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कोरोना में जब सबकुछ था लॉक, अनलॉक थे उत्तराखंड में बदमाश, कर डाले 160 मर्डर

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) ने 2020 के आंकड़े जारी किए हैं. एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में साल 2020 में अपराध के मामलों में बढोत्तरी हुई है. यहां साल 2019 में 12,081 मामले दर्ज हुए थे. वहीं, 2020 में ये आंकड़ा बढ़कर 13,812 हो गए हैं. वहीं, देश के पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड में हत्या के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं.

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Published : Sep 15, 2021, 9:50 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 10:13 AM IST

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पहाड़ी राज्यों में हत्या के मामलों में सबसे आगे उत्तराखंड

देहरादून: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट जारी कर दी है. जारी की गई इस रिपोर्ट में पहाड़ी राज्यों में हत्या के मामलों में उत्तराखंड पहले नंबर पर है. उत्तराखंड में साल 2019 में 199 हत्या के मामले दर्ज हुए थे. वहीं, साल 2020 में हत्या के 160 मामले सामने आए. इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर जम्मू कश्मीर और तीसरे नंबर पर हिमाचल प्रदेश है.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो NCRB के मुताबिक वर्ष 2018 से 2020 तक आईपीसी के तहत होने वाले अपराध इस प्रकार हैं. वर्ष 2018 में उत्तराखंड में 14,739 आईपीसी धाराओं के तहत अपराध के मुकदमे दर्ज किए गए. साल 2019 में 12,081 मुकदमे आईपीसी में दर्ज किए गए. जबकि 2020 में 13,812 अपराध आईपीसी के तहत दर्ज हुए. इन आंकड़ों के मुताबिक 2018 के मुकाबले भले ही राज्य में अपराध दर्ज कम हुए हैं. लेकिन 2019 की तुलना कोविड-19 काल 2020 में अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं.

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ncrb की रिपोर्ट आई.

लक्षद्वीप में पिछले 3 सालों में सबसे कम संख्या में आईपीसी के तहत मुकदमे दर्ज हुए हैं. यहां वर्ष 2018 में 48 आईपीसी के तहत दर मुकदमे दर्ज हुए. जबकि 2019 में 123 और 2020 में केवल 107 मुकदमे आईपीसी के तहत दर्ज हुए हैं.

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उत्तराखंड में डरावने आंकड़े.

पढ़ें- प. बंगाल-ओडिशा में सबसे अधिक बढ़ा महिलाओं के खिलाफ अपराध : रिपोर्ट

वहीं, Special and local lows (SLL) क्राइम की बात करें तो उत्तराखंड में एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में SLL के क्राइम 19,976 संख्या दर्ज हुए हैं. जबकि 2019 में 16,187 और 2020 में 43,520 क्राइम दर्ज हुए हैं. ऐसे में एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में स्पेशल एंड लोकल लॉज के तहत वर्ष 2018-19 के मुकाबले 2020 में SLL के मामले अधिक दर्ज देखे गए हैं.

पढ़ें- 'इतवारी लाल' कहने का खामियाजा भुगत रहे हैं हरीश रावत, बलूनी ले रहे बदला !

अगर बात करें केंद्र शासित लद्दाख की तो यहां वर्ष 2018 में 2019 में 0 और 2020 में मात्र 16 मामले SLL के तहत दर्ज किए गए हैं. वहीं, एनसीबी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 में हत्या जैसे मामलों में उत्तराखंड राज्य में आईपीसी सेक्शन 302 के तहत 160 मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि कपल होमीसाइड अमाउंट केस में 29 मुकदमे दर्ज हैं. लापरवाही के चलते सामने वाले की मौत यानी आईपीसी सेक्शन 304-ए के तहत 2020 में उत्तराखंड राज्य भर में 406 मामले दर्ज हैं.

2020 में उत्तराखंड में अपराधों की स्थिति

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लॉकडाउन में भी बढ़ा अपराध.

आईपीसी क्राइम SLL क्राइम

वर्ष 2020 आईपीसी क्राइम लापरवाही सड़क दुर्घटना में 361 मौतें हुई. वहीं, हिट एंड रन के 1991 मामले सामने आए. अन्य तरह की सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 162 रही.

पढ़ें- उत्तराखंड कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं! हरीश रावत-गणेश गोदियाल और प्रीतम सिंह पहुंचे दिल्ली

2020 लापरवाही की वजह से होने वाली मौतों की संख्या 10 रही. वहीं, इस साल दहेज हत्या के 65 मामले सामने आए. बहकावे के कारण आत्महत्या करने के मामलों की संख्या 43 रही. हत्या का प्रयास 187, गैर इरादतन हत्या का प्रयास के 307, आत्महत्या के प्रयास के 75 मामले सामने आए थे.

2020 में अन्य क्राइम के मामले

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शांत वादियों में क्राइम.

देहरादून: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट जारी कर दी है. जारी की गई इस रिपोर्ट में पहाड़ी राज्यों में हत्या के मामलों में उत्तराखंड पहले नंबर पर है. उत्तराखंड में साल 2019 में 199 हत्या के मामले दर्ज हुए थे. वहीं, साल 2020 में हत्या के 160 मामले सामने आए. इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर जम्मू कश्मीर और तीसरे नंबर पर हिमाचल प्रदेश है.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो NCRB के मुताबिक वर्ष 2018 से 2020 तक आईपीसी के तहत होने वाले अपराध इस प्रकार हैं. वर्ष 2018 में उत्तराखंड में 14,739 आईपीसी धाराओं के तहत अपराध के मुकदमे दर्ज किए गए. साल 2019 में 12,081 मुकदमे आईपीसी में दर्ज किए गए. जबकि 2020 में 13,812 अपराध आईपीसी के तहत दर्ज हुए. इन आंकड़ों के मुताबिक 2018 के मुकाबले भले ही राज्य में अपराध दर्ज कम हुए हैं. लेकिन 2019 की तुलना कोविड-19 काल 2020 में अधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं.

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ncrb की रिपोर्ट आई.

लक्षद्वीप में पिछले 3 सालों में सबसे कम संख्या में आईपीसी के तहत मुकदमे दर्ज हुए हैं. यहां वर्ष 2018 में 48 आईपीसी के तहत दर मुकदमे दर्ज हुए. जबकि 2019 में 123 और 2020 में केवल 107 मुकदमे आईपीसी के तहत दर्ज हुए हैं.

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उत्तराखंड में डरावने आंकड़े.

पढ़ें- प. बंगाल-ओडिशा में सबसे अधिक बढ़ा महिलाओं के खिलाफ अपराध : रिपोर्ट

वहीं, Special and local lows (SLL) क्राइम की बात करें तो उत्तराखंड में एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में SLL के क्राइम 19,976 संख्या दर्ज हुए हैं. जबकि 2019 में 16,187 और 2020 में 43,520 क्राइम दर्ज हुए हैं. ऐसे में एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में स्पेशल एंड लोकल लॉज के तहत वर्ष 2018-19 के मुकाबले 2020 में SLL के मामले अधिक दर्ज देखे गए हैं.

पढ़ें- 'इतवारी लाल' कहने का खामियाजा भुगत रहे हैं हरीश रावत, बलूनी ले रहे बदला !

अगर बात करें केंद्र शासित लद्दाख की तो यहां वर्ष 2018 में 2019 में 0 और 2020 में मात्र 16 मामले SLL के तहत दर्ज किए गए हैं. वहीं, एनसीबी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 में हत्या जैसे मामलों में उत्तराखंड राज्य में आईपीसी सेक्शन 302 के तहत 160 मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि कपल होमीसाइड अमाउंट केस में 29 मुकदमे दर्ज हैं. लापरवाही के चलते सामने वाले की मौत यानी आईपीसी सेक्शन 304-ए के तहत 2020 में उत्तराखंड राज्य भर में 406 मामले दर्ज हैं.

2020 में उत्तराखंड में अपराधों की स्थिति

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लॉकडाउन में भी बढ़ा अपराध.

आईपीसी क्राइम SLL क्राइम

वर्ष 2020 आईपीसी क्राइम लापरवाही सड़क दुर्घटना में 361 मौतें हुई. वहीं, हिट एंड रन के 1991 मामले सामने आए. अन्य तरह की सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 162 रही.

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2020 लापरवाही की वजह से होने वाली मौतों की संख्या 10 रही. वहीं, इस साल दहेज हत्या के 65 मामले सामने आए. बहकावे के कारण आत्महत्या करने के मामलों की संख्या 43 रही. हत्या का प्रयास 187, गैर इरादतन हत्या का प्रयास के 307, आत्महत्या के प्रयास के 75 मामले सामने आए थे.

2020 में अन्य क्राइम के मामले

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शांत वादियों में क्राइम.
Last Updated : Sep 16, 2021, 10:13 AM IST
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