देहरादून: उत्तराखंड में तीसरे विकल्प के रूप में खुद को स्थापित करने में जुटी आम आदमी पार्टी मतगणना से पहले ही सरकार बनाने को लेकर मैदान से बाहर हो गई है. बड़ी बात यह है कि आप प्रत्याशियों ने अब भितरघात की शिकायतों को भी पार्टी के सामने रखा है, जिसको लेकर पार्टी में समीक्षा भी की जा रही है.
उत्तराखंड में 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वाले वाली आम आदमी पार्टी मतदान से पहले सरकार बनाने का दावा कर रही थी, वह दावा फिलहाल मतगणना से पहले ही धराशायी होता हुआ दिख रहा है. यूं तो प्रदेश में आम आदमी पार्टी कुछेक सीटों पर सिमटती हुई नजर आ रही है, लेकिन राज्य में पहली बार अच्छा मत प्रतिशत पाने की अभी भी पार्टी नेताओं को उम्मीद है.
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उधर, चुनाव से पहले जहां आम आदमी पार्टी में दर्जनों नेताओं ने एक के बाद एक पार्टी की गलत नीतियों का रोना रोकर पार्टी को अलविदा कह दिया, वहीं अंदर खाने अब भी पार्टी के चुनावी मैनेजमेंट को लेकर कई प्रत्याशी नाराज दिखाई दे रहे हैं. हालांकि, उनकी तरफ से खुलकर कुछ नहीं कहा जा रहा है, लेकिन आर्थिक स्तर पर पार्टी के प्रत्याशी कुछ कमजोर जरूर दिखाई दिए हैं.
उधर, पार्टी की नई चिंता चुनाव के दौरान भितरघात को लेकर भी है. पार्टी के ही कुछ प्रत्याशियों ने चुनाव में भितरघात होने की शिकायत प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया को की है. जिस पर भी पार्टी फिलहाल विचार कर रही है, लेकिन पार्टी की नजर 10 मार्च पर है. जब चुनाव परिणाम सबके सामने होंगे.
आम आदमी पार्टी चुनाव से ठीक पहले छोड़ने वाले रविंद्र जुगरान कहते हैं कि वैसे तो वह अब भाजपा का हिस्सा है और भाजपा की प्रदेश में सरकार को लेकर ही काम करते रहे हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि आम आदमी पार्टी इस बार चुनाव में कहीं पर भी मुकाबले में नहीं है. इस चुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलने जा रही है.