देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायतों का गठन हुए करीब एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है. लेकिन अभीतक भी कई प्रशासकों ने नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों को अभिलेख नहीं सौंपे है, जिसके बाद शासन ने सभी जिला पंचायत राज अधिकारियों को पत्र लिखकर ऐसे प्रशासकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं.
बता दें कि पिछले साल हरिद्वार छोड़कर प्रदेश के बाकी 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए गए थे. इन जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद शासन ने प्रशासक की नियुक्ति कर दी थी. इस दौरान पंचायत का कामकाज इन्हीं प्रशासकों ने देखा. पंचायतों के गठन के बाद प्रशासकों को नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों को अभिलेख सौंपने थे, लेकिन कुछ प्रशासक नवनिर्वाचित ग्राम को अभिलेख देने में आनाकानी कर रहे हैं.
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ऐसे में शासन ने सभी जिला पंचायत राज अधिकारियों को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि पंचायत प्रतिनिधियों को अभिलेख न सौंपने वाले प्रशासकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के साथ ही संबंधित अधिकारी को नोटिस भेजे जाए.
गौर हो कि त्रिस्तरीय पंचायतों के कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी पंचायत चुनाव न होने के चलते शासन ने पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी थी. पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद प्रशासकों को अपना चार्ज नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को सौंपना पड़ता है. लिहाजा, इस संबंध में उत्तराखंड पंचायती राज के निदेशक ने हरिद्वार जिला छोड़ बाकी प्रदेश के 12 जिलों के जिला पंचायत राज अधिकारियों को पत्र भेजकर अभिलेख और धनराशि को नवनियुक्त पंचायत प्रतिनिधियों को स्थानांतरित कराने के निर्देश दिए है.
यही नहीं पंचायती राज निदेशक ने पत्र के माध्यम से यह भी जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि अगर कोई भी प्रशासक, नवनियुक्त पंचायत प्रतिनिधियों को अभिलेख और धनराशि समय अवधि में नहीं सौंपता है तो उसके खिलाफ पंचायती राज अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई जाए. यही नहीं प्रशासकीय अवधि के दौरान प्रशंसकों द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी भी उपलब्ध कराने को कहा है.