देहरादून: देश की राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी चरम पर है. आम आदमी पार्टी (आप), बीजेपी और कांग्रेस तीनों ही पार्टियां सत्ता पर काबिज होने को लेकर जोर-शोर से प्रचार-प्रसार में जुटी हुई हैं. दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड की अहम भूमिका रहने वाली है क्योंकि दिल्ली में उत्तराखंड मूल के लाखों लोग रह रहे हैं, जो दिल्ली विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभायेंगे.
दिल्ली में उत्तराखंड मूल के करीब 23 लाख मतदाता
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर कुल 1 करोड़ 47 लाख 86 हज़ार 389 मतदाता हैं, जिसमें से करीब 23 लाख मतदाता उत्तराखंड मूल से हैं, जो सीधे तौर पर करीब 10 से 12 सीटों को प्रभावित करेंगे. यही वजह है कि न सिर्फ AAP बल्कि बीजेपी और कांग्रेस भी इन मतदताओं को अपने पक्ष में मतदान करने को लेकर हरसंभव प्रयास कर रही हैं. सियासी पंडितों की मानें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आगामी उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए भी एक महत्वपूर्ण संकेत होंगे.
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पार्टियों ने उत्तराखंड मूल के प्रत्याशी किये हैं खड़े
दिल्ली में उत्तराखंड मूल के भारी तादाद में मतदाता के होने के चलते बीजेपी और कांग्रेस का उत्तराखंड मूल के प्रत्याशियों पर फोकस है. यही वजह है कि दिल्ली में बीजेपी ने दो तो कांग्रेस ने उत्तराखंड मूल के चार प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. ताकि वे उत्तराखंडी वोटर को ज्यादा से ज्यादा अपने पाले में कर सकें.
उत्तराखंड के तमाम बड़े नेता बनाये गए हैं स्टार प्रचारक
उधर, दिल्ली में उत्तराखंड मूल के मतदाताओं को रिझाने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने प्रदेश के कई नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया है, जिनमें सबसे पहला नाम सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, नैनीताल सांसद अजय भट्ट के साथ ही अन्य वरिष्ठ नेता हैं. वहीं कांग्रेस ने भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया है.
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महत्वपूर्ण भूमिका में पहाड़ी मतदाता
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार भगीरथ शर्मा की मानें तो दिल्ली में उत्तराखंड मूल के करीब 30 लाख लोग रहते हैं, जिसमें से करीब 23 लाख मतदाता हैं, जो दिल्ली की करीब 10 से 12 सीटों को सीधे तौर पर प्रभावित करती है. लिहाजा दिल्ली में हो रहे विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड मूल के मतदाताओं का बहुत महत्व है.
बीजेपी-कांग्रेस के लिए काफी अहम
दिल्ली विधानसभा का चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद ही अहम माना जा रहा है, क्योंकि 1998 से अबतक दिल्ली में बीजेपी अपनी वापसी नहीं कर पाई. वहीं कांग्रेस की बात करें ये चुनाव उनके प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है.
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दरअसल, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के समय में लगातार तीन बार सरकार बनाने वाली कांग्रेस 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में अपना खाता तक नहीं खोल पायी थी. लिहाजा दिल्ली विधानसभा चुनाव दोनी ही पार्टियों के लिए काफी मायने रखता है.
बीजेपी को उम्मीद
उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता जाएंगे. दिल्ली के जिन क्षेत्रों में उत्तराखंड मूल के निवासी अधिक संख्या में हैं वहां पर उत्तराखंड के नेता प्रचार-प्रसार करेंगे. बीजेपी ने दिल्ली में उत्तराखंड मूल के दो नेताओं को प्रत्याशी बनाया है. भसीन का मानना है कि दिल्ली के लोगों का रुख बीजेपी की तरफ है. लोगों का अरविंद केजरीवाल से मोह भंग हुआ है.
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कांग्रेस को भरोसा
उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता डॉ. प्रतिमा सिंह की मानें तो दिल्ली में करीब 22 से 23 लाख उत्तराखंड मूल के मतदाता हैं, जिसे देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में उत्तराखंड मूल के चार प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. वहीं, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत कांग्रेस के अन्य नेता दिल्ली में प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. जिसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा.