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ग्राम्य विकास और पलायन आयोग की बैठक में तीन जिलों की पेश की गई रिपोर्ट - उत्तराखंड न्यूज

ग्राम्य विकास और पलायन आयोग की तीसरी बैठक में पलायन रोकने के साथ प्रवासियों के लिए रोजगार के अवसर तलाशने पर चर्चा हुई.

देहरादून
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Published : Jun 16, 2020, 5:30 PM IST

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को सीएम आवास पर ग्राम्य विकास और पलायन आयोग की तीसरी बैठक आयोजित की गई. जिसमें ग्राम्य विकास और पलायन आयोग ने टिहरी गढ़वाल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट प्रस्तुत की. बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने प्रदेशवासियों को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर विशेष जोर दिया था.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य कोविड-19 के बाद राज्य में वापस आए प्रवासी को रोजगाद देना है. उन प्रवासियों में से कितने लोग प्रदेश में रहकर ही रोजगार करना चाहते हैं, इसका आकलन करने के भी निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के लिए महिलाओं को बैंक से लोन लेने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए भूमि खाताधारक के साथ उनकी पत्नी का नाम भी शामिल किया जाएगा.

पढ़ें- प्रवासियों को रोजगार के लिए सीएम त्रिवेंद्र ने दिए 110 करोड़ रुपये

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत प्रदेशवासियों को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराये जायेंगे. इसके साथ ही बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी वर्ष में चमोली, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में पालयन से संबंधित आर्थिक और सामाजिक मुद्दों के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करें. ताकि पलायन को रोकने को लेकर एक रिपोर्ट तैयार हो सके. इसके साथ ही कोविड-19 के प्रकोप के बाद उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों में घर लौटे प्रवासियों के आर्थिक पुनर्वास के लिए सिफारिशें राज्य सरकार को प्रस्तुत करना आयोग की प्राथमिकता है.

बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आमदनी कैसे बढ़ाई जाए इस पर भी चर्चा की गई. किन-किन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर हैं उस पर भी बात हुई. इसके साथ ही जो गांव अभी तक सड़क से नहीं जुड़ पाये हैं और जिन गांवों में पेयजल की समस्या है, उनको भी चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं. स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही उसकी पैकेजिंग और मार्केटिंग पर भी योजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं.

पढ़ें- कोरोना को लेकर CM त्रिवेंद्र का बयान, हर परिस्थिति से निपटने को तैयार उत्तराखंड

ग्राम्य विकास और पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने बताया कि आयोग ने अभीतक तीन रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत की हैं, जिसमें पलायन को कम करने की सिफारिशें दी गई हैं. आयोग ने जनपद अल्मोड़ा के ग्राम पंचायतों में पलायन के विभिन्न पहलुओं पर अंतरिम रिपोर्ट जून 2019 प्रस्तुत की थी. इसके बाद सितम्बर 2019 में ग्राम्य विकास के क्षेत्र में योजनाओं और कार्यक्रमों का विश्लेषण व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आयोग द्वारा सिफारिशें राज्य सरकार को प्रस्तुत की गई. यही नहीं जिला पिथौरागढ़ के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को सुदृढ़ बनाने और पलायन को कम करने से संबंधित रिपोर्ट आयोग द्वारा अक्टूबर 2019 में सरकार के समक्ष प्रस्तुत की गई थी.

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को सीएम आवास पर ग्राम्य विकास और पलायन आयोग की तीसरी बैठक आयोजित की गई. जिसमें ग्राम्य विकास और पलायन आयोग ने टिहरी गढ़वाल जिले के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट प्रस्तुत की. बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने प्रदेशवासियों को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर विशेष जोर दिया था.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य कोविड-19 के बाद राज्य में वापस आए प्रवासी को रोजगाद देना है. उन प्रवासियों में से कितने लोग प्रदेश में रहकर ही रोजगार करना चाहते हैं, इसका आकलन करने के भी निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के लिए महिलाओं को बैंक से लोन लेने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए भूमि खाताधारक के साथ उनकी पत्नी का नाम भी शामिल किया जाएगा.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत प्रदेशवासियों को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराये जायेंगे. इसके साथ ही बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी वर्ष में चमोली, रुद्रप्रयाग और बागेश्वर जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में पालयन से संबंधित आर्थिक और सामाजिक मुद्दों के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करें. ताकि पलायन को रोकने को लेकर एक रिपोर्ट तैयार हो सके. इसके साथ ही कोविड-19 के प्रकोप के बाद उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों में घर लौटे प्रवासियों के आर्थिक पुनर्वास के लिए सिफारिशें राज्य सरकार को प्रस्तुत करना आयोग की प्राथमिकता है.

बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आमदनी कैसे बढ़ाई जाए इस पर भी चर्चा की गई. किन-किन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर हैं उस पर भी बात हुई. इसके साथ ही जो गांव अभी तक सड़क से नहीं जुड़ पाये हैं और जिन गांवों में पेयजल की समस्या है, उनको भी चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं. स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही उसकी पैकेजिंग और मार्केटिंग पर भी योजना बनाने के निर्देश दिए गए हैं.

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ग्राम्य विकास और पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने बताया कि आयोग ने अभीतक तीन रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत की हैं, जिसमें पलायन को कम करने की सिफारिशें दी गई हैं. आयोग ने जनपद अल्मोड़ा के ग्राम पंचायतों में पलायन के विभिन्न पहलुओं पर अंतरिम रिपोर्ट जून 2019 प्रस्तुत की थी. इसके बाद सितम्बर 2019 में ग्राम्य विकास के क्षेत्र में योजनाओं और कार्यक्रमों का विश्लेषण व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आयोग द्वारा सिफारिशें राज्य सरकार को प्रस्तुत की गई. यही नहीं जिला पिथौरागढ़ के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को सुदृढ़ बनाने और पलायन को कम करने से संबंधित रिपोर्ट आयोग द्वारा अक्टूबर 2019 में सरकार के समक्ष प्रस्तुत की गई थी.

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