देहरादून: आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एसएस कलेर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. अब वह अपनी उम्मीदवारी वाली विधानसभा सीट में कार्य करते हुए आगामी चुनाव में सीएम धामी के खिलाफ चुनावी ताल ठोकेंगे. आम आदमी पार्टी का कहना है कि उन्होंने निजी कारणों से अपने पद से इस्तीफा दिया है.
आप ने 2022 की चुनावी रणनीति के तहत उत्तराखंड को तीन हिस्सों में बांटा है. साथ ही तीन कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए हैं. आम आदमी पार्टी का सीएम चेहरा कर्नल अजय कोठियाल ने कहा कि उत्तराखंड को कुमाऊं, गढ़वाल और तराई क्षेत्रों में बांटकर हमने तीन कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की है.
कर्नल कोठियाल ने बताया कि आप ने गढ़वाल रीजन से उत्तराखंड पुलिस में पूर्व आईजी अनंतराम चौहान, कुमाऊं से भूपेंद्र उपाध्याय और तराई से प्रेम सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. कुमाऊं से आप के कार्यकारी अध्यक्ष भूपेश उपाध्याय का कहना है कि वह अपने आप को भाग्यशाली समझते हैं. पार्टी ने उन्हें कुमाऊं क्षेत्र का दायित्व सौंपा है. वो दिन-रात मेहनत कर पार्टी की नीतियों को घर-घर तक पहुंचाएंगे.
कार्यकारी अध्यक्ष भूपेश ने कुमाऊं क्षेत्र से सीएम पुष्कर धामी, अजय भट्ट जैसे नेताओं को चुनौती बताते हुए कहा ऐसी चुनौतियों से और ज्यादा ऊर्जा मिलती है. उन्होंने कहा कि जब सामने ताकतवर शख्सियत होती है तो उससे काम करने की और ताकत हासिल होती है.
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वहीं, आप अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद एसएस कलेर ने कहा कि जिस तरह उन्हें खटीमा से जनता का अपार समर्थन मिल रहा है, उसको देखते हुए 2022 में आम आदमी पार्टी की सरकार बननी तय है. जिस तरह से पार्टी ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया है और तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं, उससे आम आदमी पार्टी को हर क्षेत्र में मजबूती प्रदान होगी.
वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने आप के प्रदेश अध्यक्ष एसएस कलेर के इस्तीफे पर कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा कि आप चुनावी मैदान में हाल ही में उतरी हुई पार्टी है. यदि आप का आगाज ऐसा है तो फिर अंजाम कैसा होगा. अपनी अनदेखी से नाराज होकर कलेर ने पार्टी से इस्तीफा दिया है.
गोदियाल ने कहा आम आदमी पार्टी कांग्रेस के चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने पर मजाक बनाया करती थी. आज वही पार्टी कांग्रेस की राह पर चलने को मजबूर हो गई है. इसलिए उन्हें तीन कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने पड़े. यह विडंबना ही है कि आम आदमी पार्टी के मुख्य ध्वजवाहक को ही अपनी अनदेखी की वजह से इस्तीफा देना पड़ा है.