्र ही पूरी नहीं की गईं तो उन्हें मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा.
कृषि सहायकों के कार्य: साल 2011 से कृषि सहायक बीज भंडार में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इसके अलावा उनका काम बीजों का विक्रय करना, दवाई बेचना, कृषि यंत्रों को बेचना, मिट्टी के नमूने लेकर प्रयोगशाला भेजना, जैविक खेती को बढ़ावा देना है. इसके अलावा इनकी इलेक्शन में भी ड्यूटी लगाई जाती है. आपदा प्रबंधन में कृषि सहायकों को आपदा कंट्रोल रूम में भी ड्यूटी पर तैनात किया जाता है. कृषि सहायक अवकाश के दिन भी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं.