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Uttarakhand Election 2022: 10 साल में उत्तराखंड में बढ़े 30 फीसदी मतदाता, यूपी को पछाड़ा

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Published : Feb 10, 2022, 2:49 PM IST

Updated : Feb 10, 2022, 4:31 PM IST

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए 14 फरवरी को मतदान होना है. पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या 30 फीसदी बढ़ी है. आंकड़ों पर गौर करें तो मतदाता पहाड़ी जनपदों से शिफ्ट होकर मैदानी इलाकों में भी आ गये हैं.

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उत्तराखंड में बढ़े मतदाता

देहरादून: प्रदेश का विधानसभा चुनाव राज्य के पांच साल का भविष्य तय करता है और एक नई सरकार का मार्ग प्रशस्त करता है. विधानसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग के आंकड़ों से भी राज्य के अलग-अलग पहलुओं और परिस्थितियों की स्थिति स्पष्ट होती है. वहीं, अगर आंकड़ों की बात करें तो उत्तराखंड में इस दशक में मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है.

10 साल में 30 फीसदी बढ़े मतदाता: निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार साल 2002 में प्रदेश में तकरीबन 52 लाख मतदाता थे. 2012 में मतदाताओं की संख्या बढ़कर तकरीबन 63 लाख हो गई थी. अब 2022 में मतदाताओं की संख्या 83 लाख के करीब है. इस वृद्धि को अगर हम प्रतिशत में देखें तो साल 2002 से लेकर 2012 तक मतदाताओं की संख्या में 21 फीसदी इजाफा हुआ था, लेकिन 2012 के बाद से साल 2022 तक के आकड़ों को देखें तो प्रदेश में तकरीबन 30 फीसदी मतदाताओं की संख्या बढ़ी है.

पिछले एक दशक में 30 फीसदी मतदाता बढ़े.

मतदाताओं के प्रतिशत में यूपी से भी ज्यादा बढ़ोत्तरी: सबसे खास बात यह है कि उत्तराखंड में मतदाताओं में वृद्धि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से भी कहीं ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में पिछले एक दशक में मतदाताओं में तकरीबन 18 फीसदी ही वृद्धि हुई है. एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल के अनुसार उनकी संस्था पिछली बार के चुनाव नतीजों का अलग-अलग एंगल से विश्लेषण कर रही है.

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उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या बड़ी.

2017 में मैदानी जिलों में हुआ था अधिक मतदान: वहीं, उत्तराखंड के मैदानी और पहाड़ी इलाकों में भी मतदान प्रतिशत में असंतुलन देखने को मिल रहा है. उत्तराखंड के चौथे विधानसभा चुनाव यानी कि 2017 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो मैदानी इलाकों में मतदान में काफी उछाल देखने को मिला था. मैदानी जिले हरिद्वार और उधम सिंह नगर में पिछले विधानसभा चुनाव में 75-76 फीसदी मतदान हुआ था. वहीं, पर्वतीय जिले टिहरी, पौड़ी और अल्मोड़ा में मतदान का प्रतिशत 53-55 फीसदी तक रहा था.

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30 फीसदी बढ़ी मतदाताओं की संख्या

पढ़ें- मंगलौर में बोले राहुल गांधी- मैं नरेंद्र मोदी की नहीं सुनता, ईडी-सीबीआई से नहीं डरता

मुस्लिम आबादी वाली सीटों पर हुआ था ज्यादा मतदान: विधानसभा सीट वार अगर बात करें तो हरिद्वार जिले की लक्सर, पिरान कलियर और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीटों पर सबसे ज्यादा मतदान 81 फीसदी हुआ था. वहीं, इसकी तुलना में पहाड़ी जिलों की लैंसडाउन, चौबट्टाखाल, अल्मोड़ा की सल्ट सीट पर सबसे कम 50 फीसदी से भी कम मतदान हुआ था.

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा किया था मतदान: पिछले विधानसभा चुनाव में हुए मतदान के आंकड़ों से एक और तस्वीर साफ होती है, जिसमें पहाड़ी जनपदों में महिलाओं की मतदान में भरपूर भागीदारी देखने को मिली थी. महिलाओं ने लोकतंत्र में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाते हुए पहाड़ी जिलों की 37 विधानसभा सीटों में (5116) पुरुषों से ज्यादा मतदान किया था. डोईवाला, ऋषिकेश, कालाढूंगी में भी महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया था.

देहरादून: प्रदेश का विधानसभा चुनाव राज्य के पांच साल का भविष्य तय करता है और एक नई सरकार का मार्ग प्रशस्त करता है. विधानसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग के आंकड़ों से भी राज्य के अलग-अलग पहलुओं और परिस्थितियों की स्थिति स्पष्ट होती है. वहीं, अगर आंकड़ों की बात करें तो उत्तराखंड में इस दशक में मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है.

10 साल में 30 फीसदी बढ़े मतदाता: निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार साल 2002 में प्रदेश में तकरीबन 52 लाख मतदाता थे. 2012 में मतदाताओं की संख्या बढ़कर तकरीबन 63 लाख हो गई थी. अब 2022 में मतदाताओं की संख्या 83 लाख के करीब है. इस वृद्धि को अगर हम प्रतिशत में देखें तो साल 2002 से लेकर 2012 तक मतदाताओं की संख्या में 21 फीसदी इजाफा हुआ था, लेकिन 2012 के बाद से साल 2022 तक के आकड़ों को देखें तो प्रदेश में तकरीबन 30 फीसदी मतदाताओं की संख्या बढ़ी है.

पिछले एक दशक में 30 फीसदी मतदाता बढ़े.

मतदाताओं के प्रतिशत में यूपी से भी ज्यादा बढ़ोत्तरी: सबसे खास बात यह है कि उत्तराखंड में मतदाताओं में वृद्धि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से भी कहीं ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में पिछले एक दशक में मतदाताओं में तकरीबन 18 फीसदी ही वृद्धि हुई है. एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल के अनुसार उनकी संस्था पिछली बार के चुनाव नतीजों का अलग-अलग एंगल से विश्लेषण कर रही है.

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उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या बड़ी.

2017 में मैदानी जिलों में हुआ था अधिक मतदान: वहीं, उत्तराखंड के मैदानी और पहाड़ी इलाकों में भी मतदान प्रतिशत में असंतुलन देखने को मिल रहा है. उत्तराखंड के चौथे विधानसभा चुनाव यानी कि 2017 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो मैदानी इलाकों में मतदान में काफी उछाल देखने को मिला था. मैदानी जिले हरिद्वार और उधम सिंह नगर में पिछले विधानसभा चुनाव में 75-76 फीसदी मतदान हुआ था. वहीं, पर्वतीय जिले टिहरी, पौड़ी और अल्मोड़ा में मतदान का प्रतिशत 53-55 फीसदी तक रहा था.

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30 फीसदी बढ़ी मतदाताओं की संख्या

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मुस्लिम आबादी वाली सीटों पर हुआ था ज्यादा मतदान: विधानसभा सीट वार अगर बात करें तो हरिद्वार जिले की लक्सर, पिरान कलियर और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीटों पर सबसे ज्यादा मतदान 81 फीसदी हुआ था. वहीं, इसकी तुलना में पहाड़ी जिलों की लैंसडाउन, चौबट्टाखाल, अल्मोड़ा की सल्ट सीट पर सबसे कम 50 फीसदी से भी कम मतदान हुआ था.

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा किया था मतदान: पिछले विधानसभा चुनाव में हुए मतदान के आंकड़ों से एक और तस्वीर साफ होती है, जिसमें पहाड़ी जनपदों में महिलाओं की मतदान में भरपूर भागीदारी देखने को मिली थी. महिलाओं ने लोकतंत्र में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाते हुए पहाड़ी जिलों की 37 विधानसभा सीटों में (5116) पुरुषों से ज्यादा मतदान किया था. डोईवाला, ऋषिकेश, कालाढूंगी में भी महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया था.

Last Updated : Feb 10, 2022, 4:31 PM IST
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