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मसूरी था दिलीप कुमार का ससुराल, सवॉय होटल में जमती थी महफिल

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Published : Jul 7, 2021, 4:02 PM IST

Updated : Jul 7, 2021, 5:41 PM IST

मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार का मसूरी से गहरा लगाव था. मसूरी दिलीप कुमार का ससुराल था. अक्सर दिलीप कुमार मसूरी आते और सवॉय होटल में रुका करते थे.

Mussoorie
मसूरी

मसूरीः देश के एक महान मृदुभाषी कलाकार दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में देहांत हो गया. मुंबई के हिन्दुजा अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. मशहूर एक्टर दिलीप कुमार का पहाड़ों की रानी मसूरी से बेहद लगाव था. उनके देहांत से मसूरी वासियों को भी गहरा शोक है. बताते हैं कि दिलीप कुमार जब भी मसूरी आते थे तो सवॉय होटल में रुका करते थे.

अभिनेता दिलीप कुमार के बारे में इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि दिलीप कुमार आलीशान शख्सियत के मालिक और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे. 1959-60 में जब दिलीप कुमार मसूरी घूमने आए तो सवॉय होटल में रुके थे. वह उनका व्यक्तिगत भ्रमण था. उनके साथ उनकी पत्नी सायरा बानो भी थीं. सायरा बानो का जन्म मसूरी के कम्युनिटी अस्पताल में सन 1943 में हुआ था. इस लिहाज से मसूरी दिलीप कुमार का ससुराल भी था, जिससे उनको काफी लगाव था.

मसूरी था दिलीप कुमार का ससुराल

गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि 1972 में बनी दिलीप कुमार की दास्तान फिल्म में सवॉय होटल को दर्शाया गया था. उन्होंने बताया कि फिल्म कलाकार सईद जाफरी भी मसूरी में पढ़े हैं. सईद जाफरी दिलीप कुमार के परम मित्र थे. गोपाल भारद्वाज कहते हैं कि दिलीप कुमार का जाना निश्चित ही दुखदायी है. क्योंकि उन जैसा कलाकार फिर नहीं आयेगा. दिलीप कुमार सिनेमा के शुरुआती वक्त के हैं. उस समय की फिल्मों में उनकी आत्मा होती थी. आज फिल्मों का स्वरूप बदल गया है.

ये भी पढ़ेंः PM समेत दिग्गजों ने किया 'ट्रेजेडी किंग' को आखिरी सलाम

गोपाल भारद्वाज कहते हैं कि दिलीप कुमार एक कलाकार नहीं बल्कि इंस्टीट्यूशन थे. वह भारतीय सिनेमा के मील का पत्थर थे. उनके भारत में ही नहीं बल्कि, यूरोप व पाकिस्तान में भी लाखों प्रशंसक हैं.

बता दें कि दिलीप कुमार का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था. लेकिन जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो वह पाकिस्तान नहीं गए. उन्होंने अपना नाम यूसुफ से दिलीप कुमार रख लिया. वह भारत को बहुत प्यार करते थे.

मसूरी पालिका सभासद व वरिष्ठ नागरिक मदन मोहन शर्मा कहते हैं कि मेरा सौभाग्य है कि जब दिलीप कुमार मसूरी आए थे तो सवॉय होटल में रुके थे. वहां की फोटोग्राफी का कार्य मेरे पिता करते थे. मैं उनके साथ सवॉय होटल गया और दिलीप कुमार के साथ फोटो खिंचवाई. दिलीप कुमार का विनम्र स्वभाव देखकर हर कोई हैरान रहता था. उनके स्वभाव में तिल बराबर भी घमंड नहीं था. आज उनके जैसा प्रेरणा देने वाला कलाकार पैदा नहीं हो सकता.

ये भी पढ़ेंः यादों में बस...ट्रेजेडी किंग, डालें एक नजर

दिलीप कुमार को भारतीय सिनेमा के सबसे महान अभिनेताओं में से एक माना जाता था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1944 में की थी. उन्होंने 1949-1961में सफल फिल्मों में अभिनय किया था. वह फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले अभिनेता थे. दिलीप कुमार ने सर्वाधिक फिल्मफेयर पुरस्कार जीते. उनकी पहली फिल्म 'ज्वार भाटा' थी, जो 1944 में आई थी.

1949 में बनी फिल्म अंदाज की सफलता ने उन्हें प्रसिद्धी दिलाई, इस फिल्म में उन्होंने राज कपूर के साथ काम किया था. दीदार (1951) देवदास (1955) जैसी फिल्मों में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजेडी किंग कहा गया.

मुगले-ए-आजम (1960) में दिलीप कुमार ने मुगल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई. यह फिल्म पहले श्वेत और श्याम थी और 2004 में रंगीन बनाई गई. उन्होंने 1961 में गंगा जमुना फिल्म में काम किया था, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया था.

दिलीप कुमार ने विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991) जैसी फिल्मों में भी काम किया.1981 से बॉक्स ऑफिस पर सफल होने वाली उनकी एकमात्र फिल्में क्रांति, विधाता, कर्म, धर्म अधिकारी, कानून अपना-अपना और सौदागर थी. 1998 में बनी फिल्म किला उनकी आखिरी फिल्म थी.

ये भी पढ़ेंः दिलीप कुमार के घर पहुंची महिला फैंस की टोली, सॉन्ग 'दिल दिया है जान भी देंगे' से दी श्रद्धांजलि

दिलीप कुमार को भारतीय फिल्मों में यादगार अभिनय करने के लिए फिल्मों का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अलावा पद्म भूषण, पद्म विभूषण और पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से भी सम्मानित किया जा चुका है. दिलीप कुमार को भारत सरकार द्वारा साल 1991 में पद्म भूषण, साल 1991 में दादा साहेब फाल्के और साल 2015 में पद्म विभूषण पुरस्कारों से सम्मानित किया.

1993 में, उन्होंने फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड जीता. 1997 में पाकिस्तान सरकार द्वारा उन्हें निशान-ए-इम्तियाज (पाकिस्तान में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. दिलीप कुमार के नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक पुरस्कार जीतने वाले में शामिल हैं.

साल 2000-2006 तक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामित किया. 2013 में उन्होंने अपनी पत्नी सायरा बानो के साथ मक्का की तीर्थ यात्रा की थी. दिलीप कुमार ने अपने पत्नी सायरा बानो के साथ पहली बार फिल्म गोपी में अभिनय किया था.

मसूरीः देश के एक महान मृदुभाषी कलाकार दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में देहांत हो गया. मुंबई के हिन्दुजा अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. मशहूर एक्टर दिलीप कुमार का पहाड़ों की रानी मसूरी से बेहद लगाव था. उनके देहांत से मसूरी वासियों को भी गहरा शोक है. बताते हैं कि दिलीप कुमार जब भी मसूरी आते थे तो सवॉय होटल में रुका करते थे.

अभिनेता दिलीप कुमार के बारे में इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि दिलीप कुमार आलीशान शख्सियत के मालिक और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे. 1959-60 में जब दिलीप कुमार मसूरी घूमने आए तो सवॉय होटल में रुके थे. वह उनका व्यक्तिगत भ्रमण था. उनके साथ उनकी पत्नी सायरा बानो भी थीं. सायरा बानो का जन्म मसूरी के कम्युनिटी अस्पताल में सन 1943 में हुआ था. इस लिहाज से मसूरी दिलीप कुमार का ससुराल भी था, जिससे उनको काफी लगाव था.

मसूरी था दिलीप कुमार का ससुराल

गोपाल भारद्वाज बताते हैं कि 1972 में बनी दिलीप कुमार की दास्तान फिल्म में सवॉय होटल को दर्शाया गया था. उन्होंने बताया कि फिल्म कलाकार सईद जाफरी भी मसूरी में पढ़े हैं. सईद जाफरी दिलीप कुमार के परम मित्र थे. गोपाल भारद्वाज कहते हैं कि दिलीप कुमार का जाना निश्चित ही दुखदायी है. क्योंकि उन जैसा कलाकार फिर नहीं आयेगा. दिलीप कुमार सिनेमा के शुरुआती वक्त के हैं. उस समय की फिल्मों में उनकी आत्मा होती थी. आज फिल्मों का स्वरूप बदल गया है.

ये भी पढ़ेंः PM समेत दिग्गजों ने किया 'ट्रेजेडी किंग' को आखिरी सलाम

गोपाल भारद्वाज कहते हैं कि दिलीप कुमार एक कलाकार नहीं बल्कि इंस्टीट्यूशन थे. वह भारतीय सिनेमा के मील का पत्थर थे. उनके भारत में ही नहीं बल्कि, यूरोप व पाकिस्तान में भी लाखों प्रशंसक हैं.

बता दें कि दिलीप कुमार का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था. लेकिन जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन हुआ तो वह पाकिस्तान नहीं गए. उन्होंने अपना नाम यूसुफ से दिलीप कुमार रख लिया. वह भारत को बहुत प्यार करते थे.

मसूरी पालिका सभासद व वरिष्ठ नागरिक मदन मोहन शर्मा कहते हैं कि मेरा सौभाग्य है कि जब दिलीप कुमार मसूरी आए थे तो सवॉय होटल में रुके थे. वहां की फोटोग्राफी का कार्य मेरे पिता करते थे. मैं उनके साथ सवॉय होटल गया और दिलीप कुमार के साथ फोटो खिंचवाई. दिलीप कुमार का विनम्र स्वभाव देखकर हर कोई हैरान रहता था. उनके स्वभाव में तिल बराबर भी घमंड नहीं था. आज उनके जैसा प्रेरणा देने वाला कलाकार पैदा नहीं हो सकता.

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दिलीप कुमार को भारतीय सिनेमा के सबसे महान अभिनेताओं में से एक माना जाता था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1944 में की थी. उन्होंने 1949-1961में सफल फिल्मों में अभिनय किया था. वह फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले अभिनेता थे. दिलीप कुमार ने सर्वाधिक फिल्मफेयर पुरस्कार जीते. उनकी पहली फिल्म 'ज्वार भाटा' थी, जो 1944 में आई थी.

1949 में बनी फिल्म अंदाज की सफलता ने उन्हें प्रसिद्धी दिलाई, इस फिल्म में उन्होंने राज कपूर के साथ काम किया था. दीदार (1951) देवदास (1955) जैसी फिल्मों में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजेडी किंग कहा गया.

मुगले-ए-आजम (1960) में दिलीप कुमार ने मुगल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई. यह फिल्म पहले श्वेत और श्याम थी और 2004 में रंगीन बनाई गई. उन्होंने 1961 में गंगा जमुना फिल्म में काम किया था, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया था.

दिलीप कुमार ने विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991) जैसी फिल्मों में भी काम किया.1981 से बॉक्स ऑफिस पर सफल होने वाली उनकी एकमात्र फिल्में क्रांति, विधाता, कर्म, धर्म अधिकारी, कानून अपना-अपना और सौदागर थी. 1998 में बनी फिल्म किला उनकी आखिरी फिल्म थी.

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दिलीप कुमार को भारतीय फिल्मों में यादगार अभिनय करने के लिए फिल्मों का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अलावा पद्म भूषण, पद्म विभूषण और पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से भी सम्मानित किया जा चुका है. दिलीप कुमार को भारत सरकार द्वारा साल 1991 में पद्म भूषण, साल 1991 में दादा साहेब फाल्के और साल 2015 में पद्म विभूषण पुरस्कारों से सम्मानित किया.

1993 में, उन्होंने फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड जीता. 1997 में पाकिस्तान सरकार द्वारा उन्हें निशान-ए-इम्तियाज (पाकिस्तान में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. दिलीप कुमार के नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक पुरस्कार जीतने वाले में शामिल हैं.

साल 2000-2006 तक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामित किया. 2013 में उन्होंने अपनी पत्नी सायरा बानो के साथ मक्का की तीर्थ यात्रा की थी. दिलीप कुमार ने अपने पत्नी सायरा बानो के साथ पहली बार फिल्म गोपी में अभिनय किया था.

Last Updated : Jul 7, 2021, 5:41 PM IST
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