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श्राइन बोर्ड बनने के बाद चारधाम यात्रा होगी और आसान, होंगे कई फायदे

विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अनुपूरक बजट में श्राइन बोर्ड को सहायता के लिए 10 करोड़ का प्रावधान किया गया. श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर सरकार का तर्क यह भी है कि चारधाम की व्यवस्थाएं आज भी 80 साल पुराने 1939 अधिनियम के तहत चल रही है और जबकि परिस्थितियां काफी बदल चुकी है .

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श्राइन बोर्ड को सहायता के लिए 10 करोड़ का प्रावधान.
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Published : Dec 6, 2019, 11:20 AM IST

Updated : Dec 6, 2019, 12:55 PM IST

देहरादून: गुरुवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन अनुपूरक बजट में श्राइन बोर्ड को सहायता के लिए 10 करोड़ का प्रावधान किया गया. ऐसे में यह स्पष्ट हो गया है कि श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर राज्य सरकार किसी भी हाल में अपना फैसला नहीं बदलने वाली है.

बता दें कि वर्तमान में 1939 के ब्रिटिश कालीन अधिनियम के तहत बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति दोनों मंदिरों की व्यवस्था देखती हैं. जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए अलग से समिति बनाई गई है. यह समितियां सिर्फ अपने- अपने मंदिरों की ही व्यवस्था पर नजर रखती हैं. इससे आपस में समन्वय का अभाव रहता है. लेकिन श्राइन बोर्ड के बनने से आपसी समन्वय बढ़ेगा वही चारों धामों की व्यवस्थाओं में भी सुधार देखने को मिलेगा.

श्राइन बोर्ड को सहायता के लिए 10 करोड़ का प्रावधान.

यह भी पढ़ें-कुंभ 2021: तीर्थयात्रियों को मूलभूत सुविधा देने में असमर्थ हरिद्वार, तो कैसे संभालेगा प्रशासन करोड़ों श्रद्धालुओं का भार?

वहीं श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर सरकार का तर्क यह भी है कि चारधाम की व्यवस्थाएं आज भी 80 साल पुराने 1939 अधिनियम के तहत चल रही है. लेकिन इन 80 सालों में परिस्थितियां काफी बदल चुकी है. वहीं हर साल रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु चारधाम का रुख करते हैं. वहीं दूसरी तरफ ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन का कार्य शुरू होने जा रहा है. ऐसे में व्यवस्थाओं को भी उसी के अनुरूप किया जाना आवश्यक है.

वहीं जिन कारणों से चारधाम श्राइन बोर्ड गठन का विरोध हो रहा था, वह यह है कि पौराणिक धरोहर का समुचित संरक्षण कैसे हो पाएगा. ऐसे में इस सवाल पर सरकार का तर्क यह है कि चारधाम श्राइन बोर्ड आर्थिक व तकनीकी तौर पर अधिक सक्षम होगा. ऐसे में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के साथ ही इसके अंतर्गत आने वाले सभी मंदिरों का ज्यादा अच्छे से रखरखाव हो पाएगा. दरअसल चारधाम का रुख करने वाले श्रद्धालु निकटवर्ती मंदिरों का भी रुख करते हैं.

देहरादून: गुरुवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन अनुपूरक बजट में श्राइन बोर्ड को सहायता के लिए 10 करोड़ का प्रावधान किया गया. ऐसे में यह स्पष्ट हो गया है कि श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर राज्य सरकार किसी भी हाल में अपना फैसला नहीं बदलने वाली है.

बता दें कि वर्तमान में 1939 के ब्रिटिश कालीन अधिनियम के तहत बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति दोनों मंदिरों की व्यवस्था देखती हैं. जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए अलग से समिति बनाई गई है. यह समितियां सिर्फ अपने- अपने मंदिरों की ही व्यवस्था पर नजर रखती हैं. इससे आपस में समन्वय का अभाव रहता है. लेकिन श्राइन बोर्ड के बनने से आपसी समन्वय बढ़ेगा वही चारों धामों की व्यवस्थाओं में भी सुधार देखने को मिलेगा.

श्राइन बोर्ड को सहायता के लिए 10 करोड़ का प्रावधान.

यह भी पढ़ें-कुंभ 2021: तीर्थयात्रियों को मूलभूत सुविधा देने में असमर्थ हरिद्वार, तो कैसे संभालेगा प्रशासन करोड़ों श्रद्धालुओं का भार?

वहीं श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर सरकार का तर्क यह भी है कि चारधाम की व्यवस्थाएं आज भी 80 साल पुराने 1939 अधिनियम के तहत चल रही है. लेकिन इन 80 सालों में परिस्थितियां काफी बदल चुकी है. वहीं हर साल रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु चारधाम का रुख करते हैं. वहीं दूसरी तरफ ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन का कार्य शुरू होने जा रहा है. ऐसे में व्यवस्थाओं को भी उसी के अनुरूप किया जाना आवश्यक है.

वहीं जिन कारणों से चारधाम श्राइन बोर्ड गठन का विरोध हो रहा था, वह यह है कि पौराणिक धरोहर का समुचित संरक्षण कैसे हो पाएगा. ऐसे में इस सवाल पर सरकार का तर्क यह है कि चारधाम श्राइन बोर्ड आर्थिक व तकनीकी तौर पर अधिक सक्षम होगा. ऐसे में बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के साथ ही इसके अंतर्गत आने वाले सभी मंदिरों का ज्यादा अच्छे से रखरखाव हो पाएगा. दरअसल चारधाम का रुख करने वाले श्रद्धालु निकटवर्ती मंदिरों का भी रुख करते हैं.

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देहरादून- गुरुवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन अनुपूरक बजट में श्राइन बोर्ड को सहायता के लिए 10 करोड़ का प्रावधान किया गया । ऐसे में यह स्पष्ट हो गया है कि श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर राज्य सरकार किसी भी हाल में अपना फैसला नही बदलने वाली।

यहां यह समझने कि जरूरत है कि आखिर चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन से क्या लाभ होगा । क्या परंपराओं का सम्मान हक हकूक सुरक्षित रह पाएंगे । क्या चारों धामों का सुनियोजित और समन्वित प्रबंधन हो पाएगा ?

यहां आपको बता दें कि वर्तमान में 1939 के ब्रिटिश कालीन अधिनियम के तहत बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों की व्यवस्था देखती हैं। जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए अलग से समिति बनाई गई है । यह समितियां सिर्फ अपने अपने मंदिरों की ही व्यवस्था पर नजर रखती हैं। इससे आपस में समन्वय का अभाव रहता है । लेकिन श्राइन बोर्ड के बनने से आपसी समन्वय बढ़ेगा वही चारों धामों की व्यवस्थाओं में भी सुधार देखने को मिलेगा।




Body:वही श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर सरकार का तर्क यह भी है कि चारधाम की व्यवस्थाएं आज भी 80 साल पुराने ,1939 अधिनियम के तहत चल रही है लेकिन इन 80 सालों में परिस्थितियां काफी बदल चुकी है जहां एक तरफ रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु चार धाम का रुख कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ऑल वेदर रोड ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन का कार्य भी शुरू होने जा रहा है ऐसे में व्यवस्थाओं को भी उसी के अनुरूप किया जाना होगा।

यही नहीं श्राइन बोर्ड के बनने से गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ बद्रीनाथ के साथ ही निकटवर्ती मंदिरों की व्यवस्थाओं में भी सुधार किया जाएगा । दरअसल चार धाम का रुख करने वाले श्रद्धालु निकटवर्ती मंदिरों का भी रुख करते हैं ।

वही जिस एकमात्र महत्वपूर्ण कारणों से चार धाम के लिए श्राइन बोर्ड गठन का विरोध हो रहा था वह यह था कि पौराणिक धरोहर का समुचित संरक्षण कैसे हो पाएगा। ऐसे में इस सवाल पर सरकार का तर्क यह है कि चारधाम श्राइन बोर्ड आर्थिक व तकनीकी तौर पर अधिक सक्षम होगा ऐसे में बद्रीनाथ केदारनाथ गंगोत्री यमुनोत्री के साथ ही इसके अंतर्गत आने वाले सभी मंदिरों का ज्यादा अच्छे से रखरखाव हो पाएगा




Conclusion:
Last Updated : Dec 6, 2019, 12:55 PM IST
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