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देहरादून पुलिस के इस जवान ने 6 साल पहले की थी हंसी की मदद, आज भी मानती है एहसान - Haridwar Kotwali SI Poornanand's connection to hansi-prahari

6 साल पहले हरिद्वार कोतवाली के एसआई पूर्णानंद से हंसी को उसके बिछड़े बेटे से मिलाया था. तब हंसी के 6 महीने के बेटे को कुछ लोग गंगा घाट से उठाकर अपने साथ ले गये थे. तब एसआई पूर्णानंद ने रात-दिन एक कर हंसी को उसके बेटे से मिलाया था.

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6 साल पहले इस SI ने की थी हंसी प्रहरी की बड़ी मदद
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Published : Oct 24, 2020, 6:44 PM IST

Updated : Oct 24, 2020, 9:40 PM IST

देहरादून: हंसी प्रहरी ये वो नाम है जो पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है. हर कोई हंसी प्रहरी से जुड़ी जानकारियों, उसकी जिंदगी से जुड़े किस्सों को लेकर हर उस चीज के बारे में जानने को बेताब हैं, जिनके कारण हंसी के हालात बद से बदतर होते चले गये. ईटीवी भारत ने सबसे पहले हंसी के हालतों से जुड़ी खबर को प्रकाशित किया था. अब एक बार फिर हम अपने पाठकों को हंसी से जुड़े ऐसे ही एक वाकये को रखने जा रहे हैं, जो हंसी के लिए भी काफी अहमियत रखता है. ये किस्सा 6 साल पुराना है, जो कि हंसी के बच्चे और हरिद्वार के एक एसआई से जुड़ा है. इस एसआई का एहसान आज 6 साल बाद भी हंसी मानती है.

साल 2014 में गंगा घाट से गायब हुआ हंसी का बेटा

ईटीवी भारत को मिली जानकारी से पता चलता है कि अल्मोड़ा से लेकर हरिद्वार के जीवन में हंसी ने कई उतार-चढ़ाव देखे. एक दौर ऐसा भी आया जब हंसी अपने बेटे को पाने के लिए रात-दिन पुलिस के साथ हरिद्वार की गलियां छानती रही. मामला साल 2014 की है जब हंसी का बेटा महज 6 महीने का, तब वह हरिद्वार के बिरला घाट से गायब हो गया था.

पढ़ें- कुमाऊं विवि की जानी-मानी छात्रा मांग रही भीख, पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ लड़ चुकी हैं चुनाव

तब हंसी किसी परिचित पर भरोसा कर अपने 6 महीने के बेटे को उसके हवाले गंगा में स्नान करने चली गई थी. जैसे ही वह स्नान कर वापस लौटी तो उसने देखा कि उसका बेटा वहां नहीं है. जिसके बाद आनन-फानन में को हरिद्वार कोतवाली पहुंचकर हंसी ने मामले की जानकारी पुलिस को दी. तब 1 घंटे के भीतर ही हंसी ने पूरी कोतवाली में हंगामा मचा कर रख दिया था. हंसी ने एक के बाद एक अंग्रेजी में शिकायती लिखकर आला अधिकारियों तक पहुंचा दिये. जिसके बाद तत्काल प्रभाव से उसके बच्चे की तलाश की कोशिशें शुरू की गई.

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6 साल पहले बेटे के साथ हंसी.

पढ़ें- हंसी ने सबको दिया सहारा, जानिए खुद कैसे हो गई बेसहारा, भाई ने बताई वजह

एसआई पूर्णानंद को सौंपी गई थी जिम्मेदारी

बता दें जिस तारीख में हंसी का बेटा गायब हुआ था उसी दिन जिला महिला अस्पताल से भी एक बच्चे के गुम होने की सूचना सामने आई थी. लिहाजा एसपी सिटी ने इस पूरे मामले का तुरंत संज्ञान लिया. उन्होंने हरिद्वार कोतवाली में तैनात एसआई पूर्णानंद को हंसी के बच्चे को खोजने की जिम्मेदारी सौंपी. पुलिसवालों के आगे न केवल बच्चे को ढूंढने की जिम्मेदारी थी बल्कि हंसी को लेकर भी वे फिक्रमंद थे. तब हंसी ने साफतौर पर कह दिया था कि जबतक उसका बच्चा नहीं मिल जाता वो न ही कुछ खाने वाली हैं और न ही कहीं जाने वाली हैं. तब पुलिस ने हंसी को गाड़ी में बिठाकर पूरे हरिद्वार में बच्चे को ढूंढ़ने का काम किया. साथ ही पुलिस इंटेलिजेंस के माध्यम से तमाम जानकारियां जुटाई जाने लगी थी.

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एसआई पूर्णानंद

पढ़ें- रॉ प्रमुख से मुलाकात के बाद नेपाली पीएम का बदला रुख, ट्वीट किया पुराना नक्शा

24 घंटे बाद बरामद किया खोया बेटा
कुछ समय बाद पुलिस को सूचना मिली कि एक बच्चे को चिड़ियापुर के रास्ते उत्तर प्रदेश ले जाया जा रहा है. मगर तब पुलिस के सामने ये समस्या थी कि आखिर वे हंसी के बच्चे को पहचाने किस तरह? ऐसे में पुलिस ने हंसी को अपनी गाड़ी में बिठाकर तमाम जगहों पर सर्च अभियान चलाया. पुलिसकर्मी बताते हैं कि उस दौरान हंशी पूरे रास्ते रोती रही. लगभग 24 घंटे के बाद उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड की सीमा पर बच्चे को बरामद किया गया. जिन लोगों ने हंसी के बच्चे को चुराया था वह लंबे समय तक जेल की सलाखों के पीछे रहे. जैसे ही हंसी ने अपने बच्चे का देखा वह तुरंत गाड़ी से उतर गई. हंसी ने वहीं सड़क पर बैठकर अपने बच्चे को दूध पिलाया. बाद में हंसी ने हरिद्वार कोतवाली पहुंचकर एक पत्र दिया. जिसमें उन्होंने पुलिस का आभार व्यक्त किया.

पढ़ें- हंसी की मदद करेगी सरकार, परिवार से मिलाने का उठाया बीड़ा, इलाज का खर्च भी उठाएगी

एसआई पूर्णानंद ने किये थे दिन रात एक

साल 2014 में घटी इस घटना में हरिद्वार कोतवाली में तैनात एसआई पूर्णानंद ने महत्ववूर्ण जिम्मेदारी निभाई थी. एसआई पूर्णानंद ने तब हंसी के हालातों और मजबूरियों को समझते हुए प्राथमिकता से इस मामले पर गंभीरता से काम किया. एसआई पूर्णानंद ने मानवीय संवेदनाओं को समझते हुए एक मां को उसके बच्चे से मिलाने के लिए जी जान से अपनी टीम के साथ मेहनत की. जिसकी नतीजा था कि हंसी को कुछ ही समय में उससे अलग हुए बेटे से मिला लिया गया. एसआई पूर्णानंद इन दिनों देहरादून में तैनात हैं.

देहरादून: हंसी प्रहरी ये वो नाम है जो पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है. हर कोई हंसी प्रहरी से जुड़ी जानकारियों, उसकी जिंदगी से जुड़े किस्सों को लेकर हर उस चीज के बारे में जानने को बेताब हैं, जिनके कारण हंसी के हालात बद से बदतर होते चले गये. ईटीवी भारत ने सबसे पहले हंसी के हालतों से जुड़ी खबर को प्रकाशित किया था. अब एक बार फिर हम अपने पाठकों को हंसी से जुड़े ऐसे ही एक वाकये को रखने जा रहे हैं, जो हंसी के लिए भी काफी अहमियत रखता है. ये किस्सा 6 साल पुराना है, जो कि हंसी के बच्चे और हरिद्वार के एक एसआई से जुड़ा है. इस एसआई का एहसान आज 6 साल बाद भी हंसी मानती है.

साल 2014 में गंगा घाट से गायब हुआ हंसी का बेटा

ईटीवी भारत को मिली जानकारी से पता चलता है कि अल्मोड़ा से लेकर हरिद्वार के जीवन में हंसी ने कई उतार-चढ़ाव देखे. एक दौर ऐसा भी आया जब हंसी अपने बेटे को पाने के लिए रात-दिन पुलिस के साथ हरिद्वार की गलियां छानती रही. मामला साल 2014 की है जब हंसी का बेटा महज 6 महीने का, तब वह हरिद्वार के बिरला घाट से गायब हो गया था.

पढ़ें- कुमाऊं विवि की जानी-मानी छात्रा मांग रही भीख, पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ लड़ चुकी हैं चुनाव

तब हंसी किसी परिचित पर भरोसा कर अपने 6 महीने के बेटे को उसके हवाले गंगा में स्नान करने चली गई थी. जैसे ही वह स्नान कर वापस लौटी तो उसने देखा कि उसका बेटा वहां नहीं है. जिसके बाद आनन-फानन में को हरिद्वार कोतवाली पहुंचकर हंसी ने मामले की जानकारी पुलिस को दी. तब 1 घंटे के भीतर ही हंसी ने पूरी कोतवाली में हंगामा मचा कर रख दिया था. हंसी ने एक के बाद एक अंग्रेजी में शिकायती लिखकर आला अधिकारियों तक पहुंचा दिये. जिसके बाद तत्काल प्रभाव से उसके बच्चे की तलाश की कोशिशें शुरू की गई.

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6 साल पहले बेटे के साथ हंसी.

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एसआई पूर्णानंद को सौंपी गई थी जिम्मेदारी

बता दें जिस तारीख में हंसी का बेटा गायब हुआ था उसी दिन जिला महिला अस्पताल से भी एक बच्चे के गुम होने की सूचना सामने आई थी. लिहाजा एसपी सिटी ने इस पूरे मामले का तुरंत संज्ञान लिया. उन्होंने हरिद्वार कोतवाली में तैनात एसआई पूर्णानंद को हंसी के बच्चे को खोजने की जिम्मेदारी सौंपी. पुलिसवालों के आगे न केवल बच्चे को ढूंढने की जिम्मेदारी थी बल्कि हंसी को लेकर भी वे फिक्रमंद थे. तब हंसी ने साफतौर पर कह दिया था कि जबतक उसका बच्चा नहीं मिल जाता वो न ही कुछ खाने वाली हैं और न ही कहीं जाने वाली हैं. तब पुलिस ने हंसी को गाड़ी में बिठाकर पूरे हरिद्वार में बच्चे को ढूंढ़ने का काम किया. साथ ही पुलिस इंटेलिजेंस के माध्यम से तमाम जानकारियां जुटाई जाने लगी थी.

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एसआई पूर्णानंद

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24 घंटे बाद बरामद किया खोया बेटा
कुछ समय बाद पुलिस को सूचना मिली कि एक बच्चे को चिड़ियापुर के रास्ते उत्तर प्रदेश ले जाया जा रहा है. मगर तब पुलिस के सामने ये समस्या थी कि आखिर वे हंसी के बच्चे को पहचाने किस तरह? ऐसे में पुलिस ने हंसी को अपनी गाड़ी में बिठाकर तमाम जगहों पर सर्च अभियान चलाया. पुलिसकर्मी बताते हैं कि उस दौरान हंशी पूरे रास्ते रोती रही. लगभग 24 घंटे के बाद उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड की सीमा पर बच्चे को बरामद किया गया. जिन लोगों ने हंसी के बच्चे को चुराया था वह लंबे समय तक जेल की सलाखों के पीछे रहे. जैसे ही हंसी ने अपने बच्चे का देखा वह तुरंत गाड़ी से उतर गई. हंसी ने वहीं सड़क पर बैठकर अपने बच्चे को दूध पिलाया. बाद में हंसी ने हरिद्वार कोतवाली पहुंचकर एक पत्र दिया. जिसमें उन्होंने पुलिस का आभार व्यक्त किया.

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एसआई पूर्णानंद ने किये थे दिन रात एक

साल 2014 में घटी इस घटना में हरिद्वार कोतवाली में तैनात एसआई पूर्णानंद ने महत्ववूर्ण जिम्मेदारी निभाई थी. एसआई पूर्णानंद ने तब हंसी के हालातों और मजबूरियों को समझते हुए प्राथमिकता से इस मामले पर गंभीरता से काम किया. एसआई पूर्णानंद ने मानवीय संवेदनाओं को समझते हुए एक मां को उसके बच्चे से मिलाने के लिए जी जान से अपनी टीम के साथ मेहनत की. जिसकी नतीजा था कि हंसी को कुछ ही समय में उससे अलग हुए बेटे से मिला लिया गया. एसआई पूर्णानंद इन दिनों देहरादून में तैनात हैं.

Last Updated : Oct 24, 2020, 9:40 PM IST
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