देहरादून: ग्रामीण निर्माण विभाग की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. इस दौरान पंचायती राज में कई रिफॉर्म्स को लेकर चर्चा हुई जो कि आने वाले समय में उत्तराखंड के ग्रामीण विकास में बड़ा बदलाव लाएंगी.
इस मौके पर सतपाल महाराज ने कहा कि ग्रामीण निर्माण विभाग का स्वरूप अन्य सभी अभियांत्रिकी विभागों (engineering department) जैसा होने की वजह से निर्माण कार्य की सीमा ₹15 करोड़ से बढ़ाकर असीमित किये जाने पर मंथन चल रहा है. अभी फिलहाल विभाग अन्य गैर अभियांत्रिकी विभागों के निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं. इसलिए गैर अभियांत्रिकी विभागों की कार्यदायी संस्था ग्रामीण निर्माण विभाग को बनाये जाने पर विचार किया जा रहा है.
ग्रामीण निर्माण विभाग की स्वर्ण जयंती अवसर पर मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तर प्रदेश में साल 1972 में इस विभाग की स्थापना ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग के रूप में की गई थी. विभाग स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण एवं अति दुर्गम स्थानों में आम जन मानस को मूलभूत सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से हुआ था. विभाग द्वारा सुदूर क्षेत्रों में जहां एक ओर छोटे-छोटे निर्माण कार्य जैसे कच्चे पैदल मार्ग, पुलिया, आंगनबाडी भवन, स्वास्थ्य उपकेन्द्र, पटवारी चौकी, सांसद निधि एवं विधायक निधि के लघु निर्माण कार्य करवाये जा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर स्कूल भवन, तहसील भवन, विकासखंड कार्यालय भवन, विकास भवन, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, ग्राम्य विकास, स्वास्थ्य, पुलिस विभाग के आवासीय व अनावासीय भवन जैसे महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण कराया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में विभाग ने 59 शासकीय विभागों, निगमों व स्वायत्तशासी संस्थाओं द्वारा भवनों व मार्गों को मिलाकर लगभग 5577 निर्माण कार्य कराए गए, जिसमें ग्राम्य विकास संस्थान रूद्रपुर के आवासीय व अनावासीय भवन, पीआरडी विभाग का निदेशालय भवन, जनपद नैनीताल, बागेश्वर व रुद्रप्रयाग के विकास भवन, देहरादून में स्थित विधान सभाभवन एवं कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय भवन का निर्माण कार्य शामिल है. कुंभ मेला 2021 के तहत पुलिस, सीपीएमएफ के ट्रांजिट हॉस्टल के चार मंजिला भवन जिसकी लागत 405.57 लाख है, का निर्माण कार्य साढ़े चार माह के रिकार्ड समय में पूर्ण किया गया.
सतपाल महाराज ने बताया कि नाबार्ड पोषित एवं राज्य योजना के अन्तर्गत कुल 201 ग्रामीण मोटर मार्गों (लम्बाई 386.663 किमी) का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया, जिसमें 314 ग्रामों की कुल 1,54,993 जनसंख्या लाभान्वित हुई है. प्रदेश में कार्यरत तकनीकी विभागों और कार्यदायी संस्थाओं में ग्रामीण निर्माण विभाग द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्यों हेतु स्थापना व्यय (वित्तीय वर्ष 2021-22 में 7.55 प्रतिशत) न्यूनतम है.
पढ़ें- हरक सिंह की करीबी दमयंती रावत के खिलाफ जांच के आदेश, पूर्व मंत्री की घेरेबंदी में जुटी धामी सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार की जन उपयोगी योजनाओं को त्वरित गति से पूर्ण करने हेतु विभागीय कार्यक्षमता को बढ़ाया जाना अति आवश्यक है. इसलिए विभागीय पुनर्गठन किये जाने के प्रयास भी किये जा रहे हैं. विभागीय मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि उत्तर प्रदेश के समय इस विभाग द्वारा लगभग 50 जनपदों में पीएमजीएसवाई (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) का कार्य स्वतंत्र रूप से किया जा रहा है.
इसी क्रम में इस योजना के अधीन पूर्ण मार्गों के रख रखाव हेतु ग्रामीण निर्माण विभाग को हस्तान्तरित कर विभागीय बजट का प्राविधान किये जाने की योजना है. प्रदेश की ऐसी बसावटें जो पीएमजीएसवाई अथवा अन्य कारणों से संयोजित होने से छूट गई है, उनके संयोजन हेतु ग्रामीण निर्माण विभाग द्वारा प्राथमिक सर्वे कर डाटा बेस तैयार किया जा चुका है. ऐसी बसावटों को प्रतिबद्ध रूप से संयोजित किये जाने के लिए मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना को लागू किये जाने पर विचार किया जा रहा है.
सतपाल महाराज ने विभाग में तकनीकी संवर्ग के 487 पदों के सापेक्ष 238 लगभग (48 फीसदी) और गैर तकनीकी संवर्ग के कुल 398 पद के सापेक्ष 128 (32 फीसदी) रिक्त पदों को भरने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि रिक्त पदों पर नियुक्ति के बाद विभाग की कार्य क्षमता और तथा निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को और अधिक बढ़ाया जा सकेगा. निर्माण के क्षेत्र में हो रहे तकनीकी विकास और शासन की कार्यप्रणाली में सूचना प्रोद्योगिकी के आधुनिक प्रयोगों को देखते हुए उन्होंने विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों के निरन्तर प्रशिक्षण कार्यक्रम की व्यवस्था किए जाने की बात भी कही है, जिससे सभी कर्मचारियों की कार्यक्षमता को बढ़ाया जा सके. प्रदेश के विकास को गति देने के लिए विभाग को जिला योजना का सदस्य नामित किए जाने पर भी विचार चल रहा है.