देहरादून: आठ अगस्त को उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती मनाई जाती है. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए तीलू रौतेली की जयंती पर कोई भव्य कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा. तीलू रौतेली की जयंती पर हर साल महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित होने वाला भव्य सम्मान भी इस साल वर्चुअल तरीके से किया जा रहा है. इस मौके पर राज्य की 21 महिलाओं को तीलू रौतेली राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इसके साथ ही उत्कृष्ट कार्य करने वाली 22 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भी पुरस्कृत किया जाएगा.
ये महिलाएं होंगी तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित
पौड़ी गढ़वाल से मधु खुगशाल, टिहरी गढ़वाल से कीर्ति कुमारी, रुद्रप्रयाग से बबीता रावत, चमोली से शशि देवली, देहरादून से उन्नति बिष्ट, हरिद्वार से पुष्पांजलि अग्रवाल, सुमती थपलियाल, उत्तरकाशी से हर्षा रावत, ऊधमसिंह नगर से ज्योति उप्रेती अरोड़ा, अल्मोड़ा से प्रीति भंडारी, शिवानी आर्य, बागेश्वर से गुंजन बाला, चंपावत से जानकी चंद, नैनीताल से कंचन भंडारी, मालविका माया उपाध्याय और पिथौरागढ़ से सुमन वर्मा शामिल हैं.
पढ़ें: देहरादून: वीरांगना तीलू रौतेली कामकाजी महिला छात्रावास का जल्द होगा शुभारंभ
इसके अलावा कोरोना काल में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए इस बार महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की ओर से 22 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी पुरस्कृत किया जाएगा.
इन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मिलेगा सम्मान
चंपावत से हेमा बोरा, चमोली से अंजना रावत, देहरादून से हयात फातिमा, टिहरी गढ़वाल से लक्ष्मी देवी, उत्तरकाशी से कुसुम मेहर और बीना चौहान अल्मोड़ा से नीता गोस्वामी, गीता देवी, बागेश्वर से पुष्पा, हरिद्वार से पूनम, सुमनलता यादव, असमा, नैनीताल से गंगा बिष्ट, समारेज, निर्मला पांडे, पिथौरागढ़ से चंद्रकला, पौड़ी से अर्चना देवी, रोशनी और रुद्रप्रयाग से सुशीला देवी का नाम शामिल हैं.
कौन थी तीलू ?
चौंदकोट गढ़वाल के गोर्ला रौत थोकदार और गढ़वाल रियासत के राजा फतेहशाह के सेनापति भूप्पू रावत की बेटी थी तीलू. तीलू के दो बड़े भाई थे पत्वा और भक्तू. तीलू की सगाई बाल्यकाल में ही ईड़ गांव के सिपाही नेगी भवानी सिंह के साथ कर दी गई थी. बेला और देवकी की शादी तीलू के गांव गुराड में हुई थी. जो तीलू की हमउम्र थी. चौंदकोट में पति की बड़ी बहिन को 'रौतेली' संबोधित किया जाता है. बेला और देवकी भी तीलू को 'तीलू रौतेली' कहकर बुलाती थी. वीर भाईओं की छोटी बहिन तीलू बचपन से तलवार-ढाल के साथ खेलकर बड़ी हो रही थी. बचपन में ही तीलू ने अपने लिए सबसे सुंदर घोड़ी 'बिंदुली' का चयन कर लिया था. 15 वर्ष की होते-होते गुरु शिबू पोखरियाल ने तीलू को घुड़सवारी और तलवारबाजी के सारे गुर सिखा दिए थे. गौरतलब है कि तीलू रौतेली सिर्फ उत्तराखंड की ही नहीं बल्कि देश की वह वीरांगना हैं, जिन्होंने 15 से 20 साल की उम्र में सात युद्ध लड़ लड़े. उनकी वीरता को पूरा उत्तराखंड नमन करता है. यहीं कारण है कि प्रदेश की तरफ से हर साल उनकी जयंती पर उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को पुरस्कृत किया जाता है.