देहरादून: गुरुवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन अनुपूरक बजट में श्राइन बोर्ड को सहायता के लिए 10 करोड़ का प्रावधान किया गया. ऐसे में यह स्पष्ट हो गया है कि श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर राज्य सरकार किसी भी हाल में अपना फैसला नहीं बदलने वाली है.
बता दें कि वर्तमान में 1939 के ब्रिटिश कालीन अधिनियम के तहत बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति दोनों मंदिरों की व्यवस्था देखती हैं. जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए अलग से समिति बनाई गई है. यह समितियां सिर्फ अपने- अपने मंदिरों की ही व्यवस्था पर नजर रखती हैं. इससे आपस में समन्वय का अभाव रहता है. लेकिन श्राइन बोर्ड के बनने से आपसी समन्वय बढ़ेगा वही चारों धामों की व्यवस्थाओं में भी सुधार देखने को मिलेगा.
वहीं श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर सरकार का तर्क यह भी है कि चारधाम की व्यवस्थाएं आज भी 80 साल पुराने 1939 अधिनियम के तहत चल रही है. लेकिन इन 80 सालों में परिस्थितियां काफी बदल चुकी है. वहीं हर साल रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु चारधाम का रुख करते हैं. वहीं दूसरी तरफ ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन का कार्य शुरू होने जा रहा है. ऐसे में व्यवस्थाओं को भी उसी के अनुरूप किया जाना आवश्यक है.
वहीं जिन कारणों से चारधाम श्राइन बोर्ड गठन का विरोध हो रहा था, वह यह है कि पौराणिक धरोहर का समुचित संरक्षण कैसे हो पाएगा. ऐसे में इस सवाल पर सरकार का तर्क यह है कि चारधाम श्राइन बोर्ड आर्थिक व तकनीकी तौर पर अधिक सक्षम होगा. ऐसे में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के साथ ही इसके अंतर्गत आने वाले सभी मंदिरों का ज्यादा अच्छे से रखरखाव हो पाएगा. दरअसल चारधाम का रुख करने वाले श्रद्धालु निकटवर्ती मंदिरों का भी रुख करते हैं.