देहरादून: दिल्ली के बाद उत्तराखंड में भी आम आदमी पार्टी ने साबित कर दिया है कि सोशल प्लेटफॉर्म पर अब भी वही नंबर वन है. उत्तराखंड में पिछले करीब 3 महीनों में ही आम आदमी पार्टी ने न केवल कांग्रेस बल्कि भाजपा को भी पीछे छोड़ दिया है. यही नहीं आम आदमी पार्टी को सोशल प्लेटफॉर्म पर उत्तराखंड के लोगों से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है.
सोशल प्लेटफॉर्म पर तीन महीने में ही नंबर वन बनी 'आप'
सोशल प्लेटफॉर्म के जरिए आम लोगों तक पहुंच बनाने में भाजपा खुद को भले ही नंबर वन साबित करने की कोशिश करती रहे लेकिन हकीकत यह है कि आम आदमी पार्टी ही आईटी के मामले में राजनीतिक दलों में सबसे ऊपर है. सोशल प्लेटफॉर्म पर जिस तरह आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में लोगों के दिलों से लेकर घरों तक जगह बनाई, वैसी ही कुछ अब उत्तराखंड में भी दिखाई देने लगा है. प्रदेश में फेसबुक की ऑफिशियल आईडी पेज पर आम आदमी पार्टी ने बाकी सभी दलों को धूल चटाते हुए महज 3 महीने में ही बढ़त हासिल कर ली है.
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यह हाल तब है जब अभी आम आदमी पार्टी पूरी तरह से उत्तराखंड में अपने अभियानों में नहीं जुटी है. आम आदमी पार्टी 1,85,338 लाइक पाने के साथ ही प्रदेश में ऑफिशियल एफबी साइट पर सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान खींचने वाली पार्टी बन गयी है. पार्टी को इतने लोगों ने पिछले करीब 3 महीनों में ही पसंद कर लिया है. जबकि, अभी लोगों का 'आप' के एफबी पेज को लाइक करने का सिलसिला जारी है.
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सबसे फिसड्डी साबित हो रही कांग्रेस
राज्य में दूसरे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी है जो प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी सबसे ज्यादा कार्यकर्ताओं वाली पार्टी होने का दम भरती है. भारतीय जनता पार्टी के उत्तराखंड के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर 1,82,989 लोगों ने लाइक किया है. प्रदेश में राष्ट्रीय दलों के लिहाज से देखा जाए तो सबसे फिसड्डी कांग्रेस ही दिखाई दे रही है. प्रदेश की महज 11 विधानसभा सीटों में काबिज कांग्रेस सोशल प्लेटफॉर्म पर भी काफी पिछड़ी हुई है. कांग्रेस के उत्तराखंड ऑफिशियल फेसबुक पेज को महज 67,563 लोगों ने ही पसंद किया है.
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निष्क्रिय दिखाई देता कांग्रेस का आईटी सेल
इस सब में सबसे हैरत वाली बात यह है कि देश में आईटी क्रांति लाने वाले स्व. राजीव गांधी की पार्टी ही इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के लिहाज से सबसे पिछड़ी हुई है. चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तराखंड कांग्रेस के मुख्यालय में आईटी सेल को एक कमरा तक देने में पार्टी के नेता कतरा रहे हैं. फिलहाल, अमरजीत को आईटी सेल का अध्यक्ष तो बनाया गया है लेकिन काम करने की आजादी न मिलने के कारण अमरजीत निष्क्रिय ही दिखाई देते हैं.
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नेताओं की खींचतान का असर आईटी सेल पर
हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच चल रही खींचतान का असर इन पार्टी पदाधिकारियों पर भी पड़ रहा है. नतीजा यह है कि पिछले कई सालों से आईटी सेल के बनाए गए कार्यालय को अब ताला लग चुका है. यहां रखे कंप्यूटर भी यहां से गायब हो गए हैं. हालांकि, इसके बावजूद भी पार्टी के नेता कहते हैं कि पार्टी तो आईटी की जनक है लेकिन कांग्रेस भवन में यही इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी आखिरी सांसें गिन रही है.
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राज्य में भाजपा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काफी ज्यादा काम करती हुई दिखाई दे रही है. इसके लिए बकायदा निजी क्षेत्र के एक्सपर्ट भी हायर किए गए हैं. मगर, जब बात नंबर वन की आती है तो यहां भाजपा तमाम प्रयासों के बावजूद भी कुछ पिछड़ती हुई दिखाई दे रही है. हालांकि, पार्टी के प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार कहते हैं कि पार्टी ने अपने सभी कार्यक्रम तय किए हुए हैं. आगामी चुनाव को जीतने के लिए आईटी सेल पूरी तरह से सक्रिय है.